UAE के बाद अब इस मुस्लिम देश में बनेगा भव्य हिंदू मंदिर, शाही राज परिवार ने दान में दी जमीन
संयुक्त अरब अमीरात में भी एक भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। वहीं, पिछले साल मंदिर को लेकर दावा किया गया था कि, ये मंदिर इतना ज्यादा मजबूत होगा, कि उसकी उम्र कम से कम एक हजार साल से ज्यादा होगी।
मनामा, जून 28: बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर किए गये आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर भले ही मुस्लिम देशों ने गहरी आपत्ति जताई हो और मुस्लिम देशों के साथ तनावपूर्ण संबंध होने की रिपोर्ट आई थी, लेकिन ऐसा लगता है, कि मुस्लिम देश इन बातों को पीछे छोड़ चुके हैं और भारत से गहरा नाता बनाकर रखना चाहते हैं। इसीलिए यूएई के बाद एक और मुस्लिम देश ने हिंदू मंदिर बनाने के लिए दान में जमीन दी है।
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बहरीन में बनेगा हिंदू मंदिर
हाल ही में एक मुस्लिम देश बहरीन से भारत के लिए काफी अच्छी खबर सामने आई है और रिपोर्ट के मुताबिक, यूएई के बाद अब बहरीन में भव्य हिंदू मंदिर का निर्माण होगा। यूएई के बाद जल्द ही बहरीन में एक हिंदू मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। इसके लिए जोर-शोर से तैयारी की जा रही है। आपको बता दें कि, यूएई में भव्य हिंदू मंदिर का निर्माण काफी तेजी से चल रहा है और इंजीनियरों ने दावा किया है, कि जिस मंदिर का निर्माण होगा, उसकी उम्र कम से कम एक हजार साल होगी।
बहरीन के क्राउन प्रिंस से मुलाकात
रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर निर्माण को लेकर बहरीन के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री सलमान बिन हमद अल खलीफा ने बुधवार को बहरीन की राजधानी मनामा में स्वामी ब्रह्मविहारीदास और बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की है। इस मुलाकात के दौरान बहरीन में बीएपीएस स्वामीनारायण हिंदू मंदिर के निर्माण को लेकर चर्चा की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, बहरीन के क्राउन प्रिंस ने मंदिर निर्माण के लिए जमीन दान में एक फरवरी को ही दे दी थी। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बैठक में बहरीन में भारतीय राजदूत पीयूष श्रीवास्तव ने भी शिरकत की थी। मंदिर निर्माण को लेकर हुई इस बैठक में स्वामी ब्रह्मविहारीदास, जो बीएपीएस मध्य पूर्व के अंतर्राष्ट्रीय समन्वयक हैं, उन्होंने भी हिस्सा लिया था। इस प्रतिनिधिमंडल में स्वामी अक्षित दास और बीएपीएस बहरीन के अध्यक्ष डॉ. प्रफुल्ल वैद्य ने भी शिरकत की थी।
पीएम मोदी ने दिया संदेश
बहरीन में हिंदू मंदिर के निर्माण के लिए हुई इस मुलाकात को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संदेश ब्रह्म विहारदास ने क्राउन प्रिंस को दिया, जिसमें मोदी ने इस ऐतिहासिक क्षण का तहे दिल से स्वागत किया है। भारतीय प्रधानमंत्री ने क्राउन प्रिंस को बीएपीएस के वैश्विक आध्यात्मिक नेता महंत स्वामी महाराज का आशीर्वाद और शुभकामनाएं भी दीं।
हर धर्म के लोगों का होगा स्वागत
मंदिर निर्माण के लिए हुई इस मुलाकात के बाद स्वामी ब्रह्मविहारीदास ने कहा कि, बहरीन में बनने वाला यह मंदिर उन सभी धर्मों के लोगों का स्वागत करेगा, जो भारतीय परंपराओं को जानना और समझना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि, मंदिप में विभिन्न सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए जगह है। इसके साथ ही उन्होंने इस मंदिर को साकार करने के लिए बहरीन के क्राउन प्रिंस और भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों के बीच मधुर संबंधों और विचारों के आदान-प्रदान के लिए बेहद खास और खास पल है।
अबूधाबी में बन रहा है भव्य मंदिर
आपको बता दें कि, संयुक्त अरब अमीरात में भी एक भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। वहीं, पिछले साल मंदिर को लेकर दावा किया गया था कि, ये मंदिर इतना ज्यादा मजबूत होगा, कि उसकी उम्र कम से कम एक हजार साल से ज्यादा होगी। सैकड़ों इंजीनियरों की टीम इस भव्य मंदिर के निर्माण कार्य में लगी हुई है। मंदिर के एक प्रतिनिधि ने खलीज टाइम्स को बताया था कि, मंदिर के आधार नींव का काम पूरा हो गया है और गुलाबी बलुआ पत्थर लगाने का काम तब शुरू होगा जब कारीगर भारत से आएंगे। YouTube पर पोस्ट किए गए एक वीडियो अपडेट में, परियोजना से जुड़े सदस्यों ने कहा था कि, मंदिर का निर्माण ऐतिहासिक पत्थरों से किया जाएगा।
किस तरह का बन रहा है मंदिर?
एयर प्रोडक्ट्स के प्रिंसिपल सिविल इंजीनियर संदीप व्यास ने कहा कि, प्रारंभिक भू-तकनीकी सर्वेक्षण से पता चला है कि जिस भूखंड पर मंदिर बनाई जानी थी, उसके केंद्र में 20 मीटर मोटा पत्थर मिला है। जिसने सभी लोगों को आश्चर्यकित तक दिया। वहीं, आरएसपी के प्रमुख स्ट्रक्चरल इंजीनियर वसियामेद बहलिम ने कहा कि, "हमें मौजूदा जमीनी स्तर के बहुत करीब सक्षम आधार मिला है।" शापूरजी पल्लोनजी के प्रोजेक्ट मैनेजर टीनू साइमन ने कहा कि, "जब हमने इस परियोजना को शुरू किया, तो मैं वास्तव में आश्चर्यचकित था क्योंकि खुदाई के स्तर तक पहुंचने से पहले, हम उच्च चट्टान पर पहुंच गए थे। 15 से अधिक वर्षों से मैं जीसीसी में काम कर रहा हूं और पहली बार मुझे इतनी अच्छी नींव इतनी सीमा के भीतर मिली है।"
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