एमी कोने बैरेट बनी अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की जज, चुनावों से पहले डोनाल्ड ट्रंप की बड़ी जीत
वॉशिंगटन। कई विवादों के बाद आखिरी एमी कोने बैरेट ने अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट की नई जस्टिस के तौर पर सोमवार को शपथ ले ली। अमेरकिी सीनेट की तरफ से उनके नाम को मंजूरी दिए जाने के बाद उन्हें यह जिम्मेदारी आधिकारिक तौर पर मिल गई है। एमी अब महान जज रुथा बैड जिंसबर्ग की जगह लेंगी जिनकी मृत्यु के बाद पद खाली पड़ा था। इसके साथ ही वह नौ सदस्यों वाली बेंच में शामिल हो गई हैं।
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सीनेट की तरफ से मिली मंजूरी
अमेरिकी
सीनेट
ने
बैरेटे
के
नाम
को
52-48
वोटों
से
मंजूरी
दी
है।
जबकि
रिपब्लिकन
पार्टी
के
एक
नेता
ने
भी
उनके
खिलाफ
वोट
किया
है।
बैरेट
का
शपथ
ग्रहण
समारोह
व्हाइट
हाउस
में
राष्ट्रपति
डोनाल्ड
ट्रंप
की
मौजूदगी
में
हुआ
है।
अमेरिकी
सीनेट
पर
रिपब्किन
पार्टी
का
ही
नियंत्रण
है।
तीन
नवंबर
को
अमेरिका
में
चुनाव
होने
हैं
और
उससे
पहले
एमी
का
जज
बनाना,
ट्रंप
की
बड़ी
जीत
के
तौर
पर
देखा
जा
रहा
है।
हालांकि
एमी
के
नाम
का
बहुत
विरोध
हुआ
है।
सीएनएन
ने
अपनी
एक
रिपोर्ट
में
कहा
है
कि
एमी
का
सुप्रीम
कोर्ट
का
जज
बनाना,
न्यायव्यवस्था
को
रूढ़िवादी
दिशा
की
तरफ
ले
जा
सकता
है।
एमी
की
उम्र
सिर्फ
48
साल
है
और
वह
सुप्रीम
कोर्ट
के
इतिहास
में
अब
तक
की
सबसे
कम
उम्र
की
जज
हैं।
बैरेट
ने
पूर्व
राष्ट्रपति
बराक
ओबामा
के
ओबामा
केयर
को
खत्म
करने
जैसा
विवादित
फैसला
दिया
था।
सीएनएन
के
मुताबिक
बैरेट
की
वजह
से
सुप्रीम
कोर्ट
में
कंजरवेटिव्स
को
6-3
का
बहुमत
मिल
जाएगा
और
आने
वाले
समय
में
इसके
कई
गंभीर
परिणामों
को
भुगतने
के
लिए
तैयार
रहना
होगा।
डेमोक्रेट्स
ने
आगाह
किया
है
कि
नई
जज
बैरेट
ओबामाकेयर
को
हटाए
जाने
को
लेकर
वोट
करेंगीं।
इसके
अलावा
बैरेट
सन्
1973
के
एबोर्शन
अधिकारों
पर
लिए
गए
ऐतिहासिक
फैसले
को
भी
पलट
सकती
हैं।