नवजोत सिंह सिद्धू के कंधे पर इमरान खान का तीर और निशाने पर पीएम नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली। सिखों के लिए करतारपुर साहिब का महत्व शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। आजादी के इतने दशक बीतने के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर साहिब कॉरिडोर की नींव रखी गई, जिसकी मदद से सिख श्रद्धालु बिना वीजा दर्शन प्राप्त कर सकेंगे। अभी सिख श्रद्धालु दूरबीन से इस पवित्र स्थल के दर्शन करते हैं। बुधवार को जब कॉरिडोर की नींव रखे जाने का समारोह हुआ, तब पाकिस्तान के पीएम इमरान खान, पाकिस्तान के सेनाप्रमुख कमर जावेद बाजवा समेत कई बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं। भारत की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू, हरसिमरत कौर और हरदीप सिंह पुरी समारोह में पहुंचे। इमरान खान ने इस बार भी शांति की बात, कश्मीर मसला हल करने का जिक्र किया और नवजोत सिंह सिद्धू के कंधे का इस्तेमाल कर पीएम नरेंद्र मोदी पर एक के बाद एक तीर पर तीर चलाते रहे। इमरान खान के शपथ ग्रहण में शामिल होने के लिए जब सिद्धू पाकिस्तान गए थे, तब उन्हें पीओके के राष्ट्रपति मसूद खान के बगल में बिठाया गया था। इस बार खालिस्तान समर्थक गोपाल सिंह चावला को कार्यक्रम में पहली पंक्ति में जगह दी गई। वह पाक सेनाप्रमुख के साथ हाथ मिलाता नजर आया। नवजोत सिंह सिद्धू के साथ चावला की तस्वीरें भी सामने आई हैं। इमरान खान ने पवित्र मौके पर जिस प्रकार से नापाक इरादे जाहिर किए हैं, उससे स्पष्ट है कि उनके सिर्फ 'मुंह में ही राम हैं', लेकिन वह 'बगल में छुरी' लिए घूम रहे हैं।
सिद्धू के बहाने मौजूदा भारतीय नेतृत्व पर इमरान खान ने यूं कसा तंज
इमरान खान ने क्रिकेट और राजनीति में दो प्रकार के लोगों का जिक्र करते हुए कई बार भारतीय लीडरशिप पर शांति की राह में रोड़े अटकाने का आरोप लगाया। पाकिस्तानी पीएम ने कहा कि क्रिकेट में उन्हें दो तरह के खिलाड़ी मिले। एक- जो रिस्क लेने से डरते थे, वे हारने से डरते थे। इमरान ने कहा- जो मैंने दो किस्म के पॉलिटिशन बताए थे ना- एक होता है जो चांस लेता है, बड़े ख्वाब देखता है। एक होता है, जो डर-डर के अपना वोट बैंक देखता है। दूसरा नफरतें फैलाते के वोट लेता है और एक इंसानों को जोड़ के वोट लेता है। इमरान खान ने आगे कहा- मैं ये उम्मीद रखता हूं के ये न हो कि हमें सिद्धू का इंतजार करना पड़े, जब वो वजीर ए आजम बनेगा, तब दोनों मुल्कों के बीच दोस्ती होगी। सिद्धू इस बात पर मुस्कुराए, लेकिन वह समझ नहीं पाए कि यह तंज था भारत की मौजूदा सरकार पर। इमरान खान ने आगे कहा- मैं उम्मीद करता हूं कि भारत में ऐसी लीडरशिप आ जाए। उनमें ताकत हो, लीडरशिप को ताकत चाहिए, इरादा चाहिए।
करतारपुर साहिब कॉरिडोर की नींव के पीछे इमरान खान के हैं दो खास मकसद
करतारपुर साहिब कॉरिडोर की नींव रखे जाने के पीछे इमरान खान के दो मकसद हैं। पहला- सिखों के प्रति उदारता के बहाने खालिस्तान से जुड़ी चिंगारी को दोबारा हवा देना। आजादी के इतने दशक बीतने के बाद भी करतारपुर साहिब के दर्शन सिख श्रद्धालु दूरबीन से कर रहे थे। ऐसे में इमरान खान को अच्छा अवसर दिखा, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नजर में वह खुद को 'शांति का मसीहा' के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकते हैं। यह उनका दूसरा मकसद है। सेना की लिखी स्क्रिप्ट पढ़ने वाले इमरान खान ने अपनी स्पीच में कई बार इशारों-इशारों में पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। वह हर बार यही संदेश देते दिखाई दिए कि शांति की राह पर चलने के लिए पाकिस्तान तो तत्पर है, लेकिन भारत से जरूरी सहयोग नहीं मिल रहा है।
सेना की लिखी स्क्रिप्ट पढ़ते हैं इमरान खान
इमरान खान के बारे में यह बात जगजाहिर है कि वह सेना के समर्थन से पाकिस्तान में सरकार चला रहे हैं। इमरान खान ने कश्मीर राग अलापने के दौरान सेना का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि पहले वह जब भी भारत आते थे तो उन्हें यही बात सुनने को मिलती थी कि पाकिस्तान की सेना शांति नहीं चाहती है। इमरान ने आगे कहा- आज मैं प्राइम मिनिस्टर, मेरी पार्टी और राजनीतिक दल और पाकिस्तान की सेना सब एक पेज पर हैं। मतलब इमरान खान शांति स्थापना के लिए पाकिस्तान की सेना का भी गारंटी दे रहे हैं, जबकि भारत से संबंधित हर मामले में इमरान खान को सेना की वजह से शर्मसार होना पड़ रहा है। वह बात तो शांति की करते हैं, लेकिन सिद्धू पाकिस्तान जाते हैं तो खालिस्तान समर्थक, पीओके के राष्ट्रपति के पास उन्हें खड़ा देते हैं। ये सब प्लानिंग पाकिस्तान की सेना के इशारे पर होती है। इमरान खान बार-बार शांति-शांति का जिक्र करते हैं, कश्मीर हल की बात करते हैं पर कभी आतंकवाद और सीमा पर मची हलचल का कोई जिक्र आज उन्होंने नहीं किया। दरअसल, इसके पीछे एक ही मुख्य कारण है और वो यह है कि इमरान खान वही स्क्रिप्ट पढ़ते हैं जो सेना की ओर से उन्हें लिखकर दे दी जाती है।