नील प्रकाश: इस्लाम धर्म अपनाकर एक रैपर कैसे बना IS का जिहादी?
केनबरा। ऑस्ट्रेलिया का मोस्ट वॉन्टेड जिहादी नील प्रकाश की आस्ट्रेलियाई नागरिकता को रद्द कर दिया गया है। ऑस्ट्रेलियाई गृह मंत्री पीटर डुटन ने इस्लामिक स्टेट (आईएस) ज्वॉइन करने वाले नील प्रकाश को देश का सबसे खतरनाक शख्स बताते हुए शनिवार को उसकी नागरिकता को छिन ली गई। गृहमंत्री ने कहा कि अगर उसको एक और मौका दिया, तो वह ऑस्ट्रेलियाई नागिरकों के खतरनाक साबित हो सकता है और ऑस्ट्रेलिया उसके लिए एक सुरक्षित स्थान बन सकता है। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों को आदेश देते हुए कहा कि जिहादी नील की ऑस्ट्रेलिया में एंट्री नहीं होनी चाहिए।
कौन है नील प्रकाश?
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में पैदा हुआ नील प्रकाश ने अगस्त 2012 में बौद्ध धर्म छोड़कर इस्लाम धर्म अपनाया था। हालांकि, उसके पिता एक फिजी और मां कंबोडियाई है। इस्लाम धर्म अपनाने के बाद नील ने अपना नाम बदलकर अबू खालिद अल-कंबोडी रख दिया था। पिता एक फिजियाई होने की वजह से नील के पास फिजी की भी नागरिकता थी। नील प्रकाश आईएस ज्वॉइन करने से पहले एक शानदार रैपर बताया जाता है, जो ऑस्ट्रेलिया में ही कई स्टूडियो और प्रोग्राम में अपनी परफॉर्मेंस दे चुका है।
एक रैपर कैसे बना जिहादी?
ऑस्ट्रेलिया में इस्लाम धर्म अपनाने के कुछ महीनों बाद ही नील प्रकाश मलेशिया से होकर सीरिया पहुंच गया। 2013 में सीरिया पहुंचकर उसने दुनिया का सबसे खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ज्वॉइन किया। आतंकी बनने के बाद कई महीनों तक नील ट्विटर पर एक्टिव था और यहां तक वह कई बार मुस्लिम युवाओं को आईएस ज्वॉइन करने के लिए कह चुका था। एक बार नील ने ट्वीट किया था, 'अगर तुम किसी काफिर (गैर मुस्लिम) को मारना चाहते हो तो मुझसे संपर्क करो।' नील के बार में 2015 में एक खबर भी आयी थी कि अमेरिकी हवाई हमले में उसे मार गिराया गया है, हालांकि यह सच नहीं था।
अभी कहा है नील?
अक्टूबर 2016 में नील प्रकाश को तुर्की ने हिरासत में लेकर उसे गिरफ्तार कर लिया। सीरिया में आईएस के गढ़ राक्का में नील एक बार अपने एजेंडो का विस्तार करने कि लिए काम कर रहा था, उसी वक्त तुर्की ने अटैक कर दिया, जिसमें नील एकमात्र आतंकी था जो जिंदा पकड़ा गया। नील प्रकाश इस वक्त दक्षिणी तुर्की के गाजियांटेप जेल में कड़ी सुरक्षा में कैद है। नील स्वीकार कर चुका है कि वह इस्लामिक स्टेट के लिए काम करता था, हालांकि इंटेरोगेशन में बताया कि उसने ऑस्ट्रेलिया में किसी भी हमलें को अंजाम देने जैसा काम नहीं किया है। ऑस्ट्रेलिया लगातार तुर्की से नील के प्रत्यर्पण की गुहार लगाता रहा है, लेकिन तुर्की ने उसे कभी नहीं भेजा। हालांकि, अब ऑस्ट्रेलिया ने ही उसकी नागरिकता को खत्म कर दिया है।
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