भारत के साथ सीमा विवाद में चीन की आक्रामकता को लेकर चिंतित अमरीका
अमरीका के विदेश मामलों की संसदीय समिति ने कहा कि चीन बातचीत के रास्तों का इस्तेमाल करे और भारत के साथ जारी सीमा विवाद सुलझाए.
अमरीका के विदेश मामलों की संसदीय समिति ने कहा है कि चीन कूटनीति और बातचीत के रास्ते भारत के साथ जारी सीमा विवाद सुलझाए.
संसदीय समिति के चेयरमैन एलियट एल एंजेल ने एक बयान जारी कर कहा है, "भारत और चीन की सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा के नज़दीक चीन की आक्रमकता को लेकर हम चिंतित हैं. चीन एक बार फिर ये दिखा रहा है कि वो अपने पड़ोसियों के साथ ताक़त का प्रदर्शन करने में यक़ीन रखता है न कि अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के तहत बातचीत के ज़रिए मसले का हल खोजने में."
बयान में कहा गया है, "सभी देशों के लिए एक समान अंतरराष्ट्रीय क़ानून हैं जिसका सभी को पालन करना चाहिए, ताकि हम वैसी दुनिया न बनाएँ, जिसमें "जिसकी लाठी उसकी भैंस" जैसी स्थिति बने. मैं चीन से कहना चाहता हूँ कि भारत के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए सभी मानदंडों का सम्मान करे और कूटनीति और मौजूदा तंत्र को काम में लाएँ."
"I strongly urge China to respect norms and use diplomacy and existing mechanisms to resolve its border questions with India."
— House Foreign Affairs Committee (@HouseForeign) June 1, 2020
-Chairman @RepEliotEngel https://t.co/say45WUhBt
सोमवार को चीन ने कहा था कि सीमा विवाद सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर सभी रास्ते खुले हैं और कि उसे सक़ीन है कि बातचीत के ज़रिए दोनों देश विवाद सुलझा सकते हैं.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाओ लिजियान ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि "फिलहाल भारत-चीन सीमा पर स्थिति स्थिर है और काबू में है. सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर सभी रास्ते खुले हैं."
उन्होंने कहा, "हमें यक़ीन है कि दोनों पक्ष इस मुद्दे पर बातचीत और चर्चा कर इसे सुलझा सकते हैं."
बीते कुछ सप्ताह से पूर्वी लद्दाख और सिक्किम में सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा के नज़दीक भारत और चीन की सेनाएँ आमने सामने हैं. दोनों सेनाओं के बीच झड़प होने की भी ख़बरें हैं.
भारत ने इससे पहले कहा था कि वो वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करता है लेकिन इस इलाक़े में हाल में चीनी पक्ष अधिक सक्रिय हुआ है वो भारत की पट्रोलिंग में भी बाधा डाल रहा है.
इससे पहले अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की थी जिसके उत्तर में भारत ने कहा था "सरहद पर जारी गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान के लिए चीन के साथ बातचीत जारी है."
क्या है पूरा मामला?
बीते चार सप्ताह से दोनों देशों के बीच तनाव जारी है और भारत और चीन के हज़ारों सैनिक अक्साई चीन में स्थित गलवान और पेनगॉन्ग सो झील के इलाक़े में आमने सामने तैनात हैं.
गलवान घाटी को लेकर उस वक़्त तनाव पैदा हो गया जब भारत ने आरोप लगाया कि गलवान घाटी के किनारे चीनी सेना ने कुछ टेंट लगाए हैं.
गलवान घाटी लद्दाख और अक्साई चीन के बीच भारत-चीन सीमा के नज़दीक स्थित है. यहां पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) अक्साई चीन को भारत से अलग करती है. ये घाटी चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख़ तक फैली है.
इसके बाद भारत ने वहाँ फ़ौज की तैनाती बढ़ा दी. दूसरी तरफ़ चीन ने आरोप लगाया कि भारत गलवान घाटी के पास सुरक्षा संबंधी ग़ैर-क़ानूनी निर्माण कर रहा है.
इससे पहले नौ मई को नॉर्थ सिक्किम के नाथू ला सेक्टर में भारतीय और चीनी सेना में झड़प हुई थी.
उस वक़्त लद्दाख में एलएसी के पास चीनी सेना के हेलिकॉप्टर देखे गए थे. फिर इसके बाद भारतीय वायु सेना ने भी सुखोई और दूसरे लड़ाकू विमानों की पट्रोलिंग शुरू कर दी थी.
भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध को ख़त्म करने के लिए डिवीज़न कमांडर स्तर पर हुई कई दौर की वार्ता विफल रही हैं.
पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा स्थिति और चीन के साथ चल रहे मौजूदा गतिरोध पर एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की थी.
इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ जनरल विपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख भी शामिल रहे थे.