नए दलाई लामा के चयन पर अमेरिका चीन पर कसेगा शिकंजा
बेंगलुरु। तिब्बत के अध्यात्मिक गुरु के चुनाव को लेकर अमेरिका संजीदा हो गया है। अमेरिका तिब्बतियों के धार्मिक गुरु के लिए चीन के लिए कुछ सीमाएं तय करने पर विचार कर रहा है। दरअसल अमेरिका दलाई लामा के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है।
कुछ समय पहले एक वरिष्ठ अधिकारी से मिली चेतावनी और कांग्रेस में विचाराधीन एक विधेयक के जरिए अमेरिका चीन को पहले ही यह बात स्पष्ठ कर देने पर विचार कर रहा है कि अगर वह उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करेगा तो उसे अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपमान और विरोध झेलना पड़ेगा।
बता दें तिब्बतियों के 14वें धर्म गुरु दलाई लामा 84 वर्ष के हैं। उन्होंने पिछले कुछ समय से अपनी लगातार यात्राओं को कम कर दिया है। धर्मगुरु दलाईलामा को 2019 की शुरुआत में सीने का संक्रमण हो गया था। जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
हालांकि इसा बात के कोई संकेत नहीं हैं कि उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी कोई गंभीर समस्या है। फिलहाल,तिब्बती कार्यकर्ता और चीन इस बात से भली भांति परिचित हैं कि दलाई लामा का निधन हिमालयी क्षेत्र तिब्बत को ज्यादा स्वायत्तता देने के उनके प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा।
चीन ने दलाई लाम के प्रतिनिधियों से नौ सालों तक कोई बातचीन नहीं की है और लगातार यह संकेत दिया है कि उनका उत्तराधिकारी चीन चुनेगा। जिसके बारे में उनका मानना है कि वह तिब्बत पर उसके निरंकुश शासन का समर्थन करेगा।
बता दें अमेरिकी कांग्रेस में हाल में पेश किए गए एक विधेयक में किसी भी चीन अधिकारी के तिब्बती बौद्ध उत्तराधिकारी परंपराओं में हस्तक्षेप पर प्रतिबंध की अपील की गई है। पूर्व एशिया के लिए विदेश मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी डेविड स्टलवेल ने कांग्रेस के समक्ष कहा कि अमेरिका तिब्बतियों को अर्थपूर्णस्वायत्ता के लिए दबाव बनाता रहेगा।
गौरतलब हैं कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ा है। वहीं चीन अपने निजी स्वार्थों के चलते पाकिस्तान का साथ दे रहा हैं। वह केवल साथ ही नहीं दे रहा बल्कि वह पाक को सैन्य और अस्त्रबल में सहायता कर रहा हैं।
गौर करने वाली यह बात हैं कि भारत और पाक के बीच मौजूदा हालात पर 14वें तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने पाकिस्तान की इमरान सरकार को नसीहत दी थी । दलाई लामा ने कहा था कि इमरान खान भले ही जोश दिखा रहे हैं, लेकिन वे सच्चाई से वाकिफ हैं।
दलाई लामा ने कहा था कि पाकिस्तान की हालत खराब है, इमरान खान भले ही जोश दिखा रहे हैं, लेकिन वे सच्चाई जानते हैं। इमरान जानते हैं कि अगर युद्ध हुआ तो पाकिस्तान भारत को हरा नहीं सकता है। ऐसे में बेहतर होगा कि पाकिस्तान भारत से सौहार्दपूर्ण संबंध ही रखे। दलाई लामा ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का पुरजोर समर्थन किया, लेकिन उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बंटवारे को पूरी तरह गलत ठहराया।
तिब्बती धर्मगुरु ने कहा, 'भारत सरकार के लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के रूप में दो अलग केंद्रशासित राज्य बनाने का फैसला सही है या नहीं, ये जटिल सवाल है, लेकिन मैं समझता हूं कि भारत और पाकिस्तान का विभाजन ही गलत हुआ, गांधीजी भी इसके खिलाफ थे।' दलाई लामा ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के विभाजन का कोई कारण नहीं था। आज ही की तरह 1947 में भी पाकिस्तान के हिस्से में गए राज्यों से ज्यादा मुसलमान भारत में थे। उन्होंने यह भी कहा था कि पाक के कब्जे वाला कश्मीर भारत के कश्मीर से बहुत कम विकसित है। दलाई लामा ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि वे भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं।