अयमान अल-जवाहरी का 'प्रोजेक्ट इंडिया' क्या था? दो वीडियो में बताया था भारत में जिहाद का फॉर्मूला
अल-जवाहरी जब भी भारत का जिक्र करता था, उसका मुख्य ध्यान कश्मीर पर रहता था और कश्मीर के सहारे वो भारतीय मुसलमानों को भी संबोधित करने की कोशिश करता था।
नई दिल्ली, अगस्त 02: अमेरिका पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला करने वाला अयमान अल-जवाहिरी आखिरकार मार दिया गया है और अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में जब वो अपने घर के बालकनी में टहलने आया था, उसी वक्त अमेरिकी ड्रोन हमले में उसे उड़ा दिया गया। अयमान अल-जवाहिरी के मारे जाने के साथ ही विश्व के सबसे खतरनाक इस्लामिक आतंकियों की लिस्ट से एक खतरनाक आतंकवादी खत्म हो गया है। अयमान अल-जवाहिरी ने 2001 के बाद से कई मौकों पर भारत का जिक्र किया था और उसने उपमहाद्वीप में जिहाद को अफगान अमीरात के विस्तार के साधन के रूप में देखा, और "(मुस्लिम) राष्ट्र (के लिए) अफगानिस्तान, कश्मीर, बोस्निया-हर्जेगोविना और चेचन्या में लड़ाई" के "धार्मिक कर्तव्य" के बारे में लिखा।
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अल-जवाहरी का 'प्रोजेक्ट इंडिया'
साल 1996 में अलकायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन ने "तजाकिस्तान, बर्मा, कश्मीर, असम, फिलीपींस, पट्टनी, ओगाडेन, सोमालिया, इरिट्रिया, चेचन्या और बोस्निया-हर्जेगोविना में नरसंहार" की निंदा की थी और उसने पूरे क्षेत्र में मुस्लिम राष्ट्र बनाने का ऐलान किया था। हालांकि, ऐसा हो नहीं पाया और अमेरिका पर हमला करने के बाद ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में घुसकर अमेरिकी सेना ने मार दिया था और अब जवाहिरी को मिसाइल से उड़ा दिया गया है। ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अल-जवाहिरी ने अलकायदा की कमान संभाल ली थी और वो समय समय पर वीडियो जारी करता रहा था, जिसमें उसने भारत का कई बार जिक्र किया था। अल-जवाहिरी ने बड़े पैमाने पर पश्चिमी शक्तियों के खिलाफ इस्लाम के युद्ध पर ध्यान केंद्रित किया था।
भारत में कश्मीर पर ज्यादा बात
अल-जवाहरी जब भी भारत का जिक्र करता था, उसका मुख्य ध्यान कश्मीर पर रहता था और कश्मीर के सहारे वो भारतीय मुसलमानों को भी संबोधित करने की कोशिश करता था। अपने कई वीडियो में जवाहिरी ने कश्मीर के बारे में बात की और कश्मीर के लिए मुसलमानों को लड़ने के लिए उकसाने की कोशिश की। सितंबर 2003 में एक मौके पर, उसने पाकिस्तान में मुसलमानों को चेतावनी देते हुए कहा था, कि मुशर्रफ पाकिस्तानी मुसलमानों को भारत के हिंदुओं के हाथों में सौंपकर देश छोड़कर फरार हो जाएंगे और जो पैसा उन्होंने जमा किया है, उससे वो मौज करेंगे। जवाहिरी ने ये बयान इसलिए दिया था, क्योंकि मुशर्रफ ने अलकायदा के खिलाफ अमेरिका की मदद की थी और जवाहिरी के बयान के बाद पाकिस्तानी मुसलमानों ने मुशर्रफ की काफी आलोचना की थी।
भारत पर केन्द्रित दो वीडियो
वैसे तो अल जवाहिरी ने कई बार भारत के खिलाफ जहर उगला था, लेकिन साल 2014 और 2022, दो ऐसे मौके थे, जब उसने अपने वीडियो में पूरी तरह से ध्यान भारत पर ही केन्द्रिय करके रखा था। ये भारतीय-केंद्रित वीडियो अल जवाहिरी ने अपने फॉलोवर्स के लिए तैयार किए थे और भारत में जिहाद कैसे फैलाया जाए और भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी कट्टरता को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इसके बारे में संदेश दिया था। इन दोनों वीडियो में उसके दृष्टिकोण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आईं थाीं। हालांकि, हम वो वीडियो अपनी इस खबर में एंबेड नहीं करेंगे, क्योंकि हम नहीं चाहते हैं, कि किसी आतंकवादी के खतरनाक, जहरीले, और नफरत भरे वीडियो को आगे बढ़ाएं। लेकिन, उसकी जिहादी मानसिकता क्या थी, उसके बारे में आपको जानना और ऐसे मानसिकता वाले आतंकियों से सतर्क रहना जरूरी है।
2014: भारतीय उपमहाद्वीप में जिहाद
साल 2011 में ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में अमेरिकी कमांडोज ने घुसकर मारा था और उसके बाद जवाहिरी ने अलकायदा की कमान संभावी थी और फिर उसके बाद अल-जवाहिरी ने भारतीय उपमहाद्वीप में जिहाद फैलाने का खांका खींचना शुरू कर दिया और इसके लिए उसने ऑपरेशंस को अंजाम देने के लिए मोर्चा बनाना शुरू कर दिया। इसके लिए जवाहिरी ने साल 2014 में एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उसने "जमात क़ैदत अल-जिहाद फ़िशिभी अल-क़रत अल-हिंडिया" या "भारतीय उप-महाद्वीप में जिहाद के आधार का संगठन" के गठन की घोषणा की थी, और एक संदेश दिया था, कि अल-कायदा भारत में अपने मुस्लिम भाइयों को नहीं भूला है। उसने कहा था कि, जिहादी ब्रिटिश भारत की सीमाओं को तोड़ देंगे और उपमहाद्वीप में मुसलमानों को एकजुट होने के लिए कहेंगे। उसका उद्येश्य यह था, कि जिहादी मुसलमान, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान को एक करेंगे और मुस्लिम शासन की स्थापना करेंगे।
वीडियो में किया था बड़े-बड़े दावे
अपने वीडियो में संबोधन में अल-जवाहिरी ने वादा किया था, कि अल-कायदा पूरे क्षेत्र में अपने अभियानों का विस्तार करेगा और ये क्षेत्र "बर्मा, कश्मीर, इस्लामाबाद, बांग्लादेश " थे। उसने कहा था कि, "हम आपको नहीं भूले हैं और आपको अन्याय और उत्पीड़न से मुक्त करेंगे। " उसने आगे कहा था कि, नई शाखा विशेष रूप से "एक संदेश है कि हम आपको, भारत में हमारे मुस्लिम भाइयों को नहीं भूले हैं"। अल-जवाहिरी ने अल-कायदा के नए उपमहाद्वीप सहयोगी के प्रमुख के रूप में एक "मौलाना असीम उमर" को नामित किया था, लेकिन यह आतंकवादी साल 2019 में अफगानिस्तान हमले में मारा गया था, और भारतीय उपमहाद्वीप (AQIS) में अल-कायदा के नये नेता की हत्या की घोषणा करते हुए अफगान अधिकारियों ने कहा था, कि उमर पाकिस्तानी था। बाद में यह पता चला कि उमर वास्तव में भारतीय था, जिसका जन्म उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुआ था। AQIS ने उपमहाद्वीप में कई आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर्स की भीषण हत्याएं भी शामिल हैं।
2022: कर्नाटक हिजाब विवाद
इस साल अप्रैल में अल-जवाहिरी ने एक वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने भारत में हिजाब विवाद की बात की थी और उपमहाद्वीप में मुसलमानों से "बौद्धिक रूप से, मीडिया का उपयोग करके और युद्ध के मैदान में हथियारों के साथ" इस्लाम पर कथित हमले से लड़ने का आह्वान किया था। उससे पहले कई रिपोर्ट्स में कहा गया था कि, जवाहिरी की मौत हो गई चुकी है, लेकिन भारत में कर्नाटक हिजाब विवाद पर बोलकर जवाहिरी ने एक तरह से संदेश देने की कोशिश की थी, कि वो ना सिर्फ जिंदा है, बल्कि अभी भी एक्टिव है। कर्नाटक हिजाब विवाद के अलावा भी उसने कुछ और वीडियो जारी किए थे, जिसमें उसने इस्लाम और जिहाद को लेकर मुसलमानों को संबोधित किया था और जिहाद में शामिल होने का आह्वान किया था। अल-कायदा के मुखपत्र अस-साहब मीडिया द्वारा अप्रैल में जारी लगभग नौ मिनट के वीडियो में, जवाहिरी ने कर्नाटक के छात्र मुस्कान खान की प्रशंसा की थी, जिसने हिंदू भीड़ द्वारा चिल्लाए जाने के बाद अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाए थे। फरवरी 2022 में "जय श्री राम" के नारे लगाने के बाद उसने ''अल्लाह-ह-अकबर'' के नारे लगाए थे। अल-जवाहिरी ने कहा था, कि उसके "तकबीर के उद्दंड नारे" के रूप में उन्होंने "हिंदू बहुदेववादियों की भीड़" को चुनौती दी थी, उन्होंने "जिहाद की भावना को बढ़ाया" और मुस्लिम समुदाय को फिर से जगाया।
वीडियो में जवाहिरी ने क्या कहा था?
वीडियो की शुरुआत में जवाहिरी ने मुस्कान खान की तारीफ की थी और फिर अल-जवाहिरी ने मुसलमानों को संबोधित किया था और कहा था, कि 'मुस्कान खान ने पवित्र और शुद्ध मुस्लिम उम्मा और भ्रष्ट बहुदेदवादी और नास्तिक दुश्मनों के बीच के संघर्ष को उजागर किया है। अल्लाह उसे एक हीन भावना से पीड़ित मुस्लिम बहनों को एक व्यावहारिक सबक देने के लिए बहुत पुरस्कृत करे'। जवाहिरी ने कहा था, कि "अल्लाह उसे हिंदू भारत की वास्तविकता और उसके बुतपरस्त लोकतंत्र के धोखे को उजागर करने के लिए पुरस्कृत करे।" अल-जवाहिरी ने आगे एक कविता पढ़ा था और कहा था कि, "उनकी तकबीर ने मुझे कविता की कुछ पंक्तियां लिखने के लिए प्रेरित किया है, इस तथ्य के बावजूद कि मैं कवि नहीं हूं। मुझे उम्मीद है कि हमारी आदरणीय बहन मुझसे शब्दों के इस उपहार को स्वीकार करेगी।"
9/11: अल-जवाहिरी का सबसे बड़ा पल
उपनगरीय काहिरा से एक अच्छी तरह से जुड़े उच्च मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे अल-जवाहिरी एक लड़ाकू के बजाय एक बुद्धिजीवी कहा जाता था। कहा जाता है कि, उसने एक छात्र के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था और उसे कविताएं सुनने का बहुत शौक था, लेकिन बचपन से ही वो कट्टरपंथी विचारधारा के प्रति आकर्षित होता चला गया और मुसलमानों के खिलाफ बात करने वालों के सर काटने और पूरी दुनिया में 'इस्लाम का परचम' लहराने की बात करने लगा था और जब वो बड़ा हुआ, तो मिस्र की सरकार से डरकर वो भाग गया। किशोरावस्था में वो इस्लामवादी विचारक सैयद कुतुब की शिक्षाओं के प्रति आकर्षित था और फिर अल-जवाहिरी मुस्लिम ब्रदरहुड में शामिल हो गया। जब वह सिर्फ 14 वर्ष के था, तभी से वो कट्टरपंथी विचारधारा के लिए काम करने लगा था। कुतुब, जिनकी रचनाएँ 'मील के पत्थर' और 'कुरान की छाया में' वैश्विक इस्लामवादी के लिए मूलभूत ग्रंथ हैं, वो उसे काफी पसंद था।
डॉक्टर के तौर पर लिया प्रशिक्षण
इसके बाद के वर्षों में, अल-जवाहिरी एक डॉक्टर के रूप में प्रशिक्षण लिया और फिर आंखों का डॉक्टर बन गया। उसने 1978 में काहिरा विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र के छात्र अज़ा नोवारी से शादी की थी और कॉन्टिनेंटल होटल में आयोजित उनकी शादी ने उस समय के उदारवादी काहिरा में लोगों का ध्यान आकर्षित किया था। उसकी शादी में पुरुषों को महिलाओं से अलग कर दिया गया था और शादी समारोह से फोटोग्राफरों और संगीतकारों को दूर रखा गया। साल 1981 में मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या के बाद अल-जवाहिरी गिरफ्तार कर लिया गया था और फिर उसे प्रताड़ित किया गया था। तीन साल जेल में रहने के बाद, वह देश छोड़कर भाग गया, और सऊदी अरब में चिकित्सा का अभ्यास करने लगा। वहां वह ओसामा बिन लादेन के संपर्क में आया। उसने पहली बार 1985 में पाकिस्तान का दौरा किया था, जहां ओसामा बिन लादेन की काफी इज्जत थी और पाकिस्तान सरकार ने ओसामा बिन लादेन को सारी सुविधाएं दे रखीं थीं और फिर दोनों एक साथ ही काम करने लगे।
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