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'अमरीका के मध्यावधि चुनाव रूस के निशाने पर'

अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए के प्रमुख ने कहा है कि रूस कई देशों में दख़ल दे रहा है.

By BBC News हिन्दी
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ट्रंप और पुतिन
MIKHAIL KLIMENTYEV/AFP/Getty Images
ट्रंप और पुतिन

अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए के निदेशक को लगता है कि रूस इस साल अमरीका में होने वाले मध्यावधि चुनावों को निशाना बना सकता है.

अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी के निदेशक माइक पोम्पियो ने बीबीसो को बताया कि यूरोप और अमरीका में सरकारों को कमज़ोर करने के रूसी प्रयासों में कोई ख़ास कमी नहीं आई है.

उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर कोरिया 'चंद महीनों में' अमरीका पर परमाणु मिसाइल से हमला करने की क्षमता हासिल कर सकता है.

लगभग हर सुबह डोनल्ड ट्रंप को अहम जानकारियां देने वाले पॉम्पियो ने उन दावों को 'बकवास' करार दिया, जिनमें कहा जा रहा था कि डोनल्ड ट्रंप अमरीकी राष्ट्रपति पद के लिए ठीक नहीं हैं.

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सीआईए निदेशक माइक पॉम्पियो
Getty Images
सीआईए निदेशक माइक पॉम्पियो

सबसे आगे रहना चाहती है सीआईए

वर्जीनिया में सीआईए मुख्यालय की सातवीं मंज़िल पर निदेशक के कॉन्फ्रेंस रूम में पूर्व निदेशकों और उनके कार्यकाल में रहे राष्ट्रपतियों की तस्वीरें लगी हैं. पॉम्पियो राष्ट्रपति ट्रंप के तहत सीआईए के लिए अपनी योजनाओं को लेकर स्पष्ट हैं.

उन्होंने बीबीसी को बताया, "हम दुनिया की बेहतरीन जासूसी सेवा हैं. हम अमरीकी लोगों की तरफ़ से गुप्त जानकारियां चुराने का काम करेंगे और मैं चाहता हूं कि हम प्रतिद्वंद्वियों से आगे रहें."

पिछले एक साल से इस पद को संभाल रहे पॉम्पियो कहते हैं उनका लक्ष्य सीआईए से बोझ को कम करना है.

वह कहते हैं, "यह एक ऐसी एजेंसी है जो अप्रत्याशित प्रकृति वाली दुनिया में काम कर रही है. यहां ख़ुफ़िया आकलन के आधार पर न सिर्फ सैन्य कार्रवाइयां हो सकती हैं बल्कि राजनीतिक विवाद भी खड़े हो सकते हैं."

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सीआईए का दफ़्तर
BBC
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रूस के कथित दखल को लेकर चिंता

भले ही रूस के साथ आतंकवाद विरोधी अभियानों में अमरीका आपसी सहयोग रहा हो, (पिछले साल सीआईए ने सेंट पीटर्सबर्ग में एक हमले को रोकने में मदद की थी), पॉम्पियो कहते हैं कि वह रूस को मुख्य तौर पर एक विरोधी के रूप में देखते हैं.

वे यूरोपीय देशों में उसके दखल को लेकर चिंता जताते हैं और कहते हैं, "रूस की गतिविधियों में कोई ख़ास कमी नहीं आई है."

जब उनसे पूछा गया कि कहीं नवंबर में अमरीका में होने जा रहे मध्यावधि चुनाव को लेकर उनकी चिंताएं तो नहीं हैं, उन्होंने कहा, "बिल्कुल. मुझे पूरी उम्मीद है कि वे पूरी कोशिश करेंगे. मगर मुझे विश्वास है कि अमरीका स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने में कामयाब रहेगा. हम इस तरह से मज़बूती से प्रतिरोध करेंगे कि उनका हमारे चुनावों पर ख़ास प्रभाव नहीं रहेगा."

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सीआईए निदेशक पद की शपथ लेते माइक पॉम्पियो (बाएं)
Getty Images
सीआईए निदेशक पद की शपथ लेते माइक पॉम्पियो (बाएं)

'ट्रंप पर किताब में उठे सवाल बकवास'

पॉम्पियो ने कहा कि अमरीका रूस की तरफ़ से सरकारों को कमज़ोर किए जाने की कोशिशों का मुकाबला कर रहा है.

राष्ट्रपति ट्रंप रूस के दखल के दावों को ख़ारिज करते रहे हैं. तो क्या सीआईए के निदेशक को सभी को ख़ुश रखकर चलना पड़ता है?

इसके जवाब में पॉम्पियो कहते हैं, "मैं ऐसा नहीं करता, मैं वही करता हूं जो सच है. हम रोज़ाना राष्ट्रपति को ख़ुद वही सच्चाई बताते हैं जो हमें पता चलती है."

पॉम्पियो हाल ही में आई किताब फ़ायर एंड फ्यूरी में राष्ट्रपति ट्रंप पर उठाए गए सवालों से इत्तफाक नहीं रखते.

वह कहते हैं, "यह हास्यास्पद है. मैंने न तो किताब पढ़ी है और न ही मेरा पढ़ने का इरादा है. किताब में राष्ट्रपति को लेकर किए गए दावे खतरनाक और झूठे हैं. मुझे दुख होता है कि इस बकवास को लिखने के लिए किसी को कैसे समय मिल सकता है."

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उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को प्राथमिकता में बताते हैं पॉम्पियो
Getty Images
उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को प्राथमिकता में बताते हैं पॉम्पियो

ट्रंप की भाषा का समर्थन

पिछले दिनों राष्ट्रपति ट्रंप ने उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग-उन को 'रॉकेट मैन' कहा था और अमरीका के न्यूक्लियर बटन को लेकर भी बड़ी शान से बातें की थीं.

मगर पॉम्पियो कहते हैं कि इस तरह के बयानों से उत्तर कोरियाई नेता और अन्य देशों के नेताओं को मौजूदा स्थिति की गंभीरता के बारे में प्रभावित करने में मदद मिली.

"जब राष्ट्रपति इस तरह की भाषा का चुनाव करते हैं, यकीन मानिए कि किम जोंग-उन को समझ आता है कि अमरीका गंभीर है."

उत्तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम सीआईए के अजेंडे में प्रमुखता पर है.

पॉम्पियो कहते हैं, "उत्तर कोरिया चंद महीनों के अंदर अमरीका में परमाणु हथियार गिराने के काबिल हो सकता है."

जब उनसे पूछा गया कि क्या किम जोंग-उन को हटाना या फिर उन्हें परमाणु मिसाइल लॉन्च करने से रोकना संभव है, पॉम्पियो कहते हैं, "बहुत कुछ संभव है."

मगर उन्होंने यह नहीं बताया कि उनके ऐसा कहने का मतलब क्या है.

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English summary
Americas midterm elections on target of Russia
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