ऑस्ट्रेलिया के नए फ़ैसले से चीन को आया ग़ुस्सा, दे डाली चेतावनी
चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून से पैदा हुई आशंकाओं को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया ने हॉन्गकॉन्ग के साथ अपनी प्रत्यर्पण संधि रोक दी है.
चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून से पैदा हुई आशंकाओं को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया ने हॉन्गकॉन्ग के साथ अपनी प्रत्यर्पण संधि रोक दी है.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा है कि नए क़ानून से हॉन्गकॉन्ग के अपने बुनियादी क़ानून की अनदेखी होती है. साथ ही चीन से हॉन्गकॉन्ग की मौजूदा स्वायत्तता का आधार का भी उल्लंघन होता है.
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उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने हॉन्गकॉन्ग के लोगों के वीज़ा की अवधि बढ़ाने की योजना बनाई है और वहाँ से व्यवसाय को यहाँ लाने के लिए भी लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा.
नाराज़ चीन ने ऑस्ट्रेलिया के इस क़दम को अपने आंतरिक मामलों में दख़ल कहा है.
ऑस्ट्रेलिया स्थित चीन के दूतावास ने एक बयान जारी करके कहा है- हम ऑस्ट्रेलिया से अपील करते हैं कि वो तुरंत हमारे मामले में दख़ल देना बंद कर दे अन्यथा ये एक चट्टान उठाकर अपने पैर पर मारने जैसा होगा.
कई देशों ने की कार्रवाई
चीन ने जब से हॉन्गकॉन्ग में नया सुरक्षा क़ानून लागू किया है, कनाडा ने भी प्रत्यर्पण संधि निलंबित कर दी है, जबकि ब्रिटेन ने हॉन्गकॉन्ग के लोगों को नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है.
आलोचकों का कहना है कि इस क़ानून के कारण चीन की सरकार की निंदा करने वालों और प्रदर्शनकारियों को सज़ा देना आसान हो गया है.
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दूसरी ओर हॉन्गकॉन्ग की सरकार का कहना है कि हॉन्गकॉन्ग में व्यवस्था बनाए रखने के लिए ये क़ानून ज़रूरी था. पिछले साल लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के कारण हॉन्गकॉन्ग में हिंसा भी हुई थी.
इस क़ानून की पहुँच कहाँ तक है, ये फ़िलहाल अनिश्चित है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि विदेशी नागरिकों को हॉन्गकॉन्ग में हिरासत में भी लिया जा सकता है.
इस कारण ऑस्ट्रेलिया और कई अन्य देशों ने हॉन्गकॉन्ग में रहने वाले अपने नागरिकों को आगाह किया है. एक लाख से ज़्यादा ऑस्ट्रेलियाई हॉन्गकॉन्ग में रहते हैं.
ऑस्ट्रेलिया के विदेशी मामलों और व्यापार मंत्रालय ने कहा है, "राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर आपको हिरासत में लिए जाने का ख़तरा बढ़ सकता है. अगर आप नए क़ानून को लेकर चिंतित हैं, तो आपको हॉन्गकॉन्ग में बने रहने के बारे में विचार करना चाहिए."
ऑस्ट्रेलिया के पीएम ने कहा है कि उनकी सरकार और अन्य देशों की सरकारों ने हॉन्गकॉन्ग के नए सुरक्षा क़ानून को लेकर अपनी चिंताएँ लगातार ज़ाहिर की हैं.
न्यूज़ीलैंड की सरकार ने भी कहा है कि वो हॉन्गकॉन्ग के साथ अपने रिश्ते की समीक्षा करेगी. न्यूज़ीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून को लेकर उनका देश बहुत चिंतित है.
उन्होंने कहा कि हॉन्गकॉन्ग के लोगों पर इस क़ानून के असर पर उनकी लगातार नज़र बनी हुई है. हॉन्गकॉन्ग के साथ न्यूज़ीलैंड का क़रीबी रिश्ता रहा है.
इससे पहले ऑस्ट्रेलिया और हॉन्गकॉन्ग दोनों अपने अधिकार क्षेत्र के किसी भी व्यक्ति के प्रत्यर्पण की मांग कर सकते थे, जिनकी तलाश किसी मुक़दमे या किसी आपराधिक मामले में होती थी. हालांकि पिछले 10 सालों में ऐसा सिर्फ़ दो ही बार हुआ है.
अन्य प्रस्ताव
प्रत्यर्पण संधि पर रोक के अलावा ऑस्ट्रेलिया ने अपने यहां रह रहे हॉन्गकॉन्ग के निवासियों के वीज़ा को पाँच साल बढ़ाने का प्रस्ताव भी रखा है. इसके तहत आगे चलकर 10 हज़ार लोगों को स्थायी निवासी भी बनने का मौक़ा मिल सकता है.
प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा है कि वीज़ा के संबंध में पेशकश का एक लक्ष्य ये भी है कि हॉन्गकॉन्ग में बिज़नेस करने वाले अगर ऑस्ट्रेलिया आना चाहें, तो वे आ सकते हैं.
हॉन्गकॉन्ग पहले ब्रिटेन का एक उपनिवेश था, जिसे 1997 में चीन को सौंप दिया गया था. लेकिन समझौते के तहत 50 वर्षों तक हॉन्गकॉन्ग की आज़ादी के कुछ पहलुओं को बदला नहीं जा सकता था.
लेकिन ब्रिटेन और कई अन्य पश्चिमी देशों का कहना है कि चीन का नया क़ानून सीधे तौर पर हॉन्गकॉन्ग के लोगों की आज़ादी और अधिकारों के लिए ख़तरा है.
पिछले सप्ताह ही ब्रिटेन ने हॉन्गकॉन्ग के 30 लाख लोगों को पुनर्वास का प्रस्ताव दिया था. जिसकी चीन ने कड़ी आलोचना की थी.
माना जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया की ताज़ा घोषणा से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है. चीन ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है.
दोनों देशों के रिश्ते उस समय बिगड़ना शुरू हुए थे, जब ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जाँच की मांग की थी. इसके जवाब में चीन ने ऑस्ट्रेलिया के निर्यात पर कुछ पाबंदियों की घोषणा कर दी थी.