दुनिया में बन रहा चीन के खिलाफ माहौल, ड्रैगन के कारनामों पर खुलकर सामने आ चुके हैं ये देश
नई दिल्ली। साम्यवादी चीन की साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ दुनिया में माहौल गरमाया हुआ है। चीन का दादागीरी वाला व्यवहार दुनिया के देशों को रास नहीं आ रहा है। इधर लद्दाख में भारत ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया है तो दुनिया में भी चीन के खिलाफ एक गठजोड़ बनता नजर आ रहा है। इसमें कुछ देश खुलकर सामने हैं तो कई कूटनीतिक रूप से चीन को घेर रहे हैं।
अपने पड़ोसियों की जमीन हो या जलक्षेत्र पर कब्जा करने की चीन की नीति आज की नहीं बल्कि देश के साम्यवादी बनने के साथ की है। चीन ने साम्यवादी देश बनने के कुछ सालों बाद ही तिब्बत पर कब्जा कर लिया। दलाई लामा को भारत में शरण लेनी पड़ी। चिढ़े चीन ने 1962 में भारत के साथ एक तरफ दोस्ती का राग छेड़ा तो दूसरी तरफ सैन्य कार्रवाई कर दी। इस दौरान हड़पा गया बड़ा क्षेत्र आज भी चीन के कब्जे में है। अब फिर से चीन लद्दाख के इलाके में घुसपैठ करने में लगा है जिस पर भारतीय सेना से उसे मुंहतोड़ जवाब मिला है। लेकिन भारत ही नहीं दुनिया के कई दूसरे देश भी चीन की साम्राज्यवादी नीतियों से खुश नहीं हैं और चीन के खिलाफ हैं।
क्वाड समूह को लेकर चिंता में है चीन
अमेरिका और भारत के बीच 29 अगस्त को लद्दाख में हुई कार्रवाई को लेकर भारत के समर्थन में पहला बयान अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो का आया। वहीं अमेरिका के उप-विदेश मंत्री स्टीवन बीगन ने कहा कि जल्द ही जापान, आस्ट्रेलिया, भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रियों की एक औपचारिक मुलाकात नई दिल्ली में हो सकती है। बीगन ने ये बात यूएस-इंडिया स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप के फोरम पर कही है। बता दें कि ये चारों उस देश क्वाड समूह का हिस्सा हैं जिसके स्थापना 2007 में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे की पहल पर हुई थी। चीन की नजर में ये गठजोड़ खटकता रहा है। इसे लेकर चीन की चिंता कितनी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में इस गठजोड़ को लेकर टिप्पणी की गई थी कि भारत को क्वाड समूह का हिस्सा होने पर बहादुर होने का दम नहीं भरना चाहिए।
दक्षिणी चीन सागर को लेकर अमेरिका के निशाने पर चीन
दक्षिणी चीन सागर में चीन की विस्तारवादी नीति को लेकर अमेरिका का रवैया बेहद ही सख्त है। दक्षिणी चीन सागर पर चीन अपना दावा करता है और उस क्षेत्र में समुद्र में उसने एक सैन्य अड्डा भी बना लिया है। खास बात है कि इसी क्षेत्र को लेकर वियतनाम, फिलीपींस और ब्रूनेई भी अपना दावा करते हैं जिसे चीन इनकार करता रहा है। इस पर अमेरिका ने चीन के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। हाल ही में चीन के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि दक्षिणी चीन सागर चीन का जल साम्राज्य नहीं है। इस क्षेत्र में चीन का कब्जा उपनिवेशवादी और गैरकानूनी है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अगर चीन अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने की प्रवृत्ति पर दूसरे देशों ने कुछ नहीं किया तो चीन ज्यादातर क्षेत्र पर कब्जा कर लेगा। चीन जिस जलक्षेत्र पर अपना दावा करता है उससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता है। यह दुनिया के सबसे व्यस्त जलमार्गों में से है।
आस्ट्रेलिया भी खुलकर कर रहा है चीन का विरोध
आस्ट्रेलिया भी चीन की हाल की नीतियों पर कड़ा रुख अख्तियार किया हुआ है। हालांकि इसके चलते आस्ट्रेलिया को परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है लेकिन आस्ट्रेलिया झुकने के मूड में नहीं दिखाई दे रहा। कोविड-19 के फैलने में चीन की संलिप्तता की जांच की मांग को लेकर आस्ट्रेलिया मुखर रहा है। जांच की मांग WHO में पेश करने वाले देशों में आस्ट्रेलिया अग्रणी देशों में रहा। इससे चीन चिढ़ा हुआ है और चीन-आस्ट्रेलिया के संबंध बेहद ही खराब दौर में हैं। चीन ने आस्ट्रेलिया पर टैरिफ को बढ़ा दिया है। वहीं आस्ट्रेलिया ने देश में चीनी कंपनी हुआवे पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये कंपनी देश में 5G नेटवर्क लगाने के काम में लगी थी। आस्ट्रेलिया ने दक्षिणी चीन सागर में चीन की गतिविधियों को लेकर भी चीन के खिलाफ बयान दिए हैं। आस्ट्रेलिया भी चीन को घेरने के लिए भारत के साथ आने में लगा हुआ है। क्वाड समूह की बैठक को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
जर्मनी ने हांग कांग और उइगर मुस्लिमों पर घेरा
हाल ही में चीनी विदेश मंत्री की जर्मनी यात्रा से कोई खास सफलता नहीं मिलती दिखी है। कोविड-19 के बाद यूरोप की यात्रा पर पहुंचे चीनी विदेश मंत्री जब मंगलवार को जर्मनी पहुंचे तो हांग कांग नीति को लेकर राजधानी बर्लिन में विरोध का सामना करना पड़ा। इस दौरान जर्मन विदेश मंत्री हाइको मास से मुलाकात के दौरान हुई चर्चा भी चीन की चिंता बढ़ाने वाली रही है। जर्मनी ने शिनजियांग क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक दल भेजे जाने की मांग की है। यह दल शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार की जांच करेगा। साथ ही मास ने हांग कांग के लिए लाए गए चीन के विवादित सुरक्षा कानून को वापस लेने और हांग कांग में जल्द चुनाव कराए जाने की मांग की।
ये एशियाई देश भी आ रहे चीन के विरोध में
चीन के खिलाफ अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया के बीच बन रहे नए समूह ने दक्षिणी चीन सागर विवाद से जुड़े दूसरे देश भी अब सामने आ रहे हैं। दक्षिणी चीन सागर में चीन की आक्रामक गतिविधियों के खिलाफ फिलीपींस, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है। इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री की जुलाई में हुई भारत यात्रा को भी इसी संबंध में देखा जा रहा है। वहीं अमेरिका भी चीन के खिलाफ समान रुख रखने वाले दक्षिण एशिया के कुछ देशों को क्वाड समूह में शामिल करना चाहता है। अगर ऐसा होता है तो इन्हें क्वाड प्लस का नाम दिया जा सकता है।
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