ग्लोबल टाइम्स ने फिर दी धमकी, कहा- चीन चाह ले तो गुआम को नहीं बचा पाएगा अमेरिका
बीजिंग, 26 अगस्तः अमेरिका के गुआम नौसैनिक अड्डे के एयर और मिसाइल डिफेंस को अपग्रेड करने की खबरों से चीन बेहद नाराज हो गया है। ड्रैगन को डर है कि अमेरिका इन सिस्टम को अपग्रेड करने की आड़ में गुआम के नजदीकी इलाकों में शक्तिशाली रडार स्टेशन स्थापित कर सकता है। ये रडार चीन की नौसैनिक गतिविधियों पर नजर रखने के अलावा जमीन पर भी चीनी सेना के मूवमेंट को ट्रैक कर पाएंगे। इस कारण बौखलाए चीन ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र में शुमार ग्लोबल टाइम्स के जरिए अमेरिका को धमकी दी है।
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चीन के हमले में नहीं टिक पाएगा गुआम
ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा कि गुआम अमेरिकी सेना में प्रशांत महासागर का दिल माना जाता है। हाल के रिपोर्टों में बताया गया है कि पेंटागन गुआम की वायु और मिसाइल सुरक्षा को व्यापक रूप से उन्नत कर रहा है। ग्लोबल टाइम्स ने इसके पीछे की वजह बताते हुए लिखा है कि इसका गुआम की वर्तमान रक्षा क्षमताएं चीन के मिसाइल हमले से निपटने के लिए अपर्याप्त हैं। यूएस मिसाइल डिफेंस एजेंसी के प्रमुख वाइस एडमिरल जॉन हिल ने अमेरिकी कांग्रेस के सामने यह प्रस्ताव पेश किया है कि गुआम के रक्षा को बढ़ाया जाना चाहिए। इसके लिए 2026 तक का समय भी निर्धारित किया गया है।
चीन का डर दिखा अधिकारी लूटते हैं पैसा
चीनी मीडिया ने लिखा कि अमेरिका में कुछ लोग गुआम को लेकर सनसनीखेज दावा कर रहे हैं। अमेरिकियों का मानना है कि पर्ल हार्बर की घटना को फिर से दोहराने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इन लोगों को डर है कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी गुआम पर चुपके से हमला कर सकती है। इससे गुआम में मौजूद अमेरिकी सैन्य ताकत खत्म हो जाएगी। ग्लोबल टाइम्स लिखा, असल बात ये है कि पेंटागन, एफबीआई, सीआईए जैसी एजेंसियां चीन के खिलाफ डरावनी कहानियों को गढ़ने में माहिर हैं। ऐसा करके वे अपने विभागों के लिए अधिक बजट हासिल कर लेती हैं। यूं ही नहीं अमेरिका के वित्तीय वर्ष 2023 के रक्षा बजट अनुरोध में गुआम की रक्षा के लिए 892 मिलियन डॉलर का फंड शामिल है।
अमेरिकी थिंकटैंक को ताइवान से मिलता है पैसा
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि हमने देखा है अमेरिका के हडसन इंस्टीट्यूट जैसे रूढ़िवादी थिंक टैंक ‘चीन गुआम पर हमला कर सकता है' जैसे दावों की खूब वकालत करते हैं। यह एक खुला तथ्य है कि इस संस्थान को लंबे समय से ताइवान के डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के अधिकारियों से धन प्राप्त होता रहा है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि जनता की राय बनाने के प्रयास में इसके पीछे एक प्रेरक शक्ति है कि ''अमेरिकी सेना को ताइवान की रक्षा में मदद करनी चाहिए'' की भावना विकसित करना है। इससे अमेरिकी सेना को भी बजट मिलता है, जिसका इस्तेमाल वह दूसरे हथियारों को बनाकर बेचने में करता है।
अमेरिका ने स्पेन से गुआम छीना
ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा है कि अमेरिका ने 1898 में युद्ध कर स्पेन से गुआम को छीन लिया था। इस द्वीप पर अमेरिकी वायु सेना, नौसेना और मरीन कॉर्प्स के लिए ठिकाने हैं। गुआम अमेरिका की मुख्य भूमि से लगभग 10,000 किलोमीटर दूर है, और ताइवान द्वीप से केवल 2,700 किलोमीटर दूर है। इस जगह से अमेरिका चीन पर नजर बनाए रखने के साथ-साथ प्रशांत महासागर में भी अपनी उपस्थिति को मजबूत करता है। इससे एशिया में भी अमेरिका को ताकझांक करने और जापान में तैनात अपने सातवें बेड़े की मदद करने में सहायता मिलती है।
चीन कब करेगा गुआम पर हमला ?
गुआम के कारण अमेरिका को अपनी मुख्य भूमि से एक चेन कनेक्टिविटी मिलती है, जिसमें गुआम, जापान, ताइवान, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया, डिएगो गार्सिया और जिबूती शामिल हैं। इन सभी स्थानों पर अमेरिका के सैन्य अड्डे मौजूद हैं। ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि चीन का अमेरिका के साथ भविष्य में युद्ध लड़ने का कोई इरादा नहीं है। इस बात की संभावना भी कम है कि चीन जापान की तरह चुपके से हमला करके अघोषित युद्ध करेगा। अमेरिका इसे लेकर निश्चिंत रह सकता है। हालांकि ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि अगर अमेरिका ताइवान मामले में सैन्य हस्तक्षेप करता है तो चीन को युद्ध करने में कोई भी हिचकिचाहट नहीं होगी। तब गुआम भी हमारी रेंज में होगा और युद्ध में किसी भी क्षेत्र को निशाना बनाया जा सकता है।
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