केवल ऐसे विदेशी युवाओं को ही कामकाजी वीजा में प्राथमिकता देगा अमेरिका, पेश हुआ एच-1बी विधेयक
नई दिल्ली। अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों में पहली बार कोई ऐसा विधेयक पेश किया गया है, जो एच-1बी कामकाजी वीजा में प्रमुख सुधारों से जुड़ा हुआ है। अमेरिकी सांसदों के द्विदलीय समूह द्वारा पेश किया गया यह विधेयक अमेरिका में पहले से मौजूद भारतीय छात्रों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है, क्योंकि इसमें अमेरिका में शिक्षित मेधावी विदेशी युवाओं को प्राथमिकता देने की बात की गई है।
गौरतलब है एच-1बी वीजा गैर अप्रवासी वीज़ा है, जो अमेरिकन कंपनियों को विशेषज्ञता वाले पेशों में विदेशी कर्मचारियों को रोजगार देने की इजाजत देता है, जिनमें खास तरह की सैद्धांतिक एवं तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को नौकरी पर रखने के लिए कंपनियां इस वीजा सुविधा पर निर्भर करती हैं।
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गत एक अप्रैल को अमेरिकी नागरिकता एवं अप्रवासी सेवा (यूएससीआईएस) ने कहा था कि प्रोद्यौगिकी क्षेत्र के विदेशी पेशेवरों के लिए आवश्यक एच-1बी वीजा की खातिर उसे पंजीयन के 2,75,000 अनुरोध प्राप्त हुए, जिनमें से 67 फीसदी से अधिक भारत से थे। अमेरिका में 2,00,000 से अधिक भारतीय छात्र हैं।
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प्रतिनिधि सभा एवं सीनेट में प्रस्तुत 'एच-1बी एंड एल-1 वीजा रिफॉर्म एक्ट' के तहत आव्रजन सेवा विभाग को पहली बार एच-1बी वीजा का आवंटन प्राथमिकता के आधार पर करना होगा। नई प्रणाली के तहत एच-1बी वीजा के लिए उन श्रेष्ठ एवं तीक्ष्ण छात्रों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिन्होंने अमेरिका में शिक्षा प्राप्त की है।
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उल्लेखनीय है सीनेट में इस विधेयक को सीनेटर चक ग्रेसली और डिक डर्बिन ने पेश किया। प्रतिनिधिसभा में इसे बिल पासरेल, पॉल गोसार, रो खन्ना, फ्रैंक पलोन और लांस गूडेन ने पेश किया। इस विधेयक का एक पहलू यह भी है कि यह अमेरिकी कर्मचारियों का स्थान एच-1बी या एल-1 वीजाधारकों द्वारा लेने पर स्पष्ट रोक लगाता है।