सफेद से हरे रंग में बदल रहे हैं अंटार्कटिका के बर्फीले पहाड़, जानिए वैज्ञानिकों ने क्या कहा
नई दिल्ली। पूरी दुनिया इस समय प्राकृतिक स्वास्थ्य आपदा से निपटने में लगी हुई है, इसी बीच बदलते वक्त के साथ कुदरत का नया रंग दिखाई देने लगा है। सफेद बर्फ की चादर से ढका रहने वाला अंटार्कटिका अब धीरे-धीरे हरे रंग में बदलता नजर आ रहा है। अंटार्कटिका की हालिया तस्वीरें इस समय किसी को भी भ्रमित कर देंगी क्योंकि बर्फ की जमीन हरी हो गई है। कुदरत के इस बदलाव के देखकर हर कोई हैरान है, कई इसे आने वाला बड़ा संकट बता रहे हैं तो कई इसे एक प्राकृतिक घटना बता रहे हैं। लेकिन अंटार्कटिका में बर्फ के रंग में बदल को विशेषज्ञ कुछ और ही बता रहे हैं।
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जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसा संभव
अंटाकर्टिका के बर्फ के पहाड़ों की खूबसूरती देखते ही बनती है, यहां के पहाड़ों का बदलता रंग हैरान करने वाला है। बुधवार को प्रकाशित नए शोध के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण वार्मिंग तापमान बर्फ को हरे रंग में बदलने में मदद कर रहा है। कई स्थानों पर यह इनते बड़े क्षेत्र में हुआ है कि इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। ब्रिटिश खोजकर्ता अर्नेस्ट शेकलटन द्वारा एक शोध में कहा कि बर्फ के पहाड़ों का हरे रंग में बदलना शैवाल की वजह से हो सकता है।
NERC-supported institution @SAMSoceannews used satellite data and fieldwork observations to map the spread of algae on the Antarctic coastline.
SAMS findings conclude that the spread of this so-called 'green snow' is increasing with global warming.https://t.co/DTMeawRdtI pic.twitter.com/I2E46RwJIl
— Natural Environment Research Council (@NERCscience) May 21, 2020
अंतरिक्ष से भी दिखाई देता है हरा रंग
अर्नेस्ट शेकलटन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अंटार्कटिका में लंबे समय से शैवाल मौजूद हैं और अब इनकी मात्रा इनती अधिक हो गई है कि बर्फ का रंगी भी सफेद से बदलकर हरा हो रहा है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने सेंटीनल 2 सैटेलाइट के जरिए 2 वर्षों का डाटा जमा किया है। ब्रिटिश अंटार्कटिका सर्वे और यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज लंबे समय से यहां के सतह का विश्लेषण कर रहा है। इनके द्वारा बनाए गए एक मैप में शैवाल के तेजी से बढ़ने का पता चलता है।
लाल और नारंगी भी होते हैं शैवाल
रिसर्च में पाया गया है कि सबसे ज्यादा अंटार्कटिका पेनिनसुला तट पर मौजूद है। एक रिपोर्ट के मुताबिक शैवाल सिर्फ हरे रंग के नहीं बल्कि यह लाल और नारंगी रंग के भी होते हैं। वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इनकी बढ़ती संख्या का कारण क्या है और भविष्य में क्या यह और तेजी बढ़ सकते हैं। शैवाल की खासियत होती है कि वो वातावरण से कार्बन डाइक्साइड को सोख लेते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि वातारण में कार्बन का उत्सर्जन बढ़ा है।
हरियाली में बदल जाएगा अंटार्कटिका
वर्तमान में, अंटार्कटिका के कुछ क्षेत्रों में घने शैवाल की इतनी सघनता है कि चमकदार हरी दिखने वाली बर्फ को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। और, वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने के साथ, भविष्य में शैवाल के बढ़ने से उनकी सीमा का विस्तार होगा और सफेद महाद्वीप अंटार्कटिका को भी यह हरियाली में बदल देगा। बता दें कि इससे पहले क्लैमाइडोमोनस निवालिस के अल्गुल खिलने के कारण अंटार्कटिका की बर्फ खून की तरह लाल हो गई थी।
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