हिंद-प्रशांत महासागर में ऑस्ट्रेलिया की नेवी घेरेगी चीन को, मिसाइलों से जवाब देने की तैयारी!
कैनबरा। ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने अब अपनी नेवी को हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। मॉरिसन ने देश की सेनाओं को 270 बिलियन डॉलर देने का ऐलान किया है। उन्होंने रक्षा बजट का ऐलान करते हुए कहा कि अब ऑस्ट्रेलिया को और खतरनाक दुनिया के लिए तैयार रहना होगा। बुधवार को पीएम मॉरिसन ने देश की रक्षा रणनीति के बारे में बताया है।
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चीन की दादीगिरी का जवाब
मॉरिसन ने चीन की दादागिरी को देखते हुए नई रक्षा रणनीति का ऐलान किया है। उन्होंने यह चेतावनी भी दी है कि ऑस्ट्रेलिया को इस समय जिस तरह की चुनौतियां मिल रही हैं, वह दुनिया ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से नहीं देखी हैं। ऑस्ट्रेलियन डिफेंस फोर्स (एडीएफ) को जल्द ही लंबी दूरी की एंटी-शिपिंग मिसाइल मिलेंगी। पीएम मॉरिसन का मकसद नौसेना को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के साथ संभावित टकराव का जवाब देने के लिए तैयार रखना है। पीएम मॉरिसन ने कहा कि यह क्षेत्र अब रणनीतिक प्रतिद्वंदिता का केंद्र बिंदु है।
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बड़े स्तर पर मिलिट्री को किया जाएगा मजबूत
ऑस्ट्रेलिया का मकसद अब चीन को जवाब देने के लिए बड़े स्तर पर मिलिट्री का निर्माण करना है। इसके तहत उसे कई प्रकार के हथियारों से लैस किया जाएगा। मॉरिसन ने ऐलान किया कि 270 बिलियन डॉलर की रमक की आगे एक दशक तक रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने पर खर्च किया जाएगा। इस रकम से हमला करने में सक्षम हथियारों का निर्माण करने, साइबर क्षमताओं को बढ़ाने और हाई-टेक अंडरवॉटर सर्विलांस सिस्टम को डेवलप किया जाएगा। अगले चार सालों के अंदर एडीएफ में 800 सैनिक होंगे जिसमें 650 अतिरिक्त सैनिक नौसेना, 100 एयरफोर्स और 50 सेना के लिए होंगे।
पीएम ने किया भारत-चीन तनाव का जिक्र
पीएम मॉरिसन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया अपने सुपर हॉर्नेट फाइटर जेट्स की स्क्वाड्रन को मजबूती देने के लिए एंटी-शिप मिसाइलों की खरीद और देश की रक्षा रणनीति में बदलाव करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ऑस्ट्रेलिया ने ऐसा कदम मित्र देशों, सहयोगियों और मुख्य भूमि की रक्षा के लिए उठाया है। ऑस्ट्रेलिया की सुपर हॉर्नेट स्क्वाड्रन को नेवी की सबसे मजबूत स्क्वाड्रन माना जाता है। मॉरिसन ने भारत-चीन सीमा विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ देश विस्तारवादी नीति अपना रहे हैं जिसके लिए अब तैयार रहने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि दक्षिणी चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में लगातार तनाव बढ़ रहा है।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बड़ी मिलिट्री डील
पिछले दिनों मॉरिसन ने चीन को दो टूक कह दिया है कि वह 'दादागिरी' से डरने वाले नहीं हैं। मॉरिसन ने कहा था, 'हम एक ओपेन ट्रेडिंग देश हैं, दोस्त लेकिन मैं कभी भी दादागिरी का जवाब देने के लिए हमारी नैतिकता का व्यापार करने नहीं जा रहा हूं चाहे जो हो जाए।' चार जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन के बीच पहली वर्चुअल समिट हुई। इस मीटिंग के दौरान एक डील साइन हुई जिसे म्युचुअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट (एमएलएसए) नाम दिया गया है। इस डील के तहत दोनों देशों की सेनाएं रिपेयर और सप्लाई की पुन: पूर्ति के अलावा रक्षा संबंधों को बढ़ाने के लिए मिलिट्री बेस का प्रयोग कर सकेंगी। भारत ने अमेरिका, फ्रांस और सिंगापुर के साथ इसी तरह का करार किया हुआ है।