क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

पाकिस्तान चुनाव में सेना की दखलअंदाजी का लंबा और खौफनाक इतिहास

Google Oneindia News

नई दिल्ली। पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव है और सर्वे के मुताबिक, किसी भी राजनीतिक पार्टी को स्पष्ट जनाधार नहीं मिलता दिख रहा। हालांकि, इमरान खान की पार्टी को जरूर मजबूत दावेदार माना जा रहा है, लेकिन नवाज शरीफ की गिरफ्तारी ने पूरे पाकिस्तान की राजनीति का खेल बिगाड़ दिया है। पाकिस्तान में होने वाले आम चुनाव में कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला और गठबंधन की स्थिति पैदा होती है, तो सेना चुनावी फैसले में दखल दे सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई नहीं चाहती कि नवाज शरीफ एंड कपनी फिर से पाकिस्तान की सत्ता संभाले। वहीं, इमरान खान की सरकार नहीं बनी और देश के आतंरिक हालात बिगड़ते दिखे, तो सेना एक बार फिर पाकिस्तान की हुकुमत को अपने हाथ में ले सकती है। इससे पहले एक नजर डालते है पाकिस्तान में सैन्य हुकुमत के इतिहास पर।

पाकिस्तान में अराजकता और पहला तख्तापलट

पाकिस्तान में अराजकता और पहला तख्तापलट

भारत से अलग होने के बाद से ही पाकिस्तान में राजनीति भयंकर अस्थिरता देखी गई। 1955 में पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा और प्रधानमंत्री चौधरी मोहम्मद अली के बीच राजनीतिक तनातनी ने मुल्क के हालात बिगाड़ने के काम किए। बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए 1958 में जनरल अयूब खान ने तख्तापलट कर मुल्क की हुकुमत अपने हाथ में ले ली और खुद को राष्ट्रपति घोषित कर, याह्या खान को जनरल बना दिया। 1965 में भारत के हाथों मिली करारी हार के बाद अयूब खान के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए। लंबे समय तक चले राजनीतिक अस्थिरता के बाद 1969 में याह्या खान ने तख्तापलट कर दिया।

पाकिस्तान को भारत से आगे नहीं ले गया तो मेरे नाम बदल देना: शहबाज शरीफपाकिस्तान को भारत से आगे नहीं ले गया तो मेरे नाम बदल देना: शहबाज शरीफ

भु्ट्टो को फांसी और दूसरी बार सैन्य शासन

भु्ट्टो को फांसी और दूसरी बार सैन्य शासन

1971 में भारत से मिली दूसरी हार और बांग्लादेश के उदय के बाद पीपीपी के चीफ जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बने। 1976 में भुट्टो ने जिया उल-हक को नया आर्मी चीफ घोषित किया। उसके एक साल बाद ही 1977 में जिया उल-हक ने भुट्टो पर चुनाव में धांधली का आरोप लगाया और सत्ता से बेदखल कर दिया। 1979 में जिया ने भुट्टो को फांसी पर लटका दिया। 1988 में विमान दुर्घटना में जिया की मौत होते ही पाकिस्तान में सैन्य शासन भी खत्म हो गया।

बेनजीर का उदय और तीसरी बार राष्ट्रपति शासन

बेनजीर का उदय और तीसरी बार राष्ट्रपति शासन

जिया उल-हक की मौत के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो को पाकिस्तान की अवाम ने अपना नेता चुना। किसी भी मुस्लिम राष्ट्र की प्रधानमंत्री बनने वाली बेनजीर पहली महिला नेता थी। 1988 से लेकर 1990 तक भुट्टो पाकिस्तान की पीएम रही, लेकिन करप्शन के आरोप लगने की वजह से गुलाम इशहाक खान ने पाकिस्तान की सत्ता अपने हाथ में ले ली। 1990 में नवाज शरीफ पाकिस्तान के 12वें प्रधानमंत्री बने, लेकिन 1993 में इशहाक खान ने उनकी सरकार भी गिरा दी।

करगिल में हार और मुशर्रफ का तख्तापलट

करगिल में हार और मुशर्रफ का तख्तापलट


1999 में कारगिल युद्ध के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ ने देश में इमरजेंसी लगा दी और नवाज सरकार का तख्तापलट कर दिया। इमरजेंसी के तीन साल बाद मुशर्रफ ने खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया। 2008 में पाकिस्तान में चुनाव हुए और मुशर्रफ की तानाशाही खत्म हुई।

यह भी पढ़ें : पाकिस्तान में कमजोर सरकार चाहता है भारत- इमरान खान

Comments
English summary
Army's long and worst history of political meddling in Pakistan elections
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X