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उल्का पिंड के गुजरते ही वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट, कहा- अगले कम से कम 200 सालों तक...

पृथ्वी के नजदीक से गुजरने से बाद अब इस उल्का पिंड को लेकर वैज्ञानिकों ने एक और बड़ी जानकारी दी है...

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नई दिल्ली। पूरी दुनिया में फैले कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच विशाल उल्का पिंड आज पृथ्वी के नजदीक से गुजर गया। भारतीय समय के मुताबिक, 1998 OR2 नाम का यह उल्का पिंड दोपहर करीब 3 बजे पृथ्वी के पास से गुजरा। इस उल्का पिंड को लेकर सोशल मीडिया में तरह-तरह की बातें चल रहीं थी। हालांकि नासा ने यह पूरी तरह स्पष्ट किया था कि इस उल्का पिंड से फिलहाल पृथ्वी को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है। इसके बावजूद इस उल्का पिंड को एक 'संभावित खतरनाक उल्कापिंड' की श्रेणी में रखा गया है। पृथ्वी के नजदीक से गुजरने से बाद अब इस उल्का पिंड को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है।

पिछले दो दशक से चल रही थी रिसर्च

पिछले दो दशक से चल रही थी रिसर्च

नासा के मुताबिक इस उल्का पिंड को पृथ्वी के निकट के उल्का पिंडों को खोजने के एक मिशन के तहत नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में जुलाई 1998 में खोजा गया था। इसके बाद पिछले दो दशक से खगोल विज्ञानी लगातार इस उल्का पिंड का अध्ययन कर रहे थे। अब इस उल्का पिंड के पृथ्वी के नजदीक से गुजरने के बाद खगोल वैज्ञानिकों ने एक बड़ी जानकारी देते हुए बताया, 'हम लोगों ने बेहद सटीकता के साथ 1998 OR2 के कक्षीय प्रक्षेप पथ का अध्ययन किया है और इस अध्ययन के बाद हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि अगले कम से कम 200 सालों तक पृथ्वी पर इस उल्का पिंड का कोई प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है।'

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4 मिलियन मील की दूरी से गुजरा उल्का पिंड

4 मिलियन मील की दूरी से गुजरा उल्का पिंड

खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक, आकार में करीब 1.2 मील चौड़ा 1998 OR2 उल्का पिंड पृथ्वी से लगभग 4 मिलियन मील की दूरी से गुजरा। 1998 OR2 को एक 'संभावित खतरनाक उल्का पिंड' की श्रेणी में रखा गया था, इसलिए इसे लेकर लगातार अध्ययन जारी था। पृथ्वी के पास से गुजरने से पहले आरेसिबो ऑब्जर्वेटरी (बेधशाला) ने इस उल्का पिंड की एक तस्वीर भी जारी की थी, जो अपने आप में काफी चौंकाने वाली थी। आरेसिबो ऑब्जर्वेटरी की तरफ से जारी की गई तस्वीर को देखकर पहली नजर में लगा कि जैसे इस उल्का पिंड ने एक मास्क पहना हुआ है।

उल्का पिंड के ऊपर टोपीनुमा आकृतियां

उल्का पिंड के ऊपर टोपीनुमा आकृतियां

आरेसिबो ऑब्जर्वेटरी में ग्रह संबंधी राडार की प्रमुख ऐनी विर्की ने एक बयान जारी करते हुए बताया, 'इस उल्का पिंड के ऊपर कुछ छोटी-छोटी टोपीनुमा आकृतियां हैं, जो पहाड़ियों की तरह नजर आ रही हैं और जो वैज्ञानिकों को अपनी तरफ काफी आकर्षित करने वाली हैं। लेकिन, इन दिनों हम कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहे हैं, इसलिए पहनी नजर में इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे इस उल्का पिंड ने मास्क पहना हुआ है।'

संभावित खतरे की श्रेणी में क्यों रखा गया

संभावित खतरे की श्रेणी में क्यों रखा गया

ऐनी विर्की का कहना था कि इसे एक 'संभावित खतरनाक' उल्का पिंड के रूप में वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि इसका व्यास 500 फीट से भी ज्यादा है और यह पृथ्वी से करीब 4,650,000 मील की दूरी पर है। ऐनी विर्की ने बताया, 'हालांकि इस उल्का पिंड से पृथ्वी पूरी तरह सुरक्षित है। फिर भी, ऐसे किसी खतरे के प्रभाव और उससे निपटने की तकनीकों को विकसित करने के लिए इस प्रकार के उल्का पिंडों की विशेषताओं को समझना जरूरी और अहम है।'

'2079 में 3.5 गुना ज्यादा नजदीक से गुजरेगा'

'2079 में 3.5 गुना ज्यादा नजदीक से गुजरेगा'

वहीं, नासा ने इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया, '1998 में खोजा गया 1.2 मील चौड़ा ये उल्का पिंड अपनी खोज के बाद से करीब 20 हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा कर रहा है। हालांकि, आने वाले हफ्तों में यह पृथ्वी के आस-पास कही नहीं आ सकता।' दूसरी तरह ऑब्जर्वेटरी की रिसर्चर फ्लेवियन वेंडीटी ने एक बयान जारी करते हुए बताया, 'इस साल की अपेक्षा वर्ष 2079 में यह उल्का पिंड पृथ्वी से करीब 3.5 गुना ज्यादा नजदीक से गुजरेगा।'

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English summary
Asteroid Poses No Possibility Of Impact On Earth For Next 200 Years, Says Astronomers.
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