बांग्लादेश: प्रधानमंत्री के खिलाफ लिखने वाले वाले लेखक मुस्ताक अहमद की कैद में मौत, बांग्लादेश में बवाल
बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ लिखने वाले एक लेखक की जेल में संदिग्ध मौत हो गई। मुश्ताक अहमद को एक साल से जेल में कैद करके रखा गया था।
ढाका: बांग्लादेश की सरकार भले ही बोलने की आजादी की तरफदारी करती हो मगर प्रधानमंत्री के खिलाफ लिखने वाले एक लेखक की मौत के साथ ही तय हो गया है कि सरकार चाहे किसी भी देश की क्यों ना हो, खिलाफत में उठने वाली आवाज को बर्दाश्त नहीं कर पाती है।
लेखक मुश्ताक अहमद की जेल में मौत
बांग्लादेश के लेखक मुश्ताक अहमद को सरकार के खिलाफ लिखने के 'जुर्म' में एक साल से जेल में कैद करके रखा गया था। लेखक मुश्ताक अहमद उन 11 लोगों में शामिल थे जिन्हें पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। मुश्ताक अहमद पर प्रधानमंत्री शेख हसीना की कोविड संक्रमण में मिस-मैनेजमेंट और भ्रष्टाचार को लेकर आलोचना करने का इल्जाम लगा था। मुश्ताक अहमद के परिवार ने कैद में उनकी मौत की पुष्टि करते हुए कहा है कि जेल में मुश्ताक अहमद को जुल्म का शिकार बनाया गया था। उनके खिलाफ सरकार ने दमन चक्र चलाया और उन्हें सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की सजा मिली है। काशिमपुरा जेल के अधीक्षक मोहम्मद गियासीद्दीन ने कहा कि 'जेल में मुश्ताक अहमद अचानक बेहोश हो गये थे जिसके बाद उन्हें जेल के ही अस्पताल में ले जाया गया था लेकिन उनकी स्थिति लगातार बिगड़ रही थी। जिसके बाद जेल प्रशासन उन्हें गाजीपुर स्थिति किसी बड़े अस्पताल में भर्ती कराया मगर अस्पताल में उनकी मौत हो गई'
सोशल मीडिया पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ लिखने वाले लेखर मुश्ताक अहमद पर बांग्लादेश डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट 2018 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। बांग्लादेश डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट 2018 के तहत देश की सरकार को किसी भी वक्त, किसी भी शख्स के खिलाफ एक्शन लेने का, उसे गिरफ्तार करने का, उसे जेल में बंद करने का का अधिकार हासिल है। बांग्लादेश की सरकार इस कानून के तहत किसी भी शख्स को फाइनेंसियल एक्टिविटि, सिक्योरिटी ब्रीच, डिफेंस, रिलिजियस वैल्यूज और पब्लिक डिसिप्लिन खराब करने का आरोप लगाकर उसे जेल भेज सकती है और लेकर मुश्ताक अहमद पर इसी कानून का इस्तेमाल कर उन्हें जेल भेजा गया था।
मुश्ताक की मौत के खिलाफ आवाज
मुश्ताक अहमद की जेल में मौत के बाद प्रधानमंत्री की खूब आलोचना हो रही है। आलोचकों का कहना है कि इस कानून का इस्तेमाल सरकार अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को खामोश करने के लिए करती है। पिछले साल बांग्लादेश में इस कानून के तहत 138 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जिनमें पत्रकार, छात्र, नेता और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे। पिछले एक साल से मुश्ताक अहमद को बेहद हाई सिक्योरिटी जेल काशिमपुरा में रखा गया था और लगातार 6 बार उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई थी। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए विपक्षी पार्टियों ने मुश्ताक अहमद की मौत की जांच की मांग करते हुए बांग्लादेश डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट 2018 में संशोधन करने की मांग की है। 54 साल के मुश्ताक अहमद सरकार के खिलाफ लिखने के जुर्म में पिछले एक साल से जेल में बंद थे।
सरकार को बदनाम करने का आरोप
मुश्ताक अहमद अकसर सोशल मीडिया के जरिए बांग्लादेश की सरकार की आलोचना किया करते थे। जिसके बाद सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। बांग्लादेश की सरकार का कहना था कि अपनी लेख के जरिए वो सरकार की छवि खराब कर रहे थे और उन्होंने बांग्लादेश की आजादी के खिलाफ युद्ध छेड़ने का गुनाह किया है। गिरफ्तार होने से पहले मुश्ताक अहमद ने बांग्लादेश के स्वास्थ्य मंत्री की आलोचना की थी। उन्होंने अपने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि 'अगर कोई सरकार या समाज लोगों की मौत से ज्यादा अर्थव्यवस्था बर्बाद होने की परवाह करती है तो इसका मतलब ये है कि वो समाज किसी वायरस के बीमार करने से पहले ही बीमार है'।
बांग्लादेश के यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के प्रोफेसर मिजनापुर रहमान का कहना है कि बांग्लादेश की सरकार बांग्लादेश डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट 2018 का इस्तेमाल जनता के खिलाफ कर रही है। प्रोफेसर रहमान का कहना है कि 'हम सब जानते हैं कि सरकार की आलोचना करना देशद्रोह नहीं है और मुश्ताक अहमक दोषी नहीं पाया गया था और उन्हें सिर्फ एक आरोप लगाकर पिछले एक साल से जेल में बंद रखा गया था। और जेल में मुश्ताक का मौत हो जाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।'