बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया को सुप्रीम कोर्ट की ओर से मिली जमानत
बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस फैसले पर अपनी मोहर लगा दी है जिसमें विपक्ष की नेता और पूर्व पीएम खालिदा जिया को चार माह की जमानत दी गई थी। फरवरी में खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के मामले में पांच वर्ष की सजा सुनाई गई थी। वह पिछले तीन माह से ज्यादा समय से जेल में हैं।
ढाका। बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस फैसले पर अपनी मोहर लगा दी है जिसमें विपक्ष की नेता और पूर्व पीएम खालिदा जिया को चार माह की जमानत दी गई थी। फरवरी में खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के मामले में पांच वर्ष की सजा सुनाई गई थी। वह पिछले तीन माह से ज्यादा समय से जेल में हैं। दोनों पक्षों के वकीलों ने कहा है कि बुधवार को आए फैसले का मतलब यह नहीं है कि जिया को जेल से सिर्फ इसलिए रिहा कर दिया जाए क्योंकि वह तीन और केस में गिरफ्तार हो चुकी हैं।
सरकार ने किया जमानत का विरोध
खालिदा जिया पर अपनी शक्ति के दुरुपयोग और करीब 250,000 डॉलर के हेरफेर का आरोप साबित हुआ है। खालिदा जिया इस सजा के बाद दिसंबर में होने वाले संसदीय चुनावों में किस्मत नहीं आजमा सकती हैं। बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार की ओर से हाई कोर्ट की ओर से जमानत के फैसले का विरोध करने वाली याचिका दायर की गई थी। जिया की पार्टी का कहना है कि फरवरी में जो फैसला कोर्ट ने दिया वह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। वहीं सरकार ने हमेशा से ही जिया के इस आरोप को खारिज कर दिया। खालिदा जिया के अलावा उनके बेटे के खिलाफ 2008 से ढाका कोर्ट में भ्रष्टाचार का मामला चल रहा था। जिस समय खालिदा जिया को सजा सुनाई गई थी, उन्होंने अपने समर्थकों से कहा था कि वह एक दिन जरूर वापस आएंगी।
क्या है पूरा मामला
जिया और उनके बेटे व बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तारिक रहमान सहित पांच अन्य के खिलाफ जिया ऑर्फनेज ट्रस्ट के लिए जारी 2.1 करोड़ टका (1.63 करोड़ रुपए) विदेशी चंदे के गबन करने के आरोप हैं।ट्रस्ट में भ्रष्टाचार को लेकर खालिदा जिया के खिलाफ 2008 में मामला दर्ज हुआ था। भ्रष्टाचार रोधी आयोग (एसीसी) ने खालिदा, उनके बेटे तारिक रहमान और चार अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था। 2001 से 2006 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं खालिदा कुल 37 मामलों में आरोपी हैं। जिया को ढाका के एक स्पेशल कोर्ट-5 ने फैसला सुनाया था। जिया ने 30 नवंबर 2014 को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में खुद को अलग कर लिया था।