एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आंग सान सू की से सर्वोच्च सम्मान वापस लिया
नई दिल्ली। म्यांमार की नेता आंग सान सू की से एमनेस्टी इंटरनेशनलल ने सोमवार से सर्वोच्च सम्मान वापस ले लिया है। जिस तरह से रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यांमार की सेना ने अमानवीय व्यवहार किया उसे देखते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सू की से यह सम्मान वापस ले लिया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल का मानना है कि सू की ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हुए अमानवीय व्यवहार पर चुप्पी साधे रखी, जिसकी वजह से इस सम्मान को वापस लिया गया है।
आपको बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था है, जिसने वर्ष 2009 में आंग सान सू की को नजरबंदी के दौरान एंबेसडर ऑफ कॉनसाइंस अवार्ड से नवाजा था। जिसे अब संस्था ने वापस ले लिया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के अध्यक्ष कूमी नायडू ने सू की को एक पत्र जारी किया है जिसमे कहा गया है कि हमे ऐसा लग रहा है कि अब आप पूरी तरह से उम्मीद, साह और मानवाधिकारों की रक्षा करने में उदासीन हो गई हैं और अपने प्रतीक की प्रतिनिधि नहीं रही हैं।
आपको बता दें कि इससे पहले कनाडा ने रोहिंग्या संकट के चलते म्यांमार की नेता आंग सांग सू को दी गई मानद नागरिकता वापस ले लिया था। सू की को साल 2007 में यह सम्मान दिया गया था। कनाडा के विदेश मंत्रालय की ओर से इस बात का ऐलान किया गया था। सू की ने हमेशा लोकतंत्र का समर्थन किया है लेकिन म्यांमार में जारी रोहिंग्या संकट की वजह से उनकी छवि को काफी नुकसान पहुंचा है। सू की को नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। गौरतलब है कि म्यांमार की सेना पर रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ एक अभियान छेड़ने का आरोप है।
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