अफगानिस्तान शांति वार्ता: अमेरिका से बात करने के लिए तालिबान राजी
काबुल। अफगानिस्तान की जमीन पर आतंकवाद को रोकने के लिए अमेरिकी अधिकारियों और तालिबान विद्रोहियों के बीच शांति वार्ता के लिए सहमति बन गई है। अफगानिस्तान में अमेरिका के स्पेशल डिप्लोमेट जलमय खालीलजाद ने सोमवार को कहा कि युद्ध ग्रस्त अफगानिस्तान से आतंकवाद को रोकने के लिए दोनों पक्षों के बीच सहमति बन चुकी है। अगर वार्ता सफल रहती है तो अमेरिका की पूरी सेना को अफगानिस्तान छोड़ना पड़ सकता है, जो कि तालिबान लंबे समय से चाह रहा है। अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए खालीलजाद लगातार पाकिस्तान और भारत से भी संपर्क में है।
बातचीत का मसौदा तैयार
अमेरिकी डिप्लोमेट जलमय खालीलजाद ने 'द न्यू यॉर्क टाइम्स' को दिए इंटरव्यू में कहा, 'हमारे पास इस रूपरेखा का एक मसौदा तैयार है, जिसे समझौते से पहले बता दिया जाएगा।' खालीलजाद ने कहा कि तालिबान हमारी संतुष्टि के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि अफगानिस्तान को इंटरनेशनल टेरर प्लेटफॉर्म बनने से रोकने के लिए ये जरुरी है। 9 सालों के प्रयासों के बाद अफगानिस्तान में तालिबान के साथ एक शांति समझौते तक पहुंचना और बातचीत के लिए एक मसौदा तैयार करना, दो दशक से चले आ रहे यु्द्ध की समाप्ति की दिशा में इसे एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अमेरिकी विदेश नीति को अफगान-तालिबान ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।
अफगान सरकार खुश नहीं
दोहा में तालिबान विद्रोहियों से छह दिन तक चली बातचीत के बाद खालीलजाद पिछले रविवार को काबुल पहुंचकर अशरफ गनी सरकार से बात की। खालीलजाद से बातचीत करने के बाद अपने मुल्क को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति गनी ने इस शांति वार्ता पर चिंता व्यक्त की। गनी ने कहा कि 1980 में सोवियत संघ ने अफगानिस्तान छोड़ा था और उस वक्त भी शांति समझौता हुआ था, लेकिन इस समझौते के बाद भी देश में अराजकता फैल गई और विद्रोहियों ने राष्ट्रपति को सरेआम मौत के घाट उतार दिया था। गनी ने कहा, 'हम पुरानी गलतियों को फिर से नहीं दोहरा सकते। हमें शांति चाहिए, लेकन विवेक से।'
तालिबान को करनी अफगान सरकार से बातचीत
खालीलजाद ने कहा कि अलकायदा और अन्य अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूहों द्वारा अफगान क्षेत्र को आतंकवाद के लिए एक मंच के रूप में इस्तेमाल न करने को लेकर तालिबान ने सहमति व्यक्त की है। अफगानिस्तान शांति वार्ता को लेकर अमेरिका ने पहली बार कोई डिटेल शेयर की है। अब आगे होने वाली महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक वार्ता में अमेरिका के कुछ वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। लेकिन पूरी बात तभी बनेगी जब शांति वार्ता की टेबल पर अफगान सरकार के साथ तालिबान बातचीत के लिए आगे आएगा। आने वाले हफ्तों में अगर सबकुछ सही हो जाता है तो अमेरिका धीरे-धीरे अपने सारे सैनिकों को वापस बुला लेगा।