संभल जाइए: Coronavirus किसी का भी ये हाल बना सकता है
नई दिल्ली- अमेरिका के एक अस्पताल में 57 दिनों तक कोरोना वायरस से जंग लड़ने वाले एक पुरुष नर्स की कहानी इस बीमारी की भयानकता बयां करने के लिए काफी है। एक गठीले शरीर वाले मजबूत इंसान का कोरोना क्या हाल कर सकता है, यह नर्स उसका एक बेहतरीन उदाहरण है। अगर वह अपनी दो तस्वीरें एक साथ शेयर नहीं करता तो यह बात इतनी अच्छी तरह से साफ नहीं हो पाती कि नोवल कोरोना वायरस शरीर को किस तरह से अंदर से खोखला कर देता है। एक वक्त तो ऐसा भी आया जब माइक नाम का यह नौजवान अपना ही सेलफोन नहीं उठा पाता था, क्योंकि वही उसे बहुत भारी लगने लगा था।
कोरोना से पहले और कोरोना के बाद
ये तस्वीर अमेरिका के कैलिफोर्निया निवासी माइक की है, जिनका तकरीबन 6 हफ्ते की बीमारी में 20 किलो से ज्यादा वजन घट चुका है। 43 साल के माइक सैन फ्रैंसिस्को में नर्स हैं और उन्होंने खुद ही इंसाग्राम पर अपने 30,000 फॉलोअर्स के बीच ये तब और अब वाली दोनों तस्वीरें शेयर की हैं। इसमें से एक तस्वीर तब की है जब वह कुछ महीने पहले बीमार हुए थे और एक अभी की है जब वे अस्पताल में थे। कभी हफ्ते में 6-7 बार वर्कआउट करने वाले माइक का कहना है कि अस्पताल में ये तस्वीर लेने में उन्हीं कितनी पीड़ा झेलनी पड़ी उसे बयां करना मुश्किल है। वो कोरोना वायरस से खुद के शरीर में हुए बदलाव दिखाने के लिए ये तस्वीर लेना चाहते थे, लेकिन इसके लिए खड़े होने में भी उन्हें दिक्कत हो रही थी। एक जगह उन्होंने कहा है कि वे इतने कमजोर हो गए थे कि अपना सेलफोन भी नहीं उठा पाते थे। वही उनके लिए बहुत भारी हो गया था। वो फोन पर टाइप नहीं कर सकते थे, क्योंकि उनके हाथ हिलते थे।
मियामी बीच पर हुआ था कोरोना का संक्रमण
माइक अस्पताल में भर्ती होते वक्त 86 किलोग्राम के थे, अब उनका वजन सिर्फ 63 किलो रह गया है। उनका कहना है कि ये तस्वीर वो इसलिए शेयर कर रहे हैं, ताकि सबको पता चले कि यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। एक मीडिया वाले से उन्होंने कहा है, 'मैं यह दिखाना चाहता था कि यह किसी के साथ भी हो सकता है। आप बड़े हैं या बच्चे हैं या कोई बीमारी है या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यह आपको प्रभावित कर सकता है।.....मैं सबको दिखाना चाहता था कि 6 हफ्ते तक वेंटिलेटर पर या रोगियों की तरह रहना कितना बुरा हो सकता है....और चीजों के अलावा कोविड-19 ने न्युमोनिया के चलते मेरे फेफड़े की क्षमता को बहुत ही घटा दिया था।' जब सेहतमंद थे तब वो हफ्ते में 6 या 7 बर तक वर्कआउट कर लेते थे और उन्हें कोई बीमारी नहीं थी। उन्हें मार्च में मियामी बीच पर पार्टी में हिस्सा लेने के बाद कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ था, जो कई लोगों के संक्रमण की वजह रही है।
57 दिन बाद मिली अस्पताल से छुट्टी
16 मार्च को अस्पताल में भर्ती होने के बाद इनका न्युमोनिया और सांस लेने में अत्यधिक तकलीफ का इलाज चला और वेंटिलेटर पर डाल दिया गया। इन्हें फिर खुद से सांस लेने में साढ़े चार हफ्ते लग गए। वह कहते हैं कि पहली बार जब उन्होंने खुद को देखा तो पहचान ही नहीं पाए और आईने में खुद को देखकर रो पड़े। उन्होंने संकट की इस घड़ी में साथ देने के लिए अपने मित्र को बहुत शुक्रिया कहा है। वो अस्पताल से 57 दिनों बाद अपने उसी मित्र के साथ ही निकले और इंस्टाग्राम पर वह तस्वीर भी साझा की जिसमें वह थोड़े से मुस्कुराते नजर आ रहे हैं।
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