इसराइल में फिर होंगे चुनाव, सरकार नहीं बना सके बिन्यामिन नेतन्याहू
इससे पहले की इसराइली राष्ट्रपति संसद के अन्य सदस्य को सरकार बनाने का न्योता देते, नेतन्याहू ने फिर से चुनाव करवाने के लिए संसद भंग करने का प्रस्ताव रखने का दांव चल दिया. संसद में हुए मतदान के बाद नेतन्याहू ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "मैं एक स्पष्ट चुनाव अभियान चलाऊंगा जो हमें जीत दिलाएगी. हम जीतेंगे. हम जीतेंगे और साथ ही जनता की भी जीत होगी."
प्रधामंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू के गठबंधन सरकार बना पाने में असफल रहने के बाद इसराइली सांसदों ने संसद भंग करने के पक्ष में मतदान किया है.
इस फै़सले के कारण अब इसराइल में 17 सितंबर को फिर से चुनाव होंगे.
नेतन्याहू पिछले महीने हुए चुनावों के बाद नया दक्षिणपंथी गठबंधन बनाने के लिए समझौता कर पाने में नाकाम रहे थे.
गतिरोध के केंद्र में वह विधेयक रहा, जिसके तहत अति-धर्मनिष्ठ यहूदी शिक्षण संस्थानों के छात्रों को अनिवार्य सैनिक सेवा से मिलने वाली छूट की समीक्षा की जाने की मांग की जा रही है.
इसराइल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब नामित प्रधानमंत्री गठबंधन बनाने में असफल रहा है.
गतिरोध की वजह क्या
गठबंधन करने के लिए बुधवार आधी रात तक की समयसीमा पूरी हो जाने के बाद पेश किए गए संसद भंग करने के प्रस्ताव के पक्ष में 74 मत पड़े जबकि 45 ने इसके विरोध में वोट डाले.
अप्रैल में हुए चुनावों में 120 में से 35 सीटों पर नेतन्याहू की लिकुड पार्टी ने जीत हासिल की थी.
माना जा रहा था नेतन्याहू को पांचवीं बार प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यकाल पूरा करने का मौक़ा मिल सकता है मगर वह पूर्व रक्षा मंत्री एविग्दोर लिबरमन के साथ समझौता नहीं कर पाए. उनके समर्थन के बिना सरकार बनाना संभव नहीं था.
राष्ट्रवादी दल 'इसराइल बेतेन्यू पार्टी से संबंध रखने वाले लिबरमन ने अति-धर्मनिष्ठ यहूदी दलों के साथ आने के लिए यह शर्त रखी थी कि उन्हें अनिवार्य सैन्य सेवा में छूट देने के अपने मसौदे में परिवर्तन करने होंगे.
नेतन्याहू की पार्टी के साथ गठबंधन में मौजूद अति-धर्मनिष्ठ यहूदी दल नहीं चाहते कि आधुनिक दुनिया से ख़ुद को दूर रखने वाले पुरातनपंथी कट्टर यहूदियों को अनिवार्य सैन्य सेवा से मिली छूट में बदलाव हो. मगर लिबरमन इसकी समीक्षा चाहते हैं.
नेतन्याहू का दांव
इससे पहले की इसराइली राष्ट्रपति संसद के अन्य सदस्य को सरकार बनाने का न्योता देते, नेतन्याहू ने फिर से चुनाव करवाने के लिए संसद भंग करने का प्रस्ताव रखने का दांव चल दिया.
संसद में हुए मतदान के बाद नेतन्याहू ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "मैं एक स्पष्ट चुनाव अभियान चलाऊंगा जो हमें जीत दिलाएगी. हम जीतेंगे. हम जीतेंगे और साथ ही जनता की भी जीत होगी."
प्रधानमंत्री को धोखाधड़ी और रिश्वत के आरोपों का भी सामना करना पड़ा है. उनके ऊपर ये आरोप भी लगे है कि उन्होंने ख़ुद को मुक़दमों से बचाने की भी कोशिश की थी.
आरोप है कि उन्होंने एक अमरीक कारोबारी से तोहफ़े लिए और मीडिया में सकारात्मक कवरेज के लिए लाभ पहुंचाया. नेतन्याहू कहते हैं कि उन्होंने कुछ भी ग़लत नहीं किया है.