चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस प्रतिज्ञा से पूरे एशिया में मच गई है खलबली
बीजिंग। दूसरी बार चीन के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद शी जिनपिंग का पूरा फोकस आर्मी पर है। आला अधिकारियों के साथ बैठक (PLA बैठक) में जिनपिंग ने सेना को साफ कह दिया है कि उनका ध्यान सिर्फ जंग जीतने पर होना चाहिए। इतना ही नहीं जिनपिंग ने यह भी प्रतिज्ञा ली है कि 2050 तक चीन वर्ल्ड क्लास आर्मी तैयार कर लेगा। चीन के इस प्रतिज्ञा से पड़ोसी देश (लगभग पूरा एशिया) चिंतित हैं। विश्लेषकों का मानना है कि बीजिंग की सैन्य महत्वाकांक्षा किसी खतरे को न्यौता नहीं देगी। वहीं दूसरी तरफ लड़ाकू विमानों, जहाजों और उच्च तकनीक हथियारों की खरीद और निर्माण के चलते पिछले 30 वर्षों में चीन के सैन्य बजट लगातार बढ़ोत्तरी हुई है। हालांकि अमेरिका की तुलना में यह अभी भी तीन गुना कम है।
जिनपिंग ने कहा- सेना जंग जीतने की तैयारी करे
दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद शी जिनपिंग की ये पहली बैठक थी। बैठक में शी खुद भी मिलिट्री ड्रेस पहन कर आए थे। स्थानीय मीडिया के अनुसार, बैठक में यह तय हुआ है कि हाई रैंकिंग अफसर पार्टी के प्रति वफादार रहेंगे, साथ ही जंग जीतने की तैयारी की जाएगी। जिनपिंग ने बैठक में कहा कि मिलिट्री को लगातार ट्रेनिंग और एक्सरसाइज पर जोर देना चाहिए। इसके साथ ही नेशनल डिफेंस सिस्टम में रिफॉर्म होने चाहिए। बैठक में उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसी सेना बनानी चाहिए, जो कि CPC की कमांड सुनें और युद्ध जीतने में सक्षम हो।
2020 तक आइटी एप्लीकेशन और रणनीतिक क्षमताओं में सुधार
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का 19वां कांग्रेस बुधवार से शुरू है। पहले दिन शी जिनपिंग ने अपनी वर्क रिपोर्ट पेश की। उन्होंने कांग्रेस में कहा कि पार्टी कमांड का पालन करते हुए उनका लक्ष्य वर्ल्ड क्लास आर्म्ड फॉर्सेस बनाने पर है, जिससे कि वह युद्धों को जीत सके। शी ने कहा, 2020 तक आइटी एप्लीकेशन और रणनीतिक क्षमताओं में सुधार के साथ मेकैनाइजेशन मूल रूप से प्राप्त किया जाएगा।
चीन के प्रमुख मिशन
1927 में गठित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अब करीब दो मिलियन सेवा कर्मियों का नेतृत्व करती है। चीनी सेना ने समुद्री अधिकारों की सुरक्षा, आतंकवाद का मुकाबला करने, स्थिरता बनाए रखने, आपदा बचाव और राहत, अंतरराष्ट्रीय शांति प्रबंधन, एडेन की खाड़ी में रक्षा सेवाएं और मानवीय सहायता से संबंधित प्रमुख मिशन किए हैं।
एशिया में मची है खलबली
चीन के पड़ोसी देशों में उसके इस फैसले को लेकर घबड़ाहट है। कई देश तो चीन के साथ सीमा विवाद में उलझे हुए हैं। आपको बता दें कि डोकलाम को लेकर अभी भारत और चीन के बीच लंबा सैन्य टकराव चला है। इसके अलावा कई ऐसे तरीके है जिससे चीन सीमा विवाद पैदा करता रहा है। इनमें से एक है चरवाह नीति। भारतीय क्षेत्र पर अपना हक जताने के लिए चरवाहों का प्रयोग चीन कई सालों से करता आ रहा है। अरुणाचल प्रदेश में चरवाहों को भेज चीन उसे अपना इलाका बताता रहा है। वहीं अब चीन ने एक बार फिर इस प्लान की ओर कदम बढ़ाया है।
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