यूएन में पीएम मोदी ने अपने भाषण के अंत में रवींद्र नाथ टैगोर की कविता बोल कर दिया दुनिया को संदेश
वॉशिंगटन, 25 सितंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधिति किया। इस भाषण का अंत पीएम मोदी ने रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा रचित एक कविता से की। जिसके द्वारा उन्होंने दुनिया को संदेश दिया कि अच्छे काम करते समय कठिनाई आएंगी लेकिन नेक काम करते रहना चाहिए।
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पीएम मोदी ने अपने भाषण के अंत में रवींद्र नाथ की लिखी बंगाली भाषा में कविता बोली
शुभो कर्मोपते धरो निर्भय गान।
सब
दरबल
संशय
होक
अबोसान।
चिरो-
शोकिर
निर्झर
नित्यो
झारे
लाहो
से
अभिषेक
लालतो
पारे।
तबो
जागरोतो
निर्मलो
नटनो
प्राण।
इसके जरिए पीएम मोदी ने यूए के मंच से संदेश देना चाहा कि हर अच्छे कर्म के पथ को पकड़ो और निर्भय होकर आगे बढ़ो। पीएम मोदी ने ये समझाना चाहा कि हमें अच्छे कर्म के पथ पर चलना चाहिए और बिना डरे आगे बढ़ते रहना चाहिए।
पीएम मोदी ने इस अससर पर चाणक्य के द्वारा कही बात को दोहराते हुए कहा
चाणक्य ने सदियों पहले कहा था- जब सही समय पर सही कार्य नहीं किया जाता तो समय ही उस कार्य की सफलता को नाकाम कर देता है। संयुक्त राष्ट्र को खुद में सुधार करना होगा। कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इन सवालों को हमने कोविड और आतंकवाद और अफगान संकट में गहरा कर दिया है।
चाय बेचने वाले का लड़का आज चौथी बार यूएन को कर रहा संबोधित
पीएम
मोदी
ने
कहा
मेरे
भारत
देश
को
मदर्स
ऑफ
डेमोक्रेसी
का
गौरव
हासिल
है
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
यूएन
के
मंच
पर
भारत
का
गुणगान
किया
और
कहा
मैं
उस
देश
का
प्रतिनिधित्व
कर
रहा
हूं
जिसे
मदर्स
ऑफ
डेमोक्रेसी
का
गौरव
हासिल
है।
लोकतंत्र
की
हमारी
हजारों
वर्षों
की
महान
परंपरा
ने
इस
15
अगस्त
को
भारत
ने
अपनी
आजादी
के
75वें
वर्ष
में
प्रवेश
किया।
हमारी
विविधता,
हमारे
सशक्त
लोकतंत्र
की
पहचान
है।
एक
ऐसा
देश
जिसमें
दर्जनों
भाषाएं
हैं,
सैकड़ों
बोलियां
हैं,
अलग-अलग
रहन-सहन,
खानपान
हैं।
ये
मिश्रित
लोकतंत्र
का
बेहतरीन
उदाहरण
है।