बांग्लादेश चुनाव: जानिए शेख हसीना की जीत और चुनावों से जुड़ी सात खास बातें
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ढाका। बांग्लादेश आवामी लीग की बड़ी जीत के साथ ही पार्टी की मुखिया प्रधानमंत्री शेख हसीना तीसरी बार देश की सत्ता में लौटने की तैयारी कर चुकी हैं। रविवार को हुए चुनावों में शेख हसीना अजेय रही हैं। हालांकि विपक्ष ने इन चुनावों के नतीजों को मानने से इनकार कर दिया है। विपक्ष ने चुनावों में धांधली का आरोप लगाते हुए एक तटस्थ कार्यवाहक सरकार की अगुवाई में फिर से चुनावों की मांग कर डाली है। हसीना की पार्टी आवामी लीग को 298 में से 287 सीटें हासिल हुई हैं। वहीं विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) को सिर्फ सात सीटें ही हासिल हो सकीं। चुनाव आयोग ने कहा है कि चुनावों में गड़बड़ी के जो आरोप लग रहे हैं उसकी जांच कराई जाएगी। यह भी पढ़ें-बांग्लादेश चुनाव: भारत के लिए क्यों जरूरी है शेख हसीना के लिए चुनाव जीतना?
चुनावों दौरान हुई हिंसा
रविवार को हुए चुनावों में हिंसा भी देखने को मिली। आवामी लीग और बीएनपी के समर्थकों के बीच हुई झड़प और हिंसा में कम से कम 18 लोगों की मौत हुई तो कुछ घायल भी हुए। चुनाव प्रचार के दौरान भी देश के कई हिस्सों में हिंसा की खबरें मिली थीं। चुनावों से पहले हसीना के विपक्षियों को डराने और उनकी गिरफ्तारी की आशंका के चलते बीएनपी के समर्थक भड़क गए थे। विपक्ष की अगुवाई कर रहे कमाल हुसैन ने चुनावों में धांधली और वोटों में चालबाजी करने का आरोप लगाया।
चुनावों में लगा धांधली का आरोप
उनका दावा है कि चुनावों के लिए जिस निष्पक्षता और स्वतंत्रता की उम्मीद की जा रही थी, वह गायब नजर आई। न्यूज एजेंसी रायटर्स ने हुसैन के हवाले से लिखा है कि वोटिंग खत्म होने के बाद भी गठबंधन के करीब 100 लोगों को चुनाव से बहार कर दिया गया था। हुसैन ने अब चुनाव आयोग से अपील की है कि इन चुनावों को गैर-कानूनी घोषित किया जाए और नए सिरे से चुनाव कराए जाएं।
छह लाख सुरक्षाकर्मियों के साए में चुनाव
पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था काफी सख्त थी। चुनावों के दौरान करीब छह लाख सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था। इन छह लाख सुरक्षाकर्मियों में कई हजार सैनिक और पैरामिलिट्री फोर्स के जवान थे। राजधानी ढाका में सड़कें खाली थीं, दुकानें बंद थीं और मोबाइल इंटरनेट सर्विस को भी ठप कर दिया गया था। बांग्लादेश की मीडिया की खबरों पर अगर यकीन करें तो ढाका के कई बूथों पर पोलिंग एजेंट्स ही नहीं थे।
कुछ जगहों पर होंगे दोबारा चुनाव
चुनाव आयोग के मुताबिक जहां पर हिंसा की वजह से वोटिंग पर असर पड़ा है, वहां पर फिर से चुनाव कराए जाएंगे। एक चुनाव क्षेत्र पर कुछ दिनों पहले एक उम्मीदवार की मौत हो गई थी और अब यहां पर अगले कुछ दिनों में फिर से वोटिंग कराई जाएगी।
बहुत ही खराब वोटर टर्न आउट
रायटर्स की मानें तो बांग्लादेश में वोटर टर्नआउट बहुत ही खराब रहा है। कुछ वोटर्स का आरोप था कि सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उन्हें बूथ में दाखिल होने से ही रोक दिया। वोटर्स की मानें तो उनकी जगह पर किसी और ने वोट डाल दिया। चुनाव आयोग ने सोमवार को वोटर टर्नआउट की संख्या जारी करने के लिए कहा है।
साल 2008 के बाद दो पार्टियों के बीच मुकाबला
साल 2008 के बाद से यह पहला मौका है जब दो बड़ी पार्टियां आवामी लीग और बीएनपी ने चुनावों में हिस्सा लिया है। साल 2014 में मुख्य विपक्ष बीएनपी ने चुनावों को बहिष्कार कर दिया था। 300 उम्मीदवारों में से 153 उम्मीदवारों का चुनाव बिना वोटिंग के ही हो गया था। बांग्लादेश में रविवार को 300 में से 299 सीटों पर वोट डाले गए थे।
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10 वर्षों से शेख हसीना का शासन
शेख हसीना पिछले 10 वर्षों से बांग्लादेश पर शासन कर रही हैं। जहां उन्हें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है तो वहीं उन पर तानाशाही के आरोप भी लगते रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बांग्लादेश की पीएम हसीना को मानवाधिकारों के हनन के आरोप भी झेलने पड़े हैं। मीडिया ने भी उन पर उसकी आवाज दबाने की बात तक कह डाली है। दूसरी ओर हसीना हमेशा ही इन सभी बातों को निराधार करार देती आई हैं।