कोरोना से बचना है तो दुबले होइए, बोरिस जॉनसन ने मोटापा के खिलाफ छेड़ी जंग
अगर कोरोना से बचना है तो दुबला होना होगा। इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अब मोटापा के खिलाफ जंग छेड़ दी है। आपका मोटा होना अब राष्ट्र की समस्या समझी जाएगी। अपने आप को फिट और पतला रखना अब लोगों की जिम्मेवारी समझी जाएगी। इसके लिए जल्द ही एक योजना शुरू की जाएगी। हालिया शोध से पता चला है कि मोटे लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा आम लोगों की तुलना में दोगुना बढ़ जाता है। ब्रिटेन में हर तीन में से एक आदमी मोटा है जो विश्व में मोटापा की सबसे अधिक दर है। हाल ही में जॉनसन जब अपने सहयोगियों के साथ कोरोना रोगियों के संबंध में अधिक वजन के खतरों पर चर्चा कर रहे थे तब उन्होंने कहा था, आप सभी पतले लोगों के लिए सब कुछ ठीक है। अगर मोटे लोग कोरोना से संक्रमित हो गये तो उनके मरने का खतरा भी अधिक होता है। मोटापा दूसरी बीमारियों का भी कारण है। इसलिए जॉनसन ने मोटापा के खिलाफ युद्ध का एलान किया है।
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कोरोना से बचना है तो मोटापा रोकना होगा
इंग्लैंड में कोरोना से हुई कुल मौत में 37 फीसदी लोग वैसे हैं जो मोटे थे। इनमें अधिकांश डायबिटिज के रोगी थे। डायबिटिज का रोग होने में मोटापा भी एक बड़ा कारण हैं। पिछले कुछ साल से इंग्लैंड में मोटापा की समस्या तेजी से बढ़ी है। इंग्लैंड के लोग पिछले कुछ साल में इस लिए मोटे होते रहे हैं क्यों कि वे मीठा (चीनी) अधिक खाते हैं। सरकार ने मोटापा की समस्या को काबू में करने के लिए 2018 में शुगर टैक्स लगा दिया था। सरकार का मकसद ये था कि इससे लोग सॉफ्ट ड्रिंक का इस्तेमाल कम कर देंगे। दो साल बाद जब इंग्लैंड कोरोना का शिकार हुआ तो मोटापा वहां के लोगों के लिए महाकाल बन गया। अब सरकार ने तय किया है कि नागरिकों के बढ़ते वजन को हर हाल में काबू करना है। अगर भविष्य में कोरोना से सुरक्षित रहना है तो हरहाल में ऐसा करना होगा। तो क्या इंग्लैंड की सरकार नागरिकों के निजी जीवन में हस्तक्षेप करेगी ? इंग्लैंड में विरोधी दलों का कहना है कि सरकार अब निरंकुश शासन की तरफ बढ़ रही है।
इम्यून सिस्टम को कमजोर बनाता है फैट
इंग्लैंड में कोरोना से अभी तक 33 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों का जब रिकॉर्ड खंगाला गया गया तो पाया गया कि इनमें अधिकतर लोग मोटे थे। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने इस बात की जांच के लिए आदेश दिये। शोधकर्ताओं की कहना है कि शरीर में मौजूद फैट से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है जिससे मोटे लोगों पर कोरोना संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है। मोटे लोगों को अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती है। जरूरत के हिसाब से कई खास अंगों को ऑक्सीजन मिल नहीं पाता है। जिससे उन्हें वोंटिलेटर पर रखने की नौबत आ जाती है। दो साल पहले एक अध्ययन में पाया गया था कि इंग्लैंड के 63 फीसदी युवा ओवरवेट हैं। ब्रिटिश लोगों के लिए दैनिक रूप से 1600 कैलोरी की जरूरत तय की गयी थी। अब जॉनसन सरकार पहले तय दिशानिर्देशों का सख्ती से अनुपालन कराएगी ताकि वजन बढ़ने की समस्या पर रोक लग सके।
आखिर मोटापा के खिलाफ जंग की जरूरत क्यों?
तमाम कोशिशों के बाद भी इंग्लैंड में वजन बढ़ने की समस्या पर रोक नहीं लग पा रही है। 2006 में टोनी ब्लेयर की सरकार ने एक फिटनेस मिनिस्टर नियुक्त किया था। मंत्री कैरोलाइन फ्लिंट को ये जिम्मेदारी दी गयी थी कि वे लोगों को कसरत करने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि देश के लोग चुस्त-तंदुरुस्त हो सकें। उस समय आशंका वयक्त की गयी थी कि अगर ब्रिटिश लोग फिट रहने के लिए कसरत नहीं करेंगे तो 2010 तक एक तिहाई आबादी मोटापे का शिकार हो जाएगी। इंग्लैंड के लोगों ने सरकार के निर्देंशों के अनुपालन में कोई रुचि नहीं दिखायी जिसकी वजह से मोटापा की समस्या दिनोंदिन बढ़ती गयी। उस समय भी विपक्षी दलों ने तंज कसा था कि सरकार की कोशिशों से मोटापा कम नहीं होने वाला। इसके लिए लाखों पाउंड खर्च किये जा चुके हैं लेकिन नतीजे संतोषजनक नहीं रहे हैं।14 साल बाद भी इंग्लैंड उसी समस्या से परेशान है। लेकिन बोरिस जॉनसन पिछली गलतियों से सबक लेकर इस बार आरपार की लड़ाई लड़ना चाहते हैं।
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