QUAD: ड्रैगन की नाक में डाली जाएगी नकेल! मोदी, मॉरीसन, बाइडेन और सुगा करेंगे पहली बैठक, इंडो फैसिफिक पर नजर
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा है की QUAD को लेकर जल्द ही भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका की मीटिंग होने वाली है।
नई दिल्ली: चीन के पर कतरने के लिए QUAD देशों की पहली मीटिंग का ऐलान हो गया है। भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के राष्ट्राध्यक्ष बहुत जल्द चीन को घेरने को लेकर मीटिंग करने जा रहे हैं और माना जा रहा है कि चीन के खिलाफ बेहद सख्त फैसले लिए जा सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने जल्द ही क्वाड देशों की मीटिंग करने की पुष्टि कर दी है।
चीन के पर कतरने का प्लान
भारी भरकम रक्षा बजट के जरिए छोटे देशों को डराने और धमकाने की प्लानिंग कर रहे चीन को विश्व की चार महाशक्तियों से सीधी चुनौती मिलने वाली है। चीन के खिलाफ भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के बीच जल्द ही बैठक होने वाली है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा जल्द ही वर्चुअल मीटिंग के दौरान आपस में बैठक करने जा रहे हैं और माना जा रहा है कि इस बैठक में चीन के खिलाफ किसी ना किसी नीति को अंजाम दिया जाएगा।
हिंद
प्रशांत
क्षेत्र
और
साउथ
चायना
सी
के
लिहाज
से
क्वाड
देशों
की
मीटिंग
काफी
महत्वपूर्ण
मानी
जा
रही
है।
खासकर
इंडो
पैसिफिक
रीजन
में
चीन
को
किसी
भी
हाल
में
रोकने
के
लिए
चारों
देश
एक
साथ
काम
कर
रहे
हैं।
क्वाड
के
बारे
में
जानकारी
देते
हुए
ऑस्ट्रेलिया
के
प्रधानमंत्री
स्कॉट
मॉरिसन
ने
कहा
कि
'राष्ट्रपति
जो
बाइडेन
से
बातचीत
के
दौरान
सबसे
पहले
हमने
क्वाड
को
लेकर
बातचीत
की।
ऑस्ट्रलिया
और
अमेरिका
के
लिहाज
से
क्वाड
सेंन्ट्रल
इश्यू
है।
इसके
साथ
ही
आशियान
देशों
के
साथ
भी
मिलकर
हम
इसकी
भागीदारी
को
देख
रहे
हैं।
मैं
क्वाड
देशों
के
नेताओं
के
साथ
पहली
बैठक
को
लेकर
काफी
आशान्वित
हूं।'
क्वाड
देशों
की
जल्द
बैठक
होने
का
अंदाजा
काफी
वक्त
से
लगाया
जा
रहा
था
और
ऑस्ट्रेलियन
प्रधानमंत्री
ने
इसकी
पुष्टि
भी
कर
दी
है।
उन्होंने
क्वाड
के
बारे
में
कहा
कि
'क्वाड
की
बैठक
अपने
आप
में
एक
अलग
तरह
की
बैठक
है
और
क्वाड
को
लेकर
मेरी
बातचीत
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र
मोदी
और
जापान
के
प्रधानमंत्री
से
भी
हो
चुकी
है।
मैं
क्वाड
की
बैठक
और
उसके
बाद
आमने-सामने
होने
वाली
बैठक
को
लेकर
बेहद
उत्सुक
हूं'।
ऑस्ट्रेलियाई
प्रधानमंत्री
ने
कहा
कि
क्वाड
चार
देशों
और
चार
नेताओं
के
बीच
का
वो
संगठन
है
जो
हिंद
प्रशांत
क्षेत्र
में
शांति
और
समृद्धि
के
लिए
काम
करेगा।
QUAD और G7 से चीन घबराया
वहीं, पिछले महीने क्वाड देशों को लेकर एक चारों देशों के विदेश मंत्रियों की व्रचुअल मीटिंग भी हुई थी। मीटिंग के बाद अमेरिकी विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के विदेशमंत्रियों से बात की थी। वहीं एंटनी ब्लिंकेन ने फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी के विदेशमंत्रियों से भी बात की जिसको लेकर चीन को शक है कि उसे घेरने के लिए क्वाड और जी-7 मंच का इस्तेमाल अमेरिका कर रहा है। दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति ने पिछले दिनों चीन को घेरने के लिए सहयोगी देशों को एक साथ लाने का प्लान बनाया था और माना जा रहा है कि अमेरिका अपने इस मिशन में पूरी ताकत के साथ लग चुका है। माना जा रहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन WHO के कोवैक्स स्कीम के तहत 4 बिलियन डॉलर की सहायता राशि दे सकते हैं, जिसका इस्तेमाल उन गरीब देशों कर कोविड वैक्सीन पहुंचाने के लिए होगा, जहां कोरोना काफी कहर बरपा रहा है। अमेरिका के इस कदम को भी चीन शक की निगाहों से देख रहा है। चीन का मानना है कि डब्लूएचओ में वापसी के साथ ही अमेरिका फिर से विश्व का नायक बनने की कोशिश कर रहा है। चीन ये भी मानकर चल रहा है कि अमेरिका आने वाले वक्त में ईरान के साथ न्यूक्लियर विवाद का भी समधान निकालने की तरफ काम करेगा ताकि किसी भी विवाद में अमेरिका ना फंसकर उसके फोकस पर सिर्फ चीन रहे।
एक साथ बदला 4 देशों का डिफेंस प्रोग्राम
भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने अचानक अपने डिफेंस प्रोग्राम को बदल दिया है तो ताइवान, वियतनाम, फिलिपिंस और साउथ कोरिया ने भी अपने हथियारों के जखीरे को बढ़ाना शुरू कर दिया है। जिसके बाद सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर अचानक ऐसा क्या होगा कि ये छोटे देश भी हथियार इकट्ठा करने लगे हैं? इस सवाल का बस एक ही जबाव है। और वो जबाव है चीन। चीन लगातार पड़ोसी देशों की जमीन पर अपना हक जमाता जा रहा है और चीन की विस्तारवादी नीति से हर देश गुस्से में है। साल 2000 के बाद से चीन के कई जहाज लगातार जापान के समुन्द्री इलाके में घुसपैठ कर रहे हैं तो हिंद महासागर में भी चीन नजर जमाए बैठा है। वहीं, भारत और चीन सीमा विवाद में भी चीन ने भारतीय जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की थी। वहीं, पिछले 10 सालों में चीन के ज्यादातर डिफेंस प्लान जापान और भारत को ध्यान में रखकर ही तैयार किए गये हैं लिहाजा भारत और जापान के लिए चीन के खिलाफ जल्द से जल्द मिसाइल और हथियार विकसित करना बेहद जरूरी हो गया है।
दरअसल, पिछले लंबे वक्त से अमेरिका के सहयोगी और मित्र देश स्ट्राइक कैपेबिलिटी के लिए उसपर ही निर्भर रहते थे। जब चीन अपनी मिलिट्री ताकत के साथ उन देशों की समुन्द्री क्षेत्र में दाखिल होता था तो ये देश चीनी सेना को अपनी डिफेंस कैपेबिलिटी से रोक तो लेते थे मगर स्ट्राइक क्षमता का इस्तेमाल जबावी हमला करने में नहीं कर पाते थे। अमेरिका के मित्र देशों को जब लंबी दूरी तक मार करने वाले न्यूक्लियर मिसाइलों की जरूरत होती थी तो उन्हें अमेरिका पर ही निर्भर होना पड़ता था। जिसकी वजह से चीन की हिमाकत और बढ़ती चली गई। दूसरी तरफ चीन लगातार विस्तारवाद में लगा है पड़ोसी देशों की जमीन हो या समुन्द्र, उसे कब्जाने में लगा हुआ है। जिसके बाद अब अमेरिका ने अपने दोस्त देशों को साफ तौर पर कहा है कि वो अपनी अपनी लॉंग रेंज स्ट्राइक केपेबिलिटिज को बढ़ाए और अमेरिका के कहने के बाद जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत ने लंबी दूरी तक मार करने वाली स्ट्राइक केपेबिलिटीज को बढ़ाना शुरू कर दिया है।