ASAT: पेंटागन ने नासा के बयान को नकारा, कहा मिसाइल टेस्ट के बाद मलबा जलकर खाक
वॉशिंगटन। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने गुरुवार को कहा कि उसका ऐसा अनुमान है कि भारत की ओर से लॉन्च किया गया एंटी सैटेलाइट वेपन (एसैट) तुरंत ही वातावरण में जल गया है। पेंटागन की ओर से यह बयान तब आया है जब पिछले दिनों अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा के मुखिया की ओर से कहा गया है कि एंटी-सैटेलाइट मिसाइल की वजह से जो मलबा अंतरिक्ष में पैदा हुआ है वह एक बहुत ही खतरनाक है। भारत ने 27 मार्च को एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का टेस्ट किया था जिसने लो अर्थ ऑर्बिट (लियो) में एक सैटेलाइट को नष्ट किया था।
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नासा के बयान से अलग बयान
नासा के मुखिया जिम ब्राइडेनस्टाइन ने सोमवार को कहा था कि पिछले दिनों भारत ने एंटी-सैटेलाइट वेपन यानी एसैट मिसाइल का जो परीक्षण किया है उसकी वजह से अंतरिक्ष में मलबे के 400 टुकड़े पैदा हो गए हैं। नासा की मानें तो यह एक खतरनाक स्थिति है और इसकी वजह से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी नए खतरे पैदा हो गए हैं। लेकिन नासा की ओर से आए इस बयान का कार्यवाहक अमेरिकी रक्षा मंत्री पैट्रिक शैनन ने अपने नए बयान से खंडन किया है।
चीन की वजह से सबसे ज्यादा खतरा
पैट्रिक ने कहा है कि उनका मानना है कि सैटेलाइट का मलबा तुरंत ही अंतरिक्ष में जलकर खाक हो गया होगा। गुरुवार को पेंटागन के प्रवक्ता चार्ली शुमर्स की ओर से भी शैनन के बयान का समर्थन किया गया। साल 2007 में चीन ने पोलर ऑर्बिट में एक सैटेलाइट नष्ट किया था। चीन के टेस्ट की वजह से अंतरिक्ष में 3,000 ऑब्जेक्ट्स मलबे के तौर पर इकट्ठा हो गए थे। इसे अंतरिक्ष के इतिहास में सबसे विशाल मलबे का भंडार माना जाता है। सिक्योर वर्ल्ड फाउंडेशन की ओर से इस बात की पुष्टि की गई थी। चीन ने सैटेलाइट को 800 किलोमीटर की दूरी यानी 500 मील पर नष्ट किया था। इसकी वजह से मलबा ऑर्बिट में ही रह गया और नीचे नहीं गिर पाया या नष्ट नहीं हो सका।
भारत ने किया समझदारी वाला काम
शैनन ने कहा कि भारत ने इस तरह की स्थिति पैदा नहीं है की है क्योंकि भारतीय मिसाइल ने बहुत नीचे स्तर पर सैटेलाइट कारे नष्ट किया था। भारत के टॉप डिफेंस साइंटिस्ट का मानना है कि यह मलबा 45 दिनों में जलकर नष्ट हो जाएगा। व्हाइट हाउस की ओर से गुरुवार को सावधानी वाले अंदाज में कहा गया था कि भारत की सरकार की ओर से जो बयान मलबे के खतरे को कम करने के लिए दिए गए हैं, उससे वह भलीभांति वाकिफ है। अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता गैरेट मारकिस की ओर से कहा गया है कि अमेरिका, एसैट टेस्ट के बाद मौजूद मलबे पर करीब से नजर रखे हुए है ताकि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) की सुरक्षा सुनिश्वित की जा सके।