बीबीसी ने असमान वेतन पर कैरी ग्रेसी से माफ़ी मांगी
बीबीसी ने न्यूज़ प्रज़ेंटर कैरी ग्रेसी से पुरुषों के मुक़ाबले कम वेतन मिलने पर माफ़ी मांगी है.
बीबीसी ने ये भी कहा है कि ग्रेसी को उनका पूरा वेतन दिया जाएगा, जो उनका अधिकार है.
हालाँकि अभी ये नहीं पता कि बीबीसी से ग्रेसी को कितनी रकम मिलेगी, लेकिन वो पूरी रकम लैंगिक समानता और महिलाओं अधिकारों के लिए काम कर रही संस्था फॉसेट सोसाइटी को दान कर रही हैं.
बीबीसी ने न्यूज़ प्रज़ेंटर कैरी ग्रेसी से पुरुषों के मुक़ाबले कम वेतन मिलने पर माफ़ी मांगी है.
बीबीसी ने ये भी कहा है कि ग्रेसी को उनका पूरा वेतन दिया जाएगा, जो उनका अधिकार है.
हालाँकि अभी ये नहीं पता कि बीबीसी से ग्रेसी को कितनी रकम मिलेगी, लेकिन वो पूरी रकम लैंगिक समानता और महिलाओं अधिकारों के लिए काम कर रही संस्था फॉसेट सोसाइटी को दान कर रही हैं.
बीबीसी चीन की संपादक कैरी ग्रेसी ने संस्था में असमान वेतन को मुद्दा बनाते हुए जनवरी में अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.
उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि इसका समाधान निकला. इससे पता चलता है कि हम और आगे बढ़ सकते हैं."
कैरी ग्रेसी ने ट्वीट कर मुश्किल समय में उनका साथ देने वालों का शुक्रिया अदा किया.
https://twitter.com/BBCCarrie/status/1012637033049845761
बीबीसी कॉर्पोरेशन ने कहा है कि विवाद सुलझ चुका है.
'आज मैं कह सकती हूं कि मैं समान हूं'
कैरी ग्रेसी ने एक बयान भी जारी किया है.
''मेरे लिए ये एक बहुत बड़ा दिन है. मैं बीबीसी को बहुत पसंद करती हूं. ये 30 से भी अधिक वर्षों तक मेरे परिवार की तरह रहा और मैं इसे और सर्वश्रेष्ठ बनाना चाहती हूं. कई बार परिवार वालों को एक-दूसरे पर चिल्लाने की ज़रूरत महसूस होती है, लकिन जब आप चिल्लाना बंद कर देते हैं तो अच्छा लगता है.''
"महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल) ने इस मामले का समाधान निकाला इसके लिए मैं उनकी आभारी हूं. मुझे लगता है कि उन्होंने आज चीन के संपादक के रूप में मेरे काम की वैल्यू को समझा है. बीबीसी ने मुझे पिछले कई सालों का वेतन दिया है. लेकिन मेरे लिए पैसों का मामला नहीं, बल्कि सिद्धांतों की लड़ाई थी. इसलिए मैं इस रकम को उन महिलाओं की मदद के लिए दे रही हूं, जिन्हें इसकी मुझसे ज़्यादा ज़रूरत है."
- 'असमान वेतन' को लेकर बीबीसी संपादक ने दिया इस्तीफ़ा
- बीबीसी में ज़्यादा सैलरी पाने वालों में महिलाएं कम
- 'बीबीसी के सामने अवसर और चुनौतियाँ दोनों हैं’
"और आज मैं बीबीसी में कह सकती हूं कि मैं समान हूं."
'ख़त्म हुए सब मतभेद'
"मैं चाहती हूँ कि इस देश में कार्यस्थलों पर महिलाएं ऊपर से लेकर ऐसे ही महसूस करें. यहां तक पहुंचने के लिए लंबा और कठित रास्ता तय करना पड़ा. इसमें कई लोगों ने बहुत काम किया और मुझे इस पर गर्व है."
" सांस्कृतिक बदलाव लोगों के विचार बदलने में मदद करता है. ये एक बहुत बड़ा मुद्दा है, न सिर्फ़ बीबीसी के लिए बल्कि पूरे देश और दुनिया के कर्मचारियों के लिए. यह मेरे और बीबीसी के लिए एक जीत है. मुझे हम सब पर गर्व है."
उनके साथ काम करने वाली ब्रॉडकास्टर क्लेयर बाल्डिंग ने ग्रेसी की प्रशंसा में ट्वीट कर कहा, "उन्हें मिले पिछले वेतन की पूरी रकम दान करने के फ़ैसले से इस बात की पुष्टि होती है जो हम सभी जानते थे कि वो अपने लिए नहीं, बल्कि सबके लिए लड़ाई लड़ रही थी.
बीबीसी के डायरेक्टर जनरल टोनी हॉल ने कहा, "मुझे खुशी है कि हम अपने पुराने मतभेदों को ख़त्म कर आगे बढ़ रहे हैं. अब हम भविष्य की तरफ़ बढ़ सकते हैं."
टोनी हॉल ने कहा कि वो "खुश" हैं कि वो (ग्रेसी) "बीबीसी को महिलाओं के काम करने की बेहतर जगह" बनाने के बीबीसी के प्रोजेक्ट में सहयोग कर रही हैं.
"ये मेरे लिए बहुत मायने रखता है और मैं चाहता हूं कि हम इस रास्ते पर आगे बढ़ें."
बीते साल जुलाई में बीबीसी को सालाना डेढ़ लाख पाउंड से अधिक कमाने वाले सभी कर्मचारियों का वेतन सार्वजनिक करना पड़ा था.
ग्रेसी ने कहा था कि वो ये जानकर हताश हैं कि बीबीसी के दो पुरुष अंतरराष्ट्रीय संपादक महिलाओं के मुक़ाबले कम से कम पचास फ़ीसदी अधिक वेतन पाते हैं.
बीबीसी अमरीका के संपादक जोन सोपेल को दो से ढाई लाख पाउंड के बीच वेतन मिला था जबकि बीबीसी मध्यपूर्व के संपादक जेरेमी बावेन को डेढ़ से दो लाख पाउंड के बीच वेतन मिला था.
हालांकि कैरी ग्रेसी इस सूची में नहीं थीं, जिसका मतलब ये है कि उनका वेतन डेढ़ लाख पाउंड सालाना से कम था.
अपने खुले पत्र में ग्रेसी ने कहा था कि बराबरी का क़ानून कहता है कि एक जैसा काम कर रहे पुरुषों और महिलाओं को बराबर वेतन मिलना चाहिए.
बीबीसी ने अब स्वीकार किया है कि ग्रेसी को बताया गया था कि उन्हें उत्तर अमरीका के संपादक के बराबर वेतन दिया जाएगा.