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नज़रिया: उत्तर कोरिया-अमरीका के 'खेल' में फंसा दक्षिण कोरिया

भले ही लोग इसे 'पीस ओलंपिक्स' कह रहे थे लेकिन मैं बता दूं कि उत्तर कोरिया के प्योंगचांग में अमन जैसी कोई बात नहीं थी.

स्टेडियम के अंदर और बाहर लगातार भीड़ का शोर था. उत्सुकता का माहौल था कि कौन क्या मैडल जीतेगा.

क्या आपने उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम योंग उन की बहन को देखा? क्या आपको लगता है कि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति उत्तर कोरिया जाएंगे? आगे क्या होगा?

By BBC News हिन्दी
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अमरीका-उत्तर कोरिया
Ed jones/getty images
अमरीका-उत्तर कोरिया

भले ही लोग इसे 'पीस ओलंपिक्स' कह रहे थे लेकिन मैं बता दूं कि उत्तर कोरिया के प्योंगचांग में अमन जैसी कोई बात नहीं थी.

स्टेडियम के अंदर और बाहर लगातार भीड़ का शोर था. उत्सुकता का माहौल था कि कौन क्या मैडल जीतेगा.

क्या आपने उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम योंग उन की बहन को देखा? क्या आपको लगता है कि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति उत्तर कोरिया जाएंगे? आगे क्या होगा?

दक्षिण कोरिया के लोग पिछले 60 सालों से उत्तर कोरिया के साथ उतार-चढ़ाव की स्थिति देख रहे हैं.

और अब तो किसी नतीजे पर पहुंचने की उम्मीद पर भी चुपचाप बोलना सीख गए हैं.

लेकिन कई सालों में पहली बार एक छोटी सी उम्मीद की खिड़की नज़र आई है लेकिन ये भी ज़्यादा दिन नहीं रहेगी.

उत्तर कोरिया, अमरीका
Toru yamanaka/getty images
उत्तर कोरिया, अमरीका

आखिर क्या चाहता है अमरीका?

उत्तर कोरिया दक्षिण कोरिया के साथ बैठक कर रहा है और परमाणु हथियारों का मुद्दा उठने पर भी बातचीत बीच में नहीं छोड़ता.

ये बात दक्षिण कोरिया के एकीकरण मंत्री चो म्योंग-ग्योन ने मुझे बताई.

उन्होंने कहा, "हम उत्तर कोरिया से कई बार कह चुके हैं कि दोनों देशों के आपसी रिश्ते सुधारने के लिए कोरियाई प्रायद्वीप से परमाणु हथियार हटाने होंगे. ये ज़रूरी है कि इसे शांति से सुलझाने के लिए उत्तर कोरिया अमरीका से बातचीत करे."

उत्तर कोरिया ने भी कहा है कि वो अमरीका से बात करने के लिए तैयार है. लेकिन अमरीका क्या करना चाहता है?

सोमवार को अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा कि हम बात करना चाहते हैं लेकिन साथ ही उन्होंने जोड़ा कि उचित शर्तों के साथ.

हालांकि उन्होंने नहीं बताया कि ये शर्तें क्या होंगी.

उत्तर कोरिया, अमरीका
EPA
उत्तर कोरिया, अमरीका

अमरीकी नीतियां

लेकिन कुछ घंटों बाद ही एक मुश्किल आन खड़ी हुई.

उत्तर कोरिया में अमरीका के सबसे अनुभवी राजदूत जोसेफ युन ने अपने रिटायर होने की घोषणा कर दी.

उन्होंने मीडिया को बताया कि ये सही समय है और अमरीकी नीतियों पर मतभेद इसकी वजह नहीं है.

जानकार कहते हैं कि जोसेफ युन समझौते और कूटनीति के पक्ष में थे.

उनके जाने से ट्रंप सरकार की उत्तर कोरिया के साथ हो रही कोशिशों को धक्का लग सकता है.

क्योंकि ये कोई आम फैसला नहीं था कि उत्तर कोरिया बातचीत के लिए तैयार हुआ.

उत्तर कोरिया, अमरीका
Getty Images
उत्तर कोरिया, अमरीका

उत्तर कोरिया पर दबाव

युनसेई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन डेलूरी ने कहा कि ये बुरा संकेत है.

वो पूछते हैं, "वो बिना किसी उत्तराधिकारी के क्यों रिटायर हो रहे हैं? कोई भी सीईओ बिना किसी नए व्यक्ति के नाम की घोषणा किए बिना इतने महत्वपूर्ण स्टाफ़ के सदस्य को इस्तीफ़ा देने नहीं देगा. ये तो अच्छी बिज़नेस प्रैक्टिस का मानक है."

उत्तर कोरिया के साथ छोटे से छोटा रिश्ता बनाना बहुत मुश्किल है और इसमें एक विशेषज्ञ की ज़रूरत है.

फ़िलहाल हालत ये है कि अमरीका दक्षिण कोरिया में भी अपना राजदूत नहीं नियुक्त कर पाया है तो उत्तर कोरिया के लिए तो क्या ही कहा जाए.

प्रोफेसर डेलूरी आगे कहते हैं कि बुनियादी कूटनीति के लिए कोई संसाधन नहीं है. ट्रंप सरकार कहती है कि उत्तर कोरिया राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में उनकी प्राथमिकता पर है और फिर भी अपना स्टाफ़ तक वहां नहीं भेज पा रहे हैं.

उन्होंने कहा, "आप सिर्फ़ दबाव बनाने पर ही निर्भर नहीं कर सकते. दबाव भी ज़रूरी है लेकिन इसके साथ-साथ बातचीत भी होनी चाहिए और ये बातचीत शुरू करने का एक मौका है."

व्हॉइट हाउस की प्रवक्ता साराह सेंडर्स ने अमरीका की स्थिति साफ़ करने की कोशिश की.

उन्होंने कहा, "एक बात साफ़ है कि उत्तर कोरिया से किसी भी बातचीत का नतीजा परमाणु हथियारों से छुटकारा ही होना चाहिए. तब तक अमरीका और विश्व जान ले कि उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों का अब अंत आ गया है."

उत्तर कोरिया, अमरीका
EPA
उत्तर कोरिया, अमरीका

दक्षिण कोरिया की कोशिशें

एक तरफ़ जहां अमरीका के पास स्टाफ़ की कमी दिखाई दे रही है, वहीं दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जेइ-इन काफी काम करते नज़र आ रहे हैं.

राष्ट्रपति मून ने उत्तर कोरिया से बातचीत के मुद्दे पर प्रचार किया था और नए साल के भाषण के दौरान उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम योंग-उन के दिए प्रस्ताव का मौका हाथ से नहीं जाने दिया.

राष्ट्रीय महिला आइस हॉकी टीम में उत्तर कोरिया के खिलाड़ियों को शामिल करने का बाद उनकी अप्रूवल रेटिंग में भी इजाफ़ा हुआ. बल्कि एयरपोर्ट पर खिलाड़ियों की विदाई के दौरान लोगों की आंखों में आंसू थे.

लेकिन अब राष्ट्रपति मून वक्त की कमी को देखते हुए अमरीका से कह रहे हैं कि वो बातचीत के लिए अपनी शर्तें कम करे.

वो इस कोशिश में हैं कि पैरालंपिक खेलों के बाद होने वाले साझा सैन्य अभ्यास से पहले कोई प्रगति हो. क्योंकि इससे उत्तर कोरिया भड़कता है और कई बार प्रतिक्रिया में मिसाइल परिक्षण किए हैं.

असल प्रगति हो, इसके लिए वो चाहते हैं कि अमरीका और उत्तर कोरिया इस अभ्यास से पहले साथ बैठें.

उत्तर कोरिया, अमरीका
Getty Images
उत्तर कोरिया, अमरीका

क्या है राष्ट्रपति मून की मंशा?

हेनकुक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर किम येंग-हो इसी बात की वजह से मानते हैं कि ये नरमी बहुत दिन नहीं रहेगी.

उन्हें राष्ट्रपति मून की मंशा पर भी शक है और उन्हें नहीं लगता कि उत्तर कोरिया के साथ कोई प्रगति हुई है.

उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति मून बस कुछ वक्त लेने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वो किम योंग-उन के साथ समिट बैठक कर सकें. हमारे राष्ट्रपति उनसे मिलकर प्रतीकात्मक तौर पर दिखाना चाहते हैं कि उत्तर कोरिया एक सामान्य देश है और वे आपस में बात कर सकते हैं."

"इससे वो अपनेआप नोबेल प्राइज़ के लिए नामजद हो जाएंगे. लेकिन अमरीका और जापान जल्द से जल्द हम पर सैन्य अभ्यास का दबाव बनाएंगे, शायद अप्रैल के आखिर में. मेरे ख्याल से इन सैन्य अभ्यासों के बीच जो कि मई से पहले हर हाल में शुरू हो जाएंगे, हम फिर से तनाव के माहौल में लौट जाएंगे."

उत्तर कोरिया, अमरीका
Reuters
उत्तर कोरिया, अमरीका

परमाणु हथियारों पर बात करेगा?

कई जानकार शक जताते हैं कि उत्तर कोरिया शायद अमरीका से परमाणु हथियारों के बारे में बात करने को तैयार नहीं होगा.

हालांकि किम योंग उन ने दक्षिण कोरिया को फिर से सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि उनकी मिसाइलें दक्षिण कोरिया की ओर नहीं हैं बल्कि अमरीकी आक्रमणकारियों की ओर है और वो पूरे कोरिया के बचाव के काम आ सकती हैं.

उत्तर कोरिया कभी अपनी मिसाइलों से छुटकारा नहीं पाएगा, इस बात पर युनसेई विश्वविद्यालय में रिसर्च फेलो प्रोफेसर बोंग यंग-शिक ने असहमति दिखाई.

उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया की सरकार का आखिरी उद्देश्य सुरक्षा और बने रहने का है.

वह कहते हैं, "अगर परमाणु हथियार और मिसाइलों का होना भी सरकार के बने रहने की गारंटी नहीं है बल्कि धीरे-धीरे सरकार के लिए खतरा बन रहा है, तो सरकार अपने परमाणु हथियार और मिसाइलों से छुटकारा पा लेगी. ये ही तो ट्रंप सरकार की अधिकतम दबाव रणनीति का उद्देश्य है."

लेकिन साथ ही उन्होंने एक चेतावनी भी दी, "अमरीका के अधिकतम दबाव से उत्तर कोरिया शायद खुद को बचाने के लिए इन हथियारों का इस्तेमाल भी कर सकता है. तो ये एक खतरा तो है."

अमरीका और उत्तर कोरिया का इस खेल में बहुत कुछ दांव पर लगा है. दक्षिण कोरिया इस खेल के बीच में फंसा है और जो खुद भी एक नाज़ुक स्थिति में है.

राष्ट्रपति मून ने अपनी तरफ़ से सब किया जो वह कर सकते थे बिना किसी मुख्य खिलाड़ी की मदद के. अब हाथ बढ़ाने की बारी अमरीका की है.

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English summary
Attitude South Korea trapped in Sports of North Korea
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