भारत, जापान और दक्षिण कोरिया का त्रिकोण बनाकर चीन को घेरेगा अमेरिका
नई दिल्ली- अमेरिकी ने अब चीन के खिलाफ अपने सारे घोड़े छोड़ने का मन बना लिया है। अब वह भारत, जापान और दक्षिण कोरिया का साथ लेकर आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर चीन की ऐसी-तैसी करने की तैयारियों में जुट गया है। इसके लिए अमेरिका विधायी रूट लेने की तैयारी में भी है और वहां के एक नामी और प्रभावशाली सीनेटर इस काम में पूरे लगन के साथ जुट गए हैं। अमेरिका समझ गया है कि उसकी कंपनियों के लिए अब चीन में रहकर अपना कारोबार करना मुश्किल है, इसलिए वह भारत के विकल्प का मन बना रहा है और इसे स्थाई रक्षा सहयोगी बनाने पर भी विचार कर रहा है।
चीन को घेरने वाला भारत-अमेरिका का नया त्रिकोण
चीन की हरकतों पर निगाह रखने के लिए अब अमेरिका भारत, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ मिलकर काम करेगा। ये बात अमेरिका के एक प्रभावशाली सीनेटर मार्क वार्नर ने कही है। उन्होंने भारत को अमेरिका का स्थायी रणनीतिक रक्षा सहयोगी बनाने के लिए भी अमेरिकी कांग्रेस में विधेयक लाया है। वार्नर की बातों में इसलिए दम है, क्योंकि वो डेमोक्रैटिक पार्टी के सीनेटर होने के साथ ही सीनेट की इंटेलीजेंस मामलों की स्थायी कमेटी के चेयरमैन भी हैं। उन्होंने भारत को अमेरिका का रणनीतिक रक्षा सहयोगी बनाए जाने के अपने प्रस्तावों की चर्चा यूएस-इंडिया सिक्योरिटी काउंसिल के सदस्यों के साथ बातचीत की दौरान की है। उन्होंने कहा है कि चीन अमेरिकी कंपनियों के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बनकर उभरा है और अब वहां बिजनेस करना अमेरिका के लिए बौद्धिक चोरी का बहुत बड़ा खतरा बन गया है।
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चीन से भारत शिफ्ट हो सकती हैं अमेरिकी कंपनियां
वार्नर अमेरिकी सीनेट में इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष भी हैं और उन्होंने भारत को अमेरिका का स्थायी सामरिक रक्षा सहयोगी बनाने के लिए अमेरिकी नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन ऐक्ट (एनडीएए) में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। चीन में काम करने वाली कंपनियों पर हर तरह से नजर रखे जाने को लेकर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि चीन के खतरे से निपटने के लिए अमेरिका भारत, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ काम करेगा। इस दौरान यूएस-इंडिया सिक्योरिटी काउंसिल के जाने-माने इंडियन-अमेरिकन रमेश कपूर ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में अमेरिका के हित में यही है कि वह चीन से अपनी सारी मैन्युफैक्चरिंग को अमेरिका वापस ले आए। उन्होंने कहा कि जिन मामले में श्रम और दूसरे मुद्दों को लेकर कोई बात थी तो बेहतर ये होगा कि चीन में मौजूद उन सारी कंपनियों से मैन्युफैक्चरिंग को भारत शिफ्ट कर दिया जाए।
चीन में कारोबार से चिंतित उद्योगपति
वहीं इस चर्चा के दौरान शिकागो के भारत बराई ने कहा कि भारत और अमेरिका की मझोले और छोटे स्तर की कई इलेक्ट्रॉनिक कंनियों को चीन के अनुचित व्यापारिक तौर-तरीकों के चलते काफी कुछ भुगतना पड़ा है। उन्होंने अपने बयान में सीनेटर वार्नर के लिए पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करवाने की कोशिश करने का भी ऑफर दिया है। जबकि, कोटी कृष्णा ने कहा कि वो बहुत खुश हैं कि उन्होंने पहले ही चीन से अपना सारा कारोबार समेट लिया है, क्योंकि वह पहले बहुत चिंतित रहते थे कि वहां से पूंजी निकल भी पाएगा या नहीं। बाकी इंडियन-अमेरिकनों ने भी सीनेटर के सामने कुछ इस तरह की ही भावनाएं जाहिर कीं।
चीन पर लगाम लगाने को सब तैयार
इस मौके पर पूर्वी लद्दाख में चीन की हरकतों को लेकर सबसे बड़ी चिंता राजेंद्र दिचापल्ली ने जताई। उन्होंने चेताया कि बीजिंग का यह रवैया सिर्फ दक्षिण एशिया और प्रशांत क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रहने वाला है, बल्कि उसका विस्तारवादी चरित्र आगे चलकर अमेरिका के लिए भी खतरा पैदा करेगा। यूएस-इंडिया सिक्योरिटी काउंसिल की ओर से जारी बयान में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि 'सभी सदस्य इस बात पर सहमत हुए कि अन्य मित्र देशों के साथ साझेदारी करके चीन पर लगाम लगाना अति आवश्यक है।'