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बेंजामिन नेतन्याहू ने संसद में साबित किया बहुमत, इजरायल में फिर बनेगी भारत की करीबी सरकार

इस चुनाव में बेंजामिन नेतन्याहू को मिली जबरदस्त सफलता के पीछे एक और बड़ी वजह विपक्षी पार्टियों में गठबंधन के बावजूद बिखराव था। वहीं, वामपंथी पार्टियों के गठबंधन के प्रचार पर देशविरोधी होने का भी आरोप लगा था।

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Israel News: भारत के जिगरी दोस्त रहे पूर्व इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू एक बार फिर से इजरायल का प्रधानमंत्री बनेंगे और उनकी लिकुड पार्टी ने संसद में बहुमत हासिल कर लिया है। इजरायल में पिछले महीने हुए चुनाव में नेतन्याहू की लिकुड पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और अब लिकुड पार्टी ने देश में नई सरकार बनाने के लिए अति-रूढ़िवादी शास पार्टी के साथ गठबंधन किया है, जो देश की अति-राष्ट्रवादी पार्टी मानी जाती है। इजरायल की राजनीति पिछले 2-3 सालों से काफी उथल-पुथल रही है और उम्मीद जताई जा रही है, कि इस बार सरकार बनने के बाद देश में एक स्थिर सरकार का गठन होगा।

चुनाव जीती थी नेतन्याहू की पार्टी

चुनाव जीती थी नेतन्याहू की पार्टी

बेंजामिन नेतन्याहू के दक्षिणपंथी गठबंधन ने 1 नवंबर को खत्म हुए लोकसभा चुनाव में आराम से जीत हासिल की थी और चार सालों के बाद इजरायल में एक स्थिर सरकार के निर्माण का रास्ता साफ किया था। इजरायल में पिछले 4 सालों में पांचवी बार लोकसभा चुनाव हुए थे। हालांकि, बेजामिन नेतन्याहू के लिए अति-रूढ़िवादगी शास पार्टी के साथ सरकार चलाना आसान नहीं होगा, खासकर अरब देशों के साथ संबंधों को बढ़ाने के खिलाफ रहने वाली शास पार्टी के साथ साझेदारी कर नेतन्याहू विदेश नीति के मोर्चे पर कुछ पीचे रह सकते हैं। हालांकि, नेतन्याहू ने बयान में कहा कि, "हमने एक दक्षिणपंथी सरकार के गठन की दिशा में एक और कदम पूरा कर लिया है, जो इजरायल के सभी नागरिकों की सेवा करने के लिए काम करेगी।"

नेतन्याहू गठबंधन को पूर्ण बहुमत

नेतन्याहू गठबंधन को पूर्ण बहुमत

इजरायल में लोकसभा के लिए 120 सीटें हैं और नवंबर में हुए चुनाव में बेंजामिन नेतन्याहू गठबंधन को 64 सीटों पर जीत मिली थी। इस समझौते के मुताबिक, शास नेता आर्येह डेरी सरकार के कार्यकाल की पहली छमाही के दौरान आंतरिक और स्वास्थ्य मंत्रालयों का नेतृत्व करेंगे, फिर दूसरी छमाही में वो देश का वित्त मंत्रालय संभालेंगे। वहीं, आगे जाकर वो नेतन्याहू के कार्यकाल के दौरान उन्हें उप-प्रधानमंत्री भी बनाया जाएगा। हालांकि, पूरे पांच सालों तक के लिए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ही रहेंगे। आपको बता दें कि, शास नेता आर्येह डेरी, इजरायल के एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं, लेकिन पिछले साल ही उन्हें टैक्स चोरी के मामले में धोखाधड़ी का दोषी ठहराया गया था। हालांकि, बाद में वो जमानत पर जेल से बाहर आ गये। वहीं, आर्येह डेरी को कैबिनेट मंत्री बनाने के लिए प्रधानमंत्री बनने के बाद नेतन्याहू को संसद के अंदर एक नया कानून बनाना होगा, उसके बाद ही आर्येह डेरी देश के नये मंत्री बन पाएंगे।

इजरायल में किस पार्टी को कितनी सीटें

इजरायल में किस पार्टी को कितनी सीटें

आपको बता दें कि, नेतन्याहू की लिकुड पार्टी ने संसद में 32 सीट जीती हैं। जबकि निवर्तमान प्रधानमंत्री याइर लापेड की येश अतीद को 24 सीट मिली। शास को 11, यूनाइटेड टोराह जूडयिज्म को सात सीटें मिली हैं। आपको बता दें कि इजरायल में चार साल से भी कम समय में कराया गया यह पांचवां चुनाव था। बता दें कि जून 2021 में मौजूदा पीएम येर लापिद के नेतृत्व वाले क्रॉस-पार्टिसन गठबंधन द्वारा बाहर किए जाने से पहले नेतन्याहू ने लगातार 12 वर्षों तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था।

संसद से Out वामपंथी पार्ट

संसद से Out वामपंथी पार्ट

इजरायल में हुए इस बार के चुनाव में सबसे ज्यादा दिलचस्प बात ये है, कि जो वामपंथी पार्टी ज़ायोनी मेरेट्ज़ लगातार सरकार बनाने और बिगाड़ने का काम कर रही थी, उसे संसद से ही बाहर कर दिया गया है। इजरायली संविधान के मुताबिक, संसद में किसी पार्टी को तभी मान्यता मिलती है, जब उस पार्टी को आवश्यक 3.25 प्रतिशत वोट मिले। लेकिन, साल 1948 में स्थापित वामपंथी ज़ायोनी मेरेट्ज़ पार्टी को इतने प्रतिशत वोट भी नहीं मिले। यानि, इजरायली संसद से वामपंथी पार्टी इस बार बाहर हो गई है और माना जा रहा है, कि पिछले कुछ महीनों से वामपंथी पार्टियों ने जो राजनीतिक ध्रुवीकरण की कोशिश की, वो उसके ऊपर ही भारी पड़ गई है और दक्षिणपंथी पार्टियों को इसमें जबरदस्त फायदा मिल गया।

इजरायल में दक्षिणपंथ का फिर से उदय

इजरायल में दक्षिणपंथ का फिर से उदय

बेंजामिन नेतन्याहू का फिर से प्रधानमंत्री बनना उनके विरोधियों के लिए उतना बड़ा झटका नहीं है, क्योंकि वो पहले लगातार 15 सालों तक देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं, लेकिन उनके विरोधियों के लिए सबसे बड़ा झटका ये है, कि इजरायल की धूर-दक्षिणपंथी पार्टी को इस चुनाव में भारी सफलता मिली है। इस पार्टी ने नेतन्याहू की पार्टी के साथ गठबंधन कर रखा था। इस पार्टी का नाम है 'रिलिजियस जियोनिज्म' स्लेट, जो एक यहूदी वर्चस्ववादी और अरब विरोधी संगठन है, जिस इस चुनाव में आश्चर्यजनक सफलता मिली है। स्लेट तीन पार्टियों से मिलकर बना है। इतामार बेन ग्विर के नेतृत्व में ज्यूईस पॉवर, बेजेल स्मोट्रिच के नेतृत्व में नेशनल यूनियन और और एलजीबीटीक्यू विरोधी पार्टी, नोआम। पिछले लोकसभा चुनाव में इस तीनों पार्टियों के गठबंधन को महज 6 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार इस गठबंधन को 14 सीटें मिली हैं और यही वजह है, कि बेंजामिन नेतन्याहू के गठबंधन को पूर्ण बहुमत हासिल हो गई है। कट्टरपंथी दक्षिणपंथी पार्टियों के लिए ये एक आश्चर्यजनक उपलब्धि है।

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English summary
Israel News: Benjamin Netanyahu proved his majority in the Israel Parliament. Clear the way to form a coalition government.
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