अर्जेंटीना में अबॉर्शन को लीगल करना, क्यों महिलाओं के लिए बड़ी जीत है ?
ब्यूनर आयर्स। Argentina Leglise Abortion: अर्जेंटीना ने बुधवार को ऐतिहासिक बिल को मंजूरी दे दी है जिसमें महिलाओं के अबॉर्शन को वैध अधिकार में मान लिया गया है। इसके साथ ही अर्जेंटीना लैटिन अमेरिका का सबसे बड़ा देश बन गया है जिसने महिलाओं के अबॉर्शन को लीगल कर दिया है।
12 घंटे की लंबी बहस के बाद पास हुआ बिल
सीनेट में 12 घंटे की लंबी और नाटकीय बहस के बाद बुधवार सुबह जब इस बिल पर ऐतिहासिक वोटिंग हुई तो इसके समर्थन में 38 वोट पड़े जबकि 29 सदस्यों ने इसके विरोध में वोट किया। वोटिंग के दौरान एक सदस्य अनुपस्थित रहे। अर्जेण्टीना को इस मुकाम तक पहुंचने में लंबा समय लगा। साथ ही इस बिल के पास होने के साथ ही महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे नारीवादी आंदोलन की बड़ी जीते के रूप में भी देखा जा रहा है। जो ये साबित करता है कि इस देश में लंबे समय से चला आ रहा रूढ़िवादी रोमन कैथोलिक चर्च के प्रभाव अब कम हो रहा है।
इस बिल को लेकर अर्जेण्टीना में लोगों की उत्सुकता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं जब कांग्रेस में इस बिल पर बहस हो रही थी उस दौरान नई कांग्रेस बिल्डिंग के बाहर इस बिल के समर्थक और विरोधी दोनों जुटे हुए थे।
अर्जेण्टीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज ने इस बिल को कानून में बदलने का वादा किया था। जिसके मुताबिक महिलाओं को 14 सप्ताह तक किसी भी वजह से गर्भ को खत्म करने का अधिकार दिया जाएगा। इसके बाद भी रेप या फिर मां के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे की स्थिति में ये अनुमति दी जाएगी।
बिल पास होने के बाद फर्नांडेंड ने ट्वीट किया कि "सुरक्षित, कानूनी और फ्री अबॉर्शन अब अधिकार है। आज हम बेहतर समाज हैं जिसने महिलाओं के अधिकार और लोगों के स्वास्थ्य की तरफ कदम बढ़ाया है।"
महिला अधिकारों के लिए बड़ी जीत
इसके पहले लैटिन अमेरिकी महाद्वीप में अभी तक क्यूबो, उरुग्वे और गयाना ही ऐसे देश हैं जहां पर गर्भपात को कानूनी मंजूरी मिली हुई है। इसके पहले अर्जेण्टीना ने इस क्षेत्र के कुछ दूसरे देशों की तरह रेप के बाद गर्भ धारण करने या फिर बच्चे के चलते मां के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा देखते हुए अबॉर्शन को मंजूरी दी थी।
अमेरिकी मानवाधिकारों की देखरख करने वाली संस्था के उपनिदेशक ने टमारा टारिक्विक ब्रोनर ने कहा "अर्जेण्टीना में अबॉर्शन का लीगल होना एक बड़ी जीत है जो मौलिक अधिकारों का संरक्षण करता है और लैटिन अमेरिका में बदलाव के लिए प्रेरित करेगा।" उन्होंने कहा कि "हालांकि इससे प्रो-लाइफ समूह भी एकजुट होना शुरू होंगे।"
प्रो-लाइफ समूह ऐसे लोगों को कहा जाता है जो किसी भी स्थिति में जीवन के अधिकार की लड़ाई लड़ते हैं। इनके अनुसार अबॉर्शन करना भ्रूणहत्या है। दरअसल रोमन कैथोलिक चर्च में भी अबॉर्शन को मान्यता नहीं है। जब पैपेल स्टेट (चर्च का राज्य) की अवधारणा थी तो इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया जाता था। आज भी अपने प्रभाव वाले देशों में अपने कैथोलिक चर्च अपने अनुयायियों को अबॉर्शन कराने से मना करता है। चर्च की शिक्षाओं के मुताबिक अबॉर्शन बहुत बड़ा पाप है। एक प्रो-लाइफ एक्टविस्ट ने बिल पास होने पर कहा "मैं गुस्से में हूं क्योंकि ऐसे देश में जिसे मैं प्यार करता हूं वहां पर जीवन के अधिकार का सम्मान नहीं किया गया लेकिन हम लड़ाई जारी रखेंगे।"
कैथोलिक चर्च ने की बिल को रोकने की कोशिश
अर्जेण्टीना का नारीवादी आंदोलन पिछले 30 सालों से महिलाओं को अबॉर्शन का अधिकार दिए जाने की मांग कर रहा था। महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस बिल का पास होना ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि यहां पर लंबे समय तक रोमन कैथोलिक चर्च का प्रभाव रहा है।
अर्जेण्टीना में इस बिल के पास होने का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यह एक ऐसा देश है जिससे वर्तमान पोप फ्रांसिस खुद को काफी करीब पाते हैं। रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप इसी देश के रहने वाले थे। बिल पास होना पोप के लिए भी एक झटका है जिन्होंने एक दिन पहले ही इस बिल को लेकर बयान दिया था और अपने देश की राजनीति के केंद्र में आ गए थे।
साथ ही इस बिल के पास होने से इंजील प्रोटेस्टेंट चर्चों को भी झटका लगा है जिन्होंने बिल के विरोध के लिए कैथोलिक चर्च के साथ हाथ मिला लिया था।