भारत-चीन के टकराव के बीच एशिया के दो देशों में जंग, बॉर्डर के हिस्से की वजह से अर्मेनिया-अजरबैजान में युद्ध
कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे अर्मेनिया और अजरबैजान आखिरकार एक दूसरे से भिड़ गए हैं। इन दोनों देशों के बीच जंग शुरू हो चुकी है। पिछले कई दशकों से इन देशों के बीच नागोरनो-काराबख बॉर्डर के एक हिस्से को लेकर विवाद चल रहा था। दोनों देश आखिरी बार साल 2008 में आमने-सामने थे। पिछले दिनों में हालात काफी तनावपूर्ण हो गए हैं और अब जंग जारी है। अब तक 23 जवानों की मौत हो गई लंदन। कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे अर्मेनिया और अजरबैजान आखिरकार एक दूसरे से भिड़ गए हैं। इन दोनों देशों के बीच जंग शुरू हो चुकी है। पिछले कई दशकों से इन देशों के बीच नागोरनो-काराबख बॉर्डर के एक हिस्से को लेकर विवाद चल रहा था। दोनों देश आखिरी बार साल 2008 में आमने-सामने थे। पिछले दिनों में हालात काफी तनावपूर्ण हो गए हैं और अब जंग जारी है। अब तक 23 जवानों की मौत हो गई है और 100 से ज्यादा घायल हैं। बताया जा रहा है कि मृतकों में दो आम नागरिक भी शामिल हैं।
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एक-दूसरे पर लगाए आरोप
अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक अजरबैजान के राष्ट्रपति ने देश के नाम अपने संबोधन में लोगों को भरोसा दिलाया है कि उनकी सेना को कुछ ही नुकसान हुआ है, लेकिन जंग जारी है। दूसरी ओर अर्मेनिया का दावा है कि उन्होंने अपने एक्शन में अजरबैजान के चार हेलीकॉप्टर, तीन दर्जन टैंक और अन्य सेना के वाहनों को खत्म कर दिया है। नागरनो-काराबख इलाके को लेकर ये पूरा विवाद है, जो कि अब अजरबैजान में पड़ता है लेकिन अभी अर्मेनिया की सेना का यहां पर कब्जा है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, इसी इलाके के पास रिहायशी क्षेत्र में गोलीबारी शुरू हो गई जिसकी वजह से हालात युद्ध के बन गए। अब अजरबैजान ने बॉर्डर से सटे इलाकों में मार्शल लॉ लागू कर दिया है, सड़कों पर सेना चल रही है और चारों ओर टैंक ही टैंक हैं। दूसरी ओर अर्मेनिया का कहना है कि जंग की शुरुआत अजरबैजान ने की है, ऐसे में वो पीछे नहीं हटेंगे। अर्मेनिया और अजरबैजान पड़ोसी देश हैं और एशिया का ही हिस्सा हैं। सोवियत संघ में बंटवारे से पहले दोनों देश इसके तहत आते थे। अब दोनों देशों की सीमाएं यूरोप के एकदम करीब हैं। अर्मेनिया की दूरी भारत से करीब चार हजार किलोमीटर है।
क्या है दोनों देशों के बीच जारी विवाद
अर्मेनिया और अजरबैजान ईरान और तुर्की के बीच में आते हैं। 80 के दशक के आखिर में जब सोवियत संघ का पतन शुरू हो गया तो उसके बाद दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ता गया। दोनों देशों के बीच नागरनो-काराबख इलाके को लेकर कई दशकों से विवाद जारी है। यह इलाका अर्मेनिया और अजरबैजान के बॉर्डर पर पड़ता है। सन् 1991 में भी दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति बनी थी। लेकिन तीन साल के संघर्ष के बाद रूस ने दखल दिया और 1994 में सीजफायर हुआ। वर्तमान समय में तो नागरनो-काराबख अजरबैजान में पड़ता है, लेकिन यहां अर्मेनिया के हिस्से के लोग अधिक हैं ऐसे में अर्मेनिया की सेना ने इसे अपने कब्जे में लिया हुआ है। करीब चार हजार वर्ग किमी का ये पूरा इलाका पहाड़ी है और अक्सर यहां पर तनाव की स्थिति बनी रहती है। जिस वजह से आज दोनों देशों के बीच जंग छिड़ी है उसकी शुरुआत साल 2018 में हुई थी। उस समय दोनों सेना ने बॉर्डर से सटे इलाके में अपनी सेनाओं को बढ़ा दिया था। यूरोप के कई देशों ने दोनों देशों से शांति की अपील की है।