कौन हैं एंथनी अल्बनीज, जो बनेंगे ऑस्ट्रेलिया के नये प्रधानमंत्री, भारत से कैसे रहेंगे रिश्ते?
सिडनी, 13 मईः ऑस्ट्रेलियाई में हुए आम चुनाव में प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की लिबरल पार्टी को इस बार भारी निराशा हाथ लगी है। तीन बार से लगातार जीत रही यह पार्टी इस बार लेबर पार्टी से बुरी तरह हारी है। लेबर पार्टी की इस जीत के बाद लेबर नेता एंथनी अल्बनीज का प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा है। नौ साल से जारी लिबरल-नेशनल गठबंधन का अब विपक्ष में बैठने का वक्त आ गया है।

लगभग एक दशक बाद लेबर पार्टी की वापसी
ऑस्ट्रेलिया में तीन सालों के अंतराल पर आम चुनाव होते हैं। लगातार तीन बार से लिबरल पार्टी यह चुनाव जीतते आ रही थी। ऐसे में इस बार ऑस्ट्रेलिया में लगभग एक दशक बाद लेबर पार्टी की वापसी हुई है। इस चुनाव में लेबर पार्टी ने ऑस्ट्रेलियाई वोटरों से आर्थिक सुधार, स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार जैसे कई महत्वपूर्ण वादे किए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना काल में हुई गड़बड़ियां, भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप पीएम स्कॉट मॉरिसन के खिलाफ गए हैं।

ऑस्ट्रेलिया के 31 वें प्रधानमंत्री होंगे अल्बानीजी
एंथनी अल्बानीजी ऑस्ट्रेलिया के 31वें प्रधानमंत्री होंगे। 151 सीटों वाली संसद में उनकी लेबर पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया है क्योंकि उनकी सरकार बनाने के लिए जरूरी 76 सीटें चाहिए। लेकिन 50 प्रतिशत से ज्यादा मतों की गिनती के बाद लेबर पार्टी को 70 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में लेबर पार्टी को छोटे दलों तथा निर्दलीय सांसदों का समर्थन जुटाना पड़ सकता है।

कई चुनौतियां से निपटना जरूरी
अपने प्रचार में अल्बानीजी जो बड़े वादे किए हैं, उनमें महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रतिनिधित्व, लोगों के लिए सस्ता चाइल्डकेयर, मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था और बुजुर्गों के लिए बेहतर देखभाल जैसी बातें शामिल हैं। बतौर प्रधानमंत्री उनके सामने जो बड़ी चुनौतियां होंगी, उनमें चीन के साथ खराब होते रिश्ते, बढ़ती महंगाई और कोविड के बाद अर्थव्यवस्था को घाटे से उबारना शामिल है।

स्कॉट मॉरिसन का भारत के साथ संबंध
निवर्तमान प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन का भारत के प्रति प्रेम जगजाहिर है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके नजदीकी संबंधों की अक्सर चर्चा होती रही है। स्कॉट मॉरिसन के कार्यकाल में ही भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इनके कार्यकाल में ही भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सामरिक समझौता हुआ। दोनों देशों ने एक-दूसरे को साजो सामान सहयोग प्रदान करने के लिए अपने-अपने सैन्य अड्डों तक पहुंच प्रदान करने के संबंध में भी समझौता किया।

भारत के साथ संबंध मजबूत रखना जरूरी
ऐसे में अब उम्मीद है कि ऑस्ट्रेलिया के नए पीएम भी भारत के साथ अपने रिश्तों को एक नई ऊचाई पर ले जा पाएंगे। नए पीएम का भारत के साथ बेहतर संबंध बनाना ऑस्ट्रेलिया के हित में होगा। चीन ने हाल ही में सोलोमन आईलैंड्स के साथ एक सुरक्षा समझौता किया है। सोलोमन द्वीप ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्वी तट से महज 2 हजार किलोमीटर दूर है। ऐसे में भारत के साथ बनाया गया मजबूत संबंध इस देश को एशिया के इस सुपरपावर से महफूज रखने में मददगार साबित हो सकता है।