ट्रांसजेंडरों के लिए बांग्लादेश ने उठाया बड़ा कदम, खुला पहला मदरसा
नई दिल्ली: भारत के बाद अब उसका पड़ोसी देश बांग्लादेश भी ट्रांसजेंडरों की बेहतरी के लिए काम कर रहा है। जिसके तहत राजधानी ढाका में ट्रांसजेंडरों के लिए एक मदरसा खोला गया है। बांग्लादेश जैसे मुस्लिम बाहुल्य देश में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अपने आप में ये पहली पहल है। किसी भी उम्र के 100 से ज्यादा ट्रांसजेंडर इस गैर-आवासीय मदरसे में शिक्षा हासिल कर सकेंगे। कामरंगखार के लोहार ब्रिज ढाल में खुले इस मदरसे में अभी फिलहाल 40 ट्रांसजेंडरों ने दाखिला लिया है।
इस्लामिक शिक्षा के अलावा मदरसा प्रबंधन ट्रांसजेंडरों के लिए तकनीकी शिक्षा शुरू करने का प्लान बना रहा है। बांग्लादेश सरकार ने 2013 में हिजड़ा कम्यूनिटी को थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता देते हुए एक पॉलिसी बनाई थी। इसके अगले साल चुनाव आयोग ने उन्हें मतदान का अधिकार दिया। इसके बाद कई ट्रांसजेंडरों ने चुनाव भी लड़ा। वहीं ट्रांसजेंडर समुदाय का कहना है कि जब वो शिक्षा हासिल करेंगे तो रोजगार भी पा लेंगे। ऐसे में उन्हें इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा।
जानिए देश की पहली ट्रांसजेंडर पीठासीन पदाधिकारी के बारे में, रह चुकी हैं फेस ऑफ पटना
मदरसे के शिक्षक अब्दुल अजीज हुसैनी के मुताबिक ये पूरी दुनिया के लिए यादगार दिन है, क्योंकि ट्रांसजेंडरों के लिए पहना इस्लामिक स्कूल शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर काफी उपेक्षाओं का शिकार होते हैं। ना ही वो अच्छी शिक्षा हासिल कर पाते और ना ही मस्जिद में नमाज अदा कर पाते हैं। ऐसे मे अब उनका जीवन थोड़ा आसान हो जाएगा। वहीं मदरसे में दाखिला लेने वाले एक ट्रांसजेंडर ने कहा कि जब वो 5-6 साल के थे तो उन्होंने घर छोड़ दिया था। अब वो इतने सालों बाद मदरसे में कदम रख रहे हैं, जो उनके लिए बेहद खुशी का पल है।