अफगानिस्तान में अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले एकमात्र सिख नेता थे अवतार सिंह खालसा
रविवार को अफगानिस्तान के जलालाबाद में एक बस पर आत्मघाती हमला हुआ जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई। हिंदुओं और सिखों को निशाना बनाकर किए गए इस हमले में अफगानिस्तान के इकलौते सिख राजनेता अवतार सिंह खालसा की भी मौत हो गई है। हमला जलालाबाद के ननगरहार प्रांत में हुआ था।
काबुल। रविवार को अफगानिस्तान के जलालाबाद में एक बस पर आत्मघाती हमला हुआ जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई। हिंदुओं और सिखों को निशाना बनाकर किए गए इस हमले में अफगानिस्तान के इकलौते सिख राजनेता अवतार सिंह खालसा की भी मौत हो गई है। हमला जलालाबाद के ननगरहार प्रांत में हुआ था। खालसा अक्टूबर में होने वाले संसदीय चुनावों में अपनी किस्मत आजमाने की तैयारी कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की निंदा की है। जिस बस पर हमला हुआ उसमें सिर्फ सिख और हिंदु समुदाय के ही लोग सवार थे।
राष्ट्रपति अशरफ घनी से मिलने जा रहे थे खालसा
52 वर्षीय अवतार सिंह खालसा अफगानिस्तान की हिंदु और सिख समुदाय के लिए आरक्षित एकमात्र सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। जिस समय हमला हुआ वह राष्ट्रपति अशरफ घनी से मिलने जा रहे थे। राष्ट्रपति घनी तीन दिनों जलालाबाद दौर पर थे और एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने के लिए रवाना हुआ था। खालसा इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे। जहां हमले में खालसा की मौत हो गई तो वहीं उनके बेटे नरेंद्र सिंह खालसा सुरक्षित हैं। नरेंद्र, अफगानिस्तान में यूनानी दवाओं के डॉक्टर हैं। खालसा के घर में उनकी पत्नी और चार बच्चे हैं।
अपनी जान की भी नहीं थी परवाह
हाल ही में अफगानिस्तान की स्थानीय मीडिया को दिए इंटरव्यू में खालसा ने कहा था, 'मैं सिर्फ हिंदु और सिख भाईयों की सेवा ही नहीं करना चाहता हूं बल्कि हर अफगानी नागरिक की सेवा करना चाहता हूं और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह किस धर्म से हैं या किस संगठन से आते हैं। मैं अपनी जिंदगी उन भाईयों के लिए समर्पित करना चाहता हूं जो हर तरह के दर्द और तकलीफ को झेलते आ रहे हैं।' खालसा की मानें तो उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि अपने मकसद को हासिल करने के लिए उन्हें अपनी या अपने परिवार की जिंदगी को बलिदान करना पड़े। उन्होंने कहा था कि वह अफगानिस्तान के लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहेंगे।
एक लोकप्रिय सिख नेता थे खालसा
खालसा, अफगान सिख एंड हिंदु काउंसिल के अध्यक्ष रह चुके थे। उन्हें शनिवार को बाकी उम्मीदवारों के साथ ही चुनाव चिन्ह दिया गया था। काबुल में भारतीय दूतावास के एक अधिकारी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक अवतार सिंह खालसा एक लोकप्रिय नेता थे। वह काबुल से जलालाबाद तक का सफर तय करके सिर्फ इसलिए आए थे क्योंकि उन्हें राष्ट्रपति अशरफ घनी से मुलाकात करनी थी। राष्ट्रपति ने खालसा और बाकी लोगों को मिलने के लिए बुलाया था। रविवार से खालसा ने चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया था।
आखिरी बार भारतीय राजदूत से मुलाकात
21 जून को खालसा ने भारतीय राजदूत विनय कुमार से मुलाकात की थी। उनसे हिंदुओं और सिखों के लिए एक विद्युत शवदाह गृह स्थापित करने की अपील की थी। खालसा के बेटे नरेंद्र सिंह ने भारतीय मीडिया को बताया कि जब हिंदु और सिखों का अंतिम संस्कार होता था तो अक्सर उन पर पत्थर फेंके जाते थे। बहुत मिन्नतें करने के बाद उन्हें सुरक्षा दी जाती थी और तब कहीं जाकर वह अंतिम संस्कार कर पाते थे।
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