क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

तिब्बत को लेकर अमरीका ने की कार्रवाई, तो चीन ने भी किया पलटवार

अमरीका ने चीन के कुछ अधिकारियों पर पाबंदी लगाई, तो चीन ने भी बदले में ऐसी ही घोषणा कर डाली.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग
Reuters
डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग

तिब्बत को लेकर चल रही असहमतियों के बीच चीन और अमरीका ने एक-दूसरे के अधिकारियों पर वीज़ा प्रतिबंध लगाए हैं. दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर चल रहे मतभेदों की ये नई कड़ी है.

अमरीका ने एक दिन पहले तिब्बत को लेकर कुछ चीनी अधिकारियों पर पाबंदी की घोषणा की, जवाब में बुधवार को चीन ने कहा कि वो उन अमरीकियों पर वीज़ा प्रतिबंध लगा रहा है, जो तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर ग़लत व्यवहार करते हैं.

मंगलवार को अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा था कि वो चीन के अधिकारियों पर पाबंदी नए अमरीकी क़ानून के तहत लगा रहे हैं. इस क़ानून के तहत अमरीका ने चीन से कहा है कि वो अमरीकियों को देश के पश्चिमी इलाक़े में जाने दे. अमरीका तिब्बत में सार्थक स्वायत्तता की भी माँग करता रहा है.

पॉम्पियो ने एक बयान में कहा था, "दुर्भाग्य से चीन अमरीकी राजनयिकों और अन्य अधिकारियों को तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र और तिब्बत के अन्य इलाक़ों में जाने से रोकता रहता है. इनमें पत्रकार और पर्यटक भी शामिल हैं. जबकि अमरीका में चीन के नागरिकों और अधिकारियों पर इस तरह की रोक-टोक नहीं."

अमरीका का कहना है कि उसने उन चीनी अधिकारियों के वीज़ा पर रोक लगाई है, जो विदेशियों को तिब्बती इलाक़े में जाने से रोकने के मामले में शामिल हैं.

माइक पॉम्पियो
Getty Images
माइक पॉम्पियो

लेकिन अमरीकी विदेश मंत्रालय ने न उन चीनी अधिकारियों के नाम बताए हैं और न ही उनकी संख्या ही बताई है.

जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ज़ाओ लिजियान ने अमरीका के इस क़दम का कड़ा विरोध किया है और अपील की है कि अमरीका तिब्बत से संबंधित मुद्दों के ज़रिए चीन के आंतरिक मामलों में दख़लंदाज़ी करना तुरंत बंद करे.

तिब्बत को लेकर है विवाद

उन्होंने कहा, "अमरीका के ग़लत क़दम के जवाब में चीन ने उन अमरीकियों पर वीज़ा पाबंदी लगाने का फ़ैसला किया है, जो तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर ग़लत व्यवहार करते हैं."

अमरीका ने इससे पहले हॉन्गकॉन्ग के मामले में भी चीनी अधिकारियों पर वीज़ा पाबंदी लगाई थी. साथ ही वीगर मुसलमानों की कथित प्रताड़ना के मुद्दे पर भी अमरीका ने ऐसे ही क़दम उठाए थे.

तिब्बत से जुड़ी अमरीका की कार्रवाई 2018 के क़ानून के तहत है, जिसके तहत तिब्बत को लेकर पाबंदियाँ कम करने के लिए चीन पर दबाव बनाना शामिल हैं.

चीन तिब्बत को अपना भू-भाग मानता रहा है लेकिन तिब्बत ख़ुद को चीन के अधीन नहीं मानता और अपनी आज़ादी की बात करता रहा है.

ये भी पढ़ें: चीन-भूटान विवाद: चीन अब भूटान में क्या दावा कर रहा, भारत पर होगा दबाव

दलाई लामा
EPA
दलाई लामा

तिब्बत को चीन ने साल 1951 में अपने नियंत्रण में ले लिया था. 1950 के दशक से दलाई लामा और चीन के बीच शुरू हुआ विवाद अभी ख़त्म नहीं हुआ है. चीन उन्हें एक अलगाववादी नेता मानता है. दलाई लामा के भारत में रहने से चीन से रिश्ते अक्सर तनावपूर्ण रहते हैं.

61 साल पहले 1959 में दलाई लामा ने तिब्बत से भागकर भारत में शरण ली थी और निर्वासित सरकार का गठन किया था.

पंचेन लामा को लेकर भी अमरीका ने चीन को घेरा था

पंचन लामा
EPA
पंचन लामा

मई महीने में अमरीका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा था कि चीन को जल्द से जल्द तिब्बती धार्मिक नेता पंचेन लामा के बारे में जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए.

माइक पॉम्पियो ने यहाँ तक कहा कि 25 साल पहले चीनी अधिकारियों ने पंचेन लामा का अपहरण कर लिया था, जब वो सिर्फ़ छह साल के थे. अब वो 31 साल के हो गए हैं. अमरीकी विदेश मंत्री ने कहा कि चीन में सभी धर्मों को मानने वालों को बिना दख़ल के अपनी मान्यताओं को अपनाने की अनुमति होनी चाहिए.

उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि कैसे चीन तिब्बतियों की धार्मिक, भाषायी और सांस्कृतिक पहचान को अलग करने की कोशिश कर रहा है. कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण परेशान अमरीका ने चीन को अब एक नए मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया है.

तिब्बत का मामला ऐसा ही है. कोरोना वायरस की उत्पत्ति और चीन की भूमिका को लेकर अमरीका ने पहले ही मोर्चा खोला हुआ है. अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन और चीन पर निशाना साधा है.

कोरोना संक्रमण के मामले पर चीन को ज़िम्मेदार ठहराने और इसकी आर्थिक क़ीमत चुकाने को लेकर अमरीका ने कई पहल की है. अब अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने पंचेन लामा का मुद्दा उठाकर चीन को घेरने की कोशिश की है.

तिब्बत का इतिहास

ल्हासा
BBC
ल्हासा

मुख्यतः बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के इस सुदूर इलाक़े को 'संसार की छत' के नाम से भी जाना जाता है. चीन में तिब्बत का दर्जा एक स्वायत्तशासी क्षेत्र के तौर पर है.

चीन का कहना है कि इस इलाक़े पर सदियों से उसकी संप्रभुता रही है जबकि बहुत से तिब्बती लोग अपनी वफ़ादारी अपने निर्वासित आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के प्रति रखते हैं.

दलाई लामा को उनके अनुयायी एक जीवित ईश्वर के तौर पर देखते हैं तो चीन उन्हें एक अलगाववादी ख़तरा मानता है.

तिब्बत का इतिहास बेहद उथल-पुथल भरा रहा है. कभी वो एक ख़ुदमुख़्तार इलाक़े के तौर पर रहा तो कभी मंगोलिया और चीन के ताक़तवर राजवंशों ने उस पर हुकूमत की.

लेकिन साल 1950 में चीन ने इस इलाक़े पर अपना झंडा लहराने के लिए हज़ारों की संख्या में सैनिक भेज दिए. तिब्बत के कुछ इलाक़ों को स्वायत्तशासी क्षेत्र में बदल दिया गया और बाक़ी इलाक़ों को इससे लगने वाले चीनी प्रांतों में मिला दिया गया.

लेकिन साल 1959 में चीन के ख़िलाफ़ हुए एक नाकाम विद्रोह के बाद 14वें दलाई लामा को तिब्बत छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी जहां उन्होंने निर्वासित सरकार का गठन किया.

साठ और सत्तर के दशक में चीन की सांस्कृतिक क्रांति के दौरान तिब्बत के ज़्यादातर बौद्ध विहारों को नष्ट कर दिया गया. माना जाता है कि दमन और सैनिक शासन के दौरान हज़ारों तिब्बतियों की जाने गई थीं.

तिब्बत को लेकर विवाद

चीन और तिब्बत के बीच विवाद, तिब्बत की क़ानूनी स्थिति को लेकर है. चीन कहता है कि तिब्बत तेरहवीं शताब्दी के मध्य से चीन का हिस्सा रहा है लेकिन तिब्बतियों का कहना है कि तिब्बत कई शताब्दियों तक एक स्वतन्त्र राज्य था और चीन का उस पर निरंतर अधिकार नहीं रहा.

मंगोल राजा कुबलई ख़ान ने युआन राजवंश की स्थापना की थी और तिब्बत ही नहीं बल्कि चीन, वियतनाम और कोरिया तक अपने राज्य का विस्तार किया था.

फिर सत्रहवीं शताब्दी में चीन के चिंग राजवंश के तिब्बत के साथ संबंध बने. 260 साल के रिश्तों के बाद चिंग सेना ने तिब्बत पर अधिकार कर लिया. लेकिन तीन साल के भीतर ही उसे तिब्बतियों ने खदेड़ दिया और 1912 में तेरहवें दलाई लामा ने तिब्बत की स्वतन्त्रता की घोषणा की.

1951 में चीनी सेना ने एक बार फिर तिब्बत पर नियन्त्रण कर लिया और तिब्बत के एक शिष्टमंडल से एक संधि पर हस्ताक्षर करा लिए जिसके तहत तिब्बत की प्रभुसत्ता चीन को सौंप दी गई. दलाई लामा भारत भाग आए और तभी से वे तिब्बत की स्वायत्तता के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

क्या तिब्बत चीन का हिस्सा है?

तिब्बत को लेकर कई जगह प्रदर्शन होते रहते हैं
AFP
तिब्बत को लेकर कई जगह प्रदर्शन होते रहते हैं

चीन-तिब्बत संबंधों से जुड़े कई सवाल हैं जो लोगों के मन में अक्सर आते हैं. जैसे कि क्या तिब्बत चीन का हिस्सा है? चीन के नियंत्रण में आने से पहले तिब्बत कैसा था? और इसके बाद क्या बदल गया?

तिब्बत की निर्वासित सरकार का कहना है, "इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि इतिहास के अलग-अलग कालखंडों में तिब्बत विभिन्न विदेशी शक्तियों के प्रभाव में रहा था. मंगोलों, नेपाल के गोरखाओं, चीन के मंचू राजवंश और भारत पर राज करने वाले ब्रितानी शासक, सभी की तिब्बत के इतिहास में कुछ भूमिकाएं रही हैं. लेकिन इतिहास के दूसरे कालखंडों में वो तिब्बत था जिसने अपने पड़ोसियों पर ताक़त और प्रभाव का इस्तेमाल किया और इन पड़ोसियों में चीन भी शामिल था."

"दुनिया में आज कोई ऐसा देश खोजना मुश्किल है, जिस पर इतिहास के किसी दौर में किसी विदेशी ताक़त का प्रभाव या आधिपत्य न रहा हो. तिब्बत के मामले में विदेशी प्रभाव या दख़लअंदाज़ी तुलनात्मक रूप से बहुत ही सीमित समय के लिए रही थी."

लेकिन चीन का कहना है, "सात सौ साल से भी ज़्यादा समय से तिब्बत पर चीन की संप्रभुता रही है और तिब्बत कभी भी एक स्वतंत्र देश नहीं रहा है. दुनिया के किसी भी देश ने कभी भी तिब्बत को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं दी है."

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
America took action on Tibet, China also retaliated
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X