साउथ चायना सी को लेकर अमेरिका की चीन को दो टूक, स्वतंत्र देशों को चेताया
वॉशिंगटन। अमेरिका लगातार चीन की नीतियों पर हमलावर है। जिस तरह से चीन अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद को जन्म दे रहा है, उसके खिलाफ अमेरिका चीन पर लगातार हमलावर है। साउथ चायना सी को लेकर भी अमेरिका ने चीन को दो टूक कह दिया है कि वह यहां अपने दावे को छोड़ दे। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि अमेरिका की नीति बिल्कुल साफ है। साउथ चायना सी अमेरिका चीन का समुद्री साम्राज्य नहीं है। अगर बीजिंग अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करता है और इसपर स्वतंत्र देश कुछ नहीं करते हैं तो इतिहास गवाह है कि चायनीज कम्युनिस्ट पार्टी और इलाकों पर कब्जा करेगी। चायना सी के विवाद को अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार ही सुलझाना चाहिए।
इससे पहले गुरुवार को भी माइक पोंपियों ने चीन पर हमला किया था। उन्होंने कहा था कि बीजिंग से डील करते समय वॉशिंगटन की नई नीति अविश्वास और सत्यापन की होगी। यानि चीन की बातों का बिना सत्यापन किए विश्वास नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी देशों को चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी को अपना रवैया बदलने के लिए दबाव डालना चाहिए। सभी देशों को सीसीपी पर दबाव डालना चाहिए कि वह अपने तरीकों और रचनात्मक और सकारात्मक करे।
पोंपियो ने कहा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को सच में बदलने का एक ही तरीका है कि इनके नेता जो कहते हैं उसपर भरोसा नहीं किया जाए, बल्कि ये क्या करते हैं उसपर भरोसा किया जाए। पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने सोवियत से भरोसा और सत्यापन की नीति पर ही काम किया था। जब सीसीपी की बात आती है तो मैं कहता हूं कि अविश्वास और सत्यापन बेहतर है। पोंपियो ने यह बयान कम्युनिस्ट चायना एंड द फ्री वर्ल्डस फ्यूचर के कार्यक्रम के दौरान संबोधन में दिया।
चीन को अविश्वसनीय देश बताते हुए पोंपियो ने कहा कि हमे, दुनिया के आजाद देशों को सीसीपी के रवैये में बदलाव के लिए दबाव डालना चाहिए और उन्हे रचनात्मक और सकारात्मक तरीके अपनाने के लिए कहना चाहिए क्योंकि बीजिंग हमारे लोगों और उनकी समृद्धि के सामने मुश्किल खड़ी कर रहा है। अगर आजाद दुनिया कम्युनिस्ट चीन को नहीं बदल सकता है तो कम्युनिस्ट चीन हमे बदल देगा। चीन पुराने तरीकों को लेकर सहज है, इसका मतलब यह नहीं है कि हम पुराने तरीकों की ओर नहीं लौट सकते हैं। 21वीं शताब्दी को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सपनों का नहीं बनने देना है, हमे इस शताब्दी को आजाद बनाना है।