क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

अमेरिकाः संसद पर हमला अचानक नहीं हुआ, 65 दिनों से सुलग रही थी चिंगारी

दुनिया अमेरिका में पिछले सप्ताह जो हुआ उससे हैरान है. मगर अमेरिका को क़रीब से देख रहे लोगों की मानें तो इसके संकेत काफ़ी पहले से दिख रहे थे.

By शायन सरदारिज़ादेह और जेसिका लुसेनहोप
Google Oneindia News
अमेरिकी संसद में हिंसा
Getty Images
अमेरिकी संसद में हिंसा

वाशिंगटन में जिस तरह की घटनाएं पिछले दिनों देखने को मिली हैं उससे काफी लोग सकते में हैं. लेकिन अति दक्षिणपंथी समूह और षड्यंत्रकारियों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नज़र रखने वाले लोगों को ऐसे संकट का अंदाज़ा पहले से था.

अमरीकी राष्ट्रपति पद के लिए जिस दिन वोट डाले गए, उसी रात डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम के स्टेज पर आकर जीत की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था, "हम लोग ये चुनाव जीतने की तैयारी कर रहे हैं. साफ़ साफ़ कहूं तो हम यह चुनाव जीत चुके हैं."

उनका यह संबोधन उनके अपने ही ट्वीट के एक घंटे बाद हुआ था. उन्होंने एक घंटे पहले ही ट्वीट किया था, "वे लोग चुनाव नतीजे चुराने की कोशिश कर रहे हैं."

हालांकि उन्होंने चुनाव जीता नहीं था. कोई जीत नहीं हुई थी जिसे कोई चुराने की कोशिश करता. लेकिन उनके अति उत्साही समर्थकों के लिए तथ्य कोई अहमियत नहीं रखते थे और आज भी नहीं रखते हैं.

डोनाल्ड ट्रंप
Twitter
डोनाल्ड ट्रंप

65 दिनों के बाद दंगाइयों के समूह ने अमरीका की कैपिटल बिल्डिंग को तहस नहस कर दिया. इन दंगाइयों में तरह तरह के लोग शामिल थे, अतिवादी दक्षिण पंथी, ऑनलाइन ट्रोल्स करने वाले और डोनाल्ड ट्रंप समर्थक क्यूएनॉन लोगों का समूह जो मानता है कि दुनिया को पीडोफाइल लोगों का समूह चला रहा है और ट्रंप सबको सबक सिखाएंगे. इन लोगों में चुनाव में धांधली का आरोप लगाने वाले ट्रंप समर्थकों का समूह 'स्टॉप द स्टील' के सदस्य भी शामिल थे.

वाशिंगटन के कैपिटल हाउस में हुए दंगे के करीब 48 घंटों के बाद आठ जनवरी को ट्विटर ने ट्रंप समर्थ कुछ प्रभावशाली एकाउंट को बंद करना शुरू किया, ये वैसे एकाउंट थे जो लगातार षड्यंत्रों को बढ़ावा दे रहे थे और चुनावी नतीजों को पलटने के लिए सीधी कार्रवाई करने के लिए लोगों को उकसा रहे थे. इतना ही नहीं ट्विटर ने इसके बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एकाउंट पर भी पाबंदी लगा दी. 88 मिलियन से ज़्यादा फॉलोअर वाले ट्रंप के एकाउंट पर पाबंदी लगाने के पीछे की वजह यह बताई गई है कि उनके ट्वीट से और ज़्यादा हिंसा भड़कने का ख़तरा है.

वाशिंगटन में हुई हिंसा से दुनिया सदमे है और लग रहा था अमेरिका में पुलिस और अधिकारी कहीं मौजूद नहीं हैं. लेकिन जो लोग इस घटना की कड़ियों को ऑनलाइन और अमरीकी शहरों की गलियों में जुड़ते हुए देख रहे थे उनके लिए यह अचरज की बात नहीं है.

चुनावी नतीजों को प्रभावित किया जा सकता है, ये बात वोट डाले जाने के महीनों पहले से डोनाल्ड ट्रंप अपने भाषणों और ट्वीट के ज़रिए कह रहे थे. चुनाव के दिन भी जब अमेरिकों ने मतदान करना शुरू किया था, तभी से अफ़वाहों का दौर शुरू हो गया था.

रिपब्लिकन पार्टी के पोलिंग एजेंट को फिलाडेल्फिया पोलिंग स्टेशन में प्रवेश की इजाज़त नहीं मिली. इस पोलिंग एजेंट के प्रवेश पर रोक वाला वीडियो वायरल हो गया. ऐसा नियमों को समझने में हुई ग़लती की वजह से हुआ था. बाद में इस शख़्स को पोलिंग स्टेशन में प्रवेश की इजाज़त मिल गई थी.

लेकिन यह उन शुरुआती वीडियो में शामिल था जो कई दिनों तक वायरल होते रहे. इसके साथ दूसरे वीडियो, तस्वीरों, ग्राफिक्स के ज़रिए एक नए हैशटैग '#स्टॉप द स्टील' के साथ आवाज़ बुलंद की जाने लगी कि मतदान में धांधली को रोकना है. इस हैशटैग का संदेश स्पष्ट था कि ट्रंप भारी मतों से जीत हासिल कर चुके हैं लेकिन सत्ता प्रतिष्ठान में बैठी ताक़तें उनसे जीत को चुरा रही हैं.

चार नवंबर, 2020 बुधवार को दिन के शुरुआती घंटों में जब मतों की गिनती का काम जारी था और टीवी नेटवर्कों पर जो बाइडन की जीत की घोषणा होने में तीन दिन बाक़ी थे, तब राष्ट्रपति ट्रंप ने जीत का दावा करते हुए आरोप लगाया था कि अमरीकी जनता के साथ धोखा किया जा रहा है. हालांकि अपने दावे के पक्ष में उन्होंने कोई सबूत नहीं था. हालांकि अमेरिका में पहले हुए चुनावों के अध्ययन यह स्पष्ट है कि वहां मतगणना में किसी तरह की गड़बड़ी एकदम असंभव बात है.

अमेरिकी संसद में हिंसा
Getty Images
अमेरिकी संसद में हिंसा

दोपहर आते आते 'स्टॉप द स्टील' नाम से एक फेसबुक समूह बन चुका था जो फ़ेसबुक के इतिहास में सबसे तेज़ गति से बढ़ने वाला समूह साबित हुआ. गुरूवार की सुबह तक इस समूह से तीन लाख से ज़्यादा लोग जुड़ चुके थे.

अधिकांश पोस्ट में बिना किसी सबूत के आरोप लगाए गए थे कि बड़े पैमाने पर मतगणना में धांधली की जा रही है, यह भी कहा कि हज़ारों ऐसे लोगों के मत डाले गए हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है. यह आरोप भी लगाया गया कि वोट गिनने वाली मशीन को इस तरह से तैयार किया गया है कि वह ट्रंप के मतों को बाइडन के मतों में गिन रही है.

लेकिन कुछ पोस्ट वास्तव में कहीं ज़्यादा चिंतित करने वाले थे, इन पोस्टों में सिविल वॉर और क्रांति की ज़रूरी बताया जा रहा था. गुरुवार की दोपहर तक फ़ेसबक ने स्टॉप द स्टील पेज को हटाया लेकिन तब तक इस पेज पर पांच लाख से ज़्यादा कमेंट, लाइक्स और रिएक्शन आ चुके थे. इस पेज को हटाए जाने तक दर्जनों ऐसे समूह तैयार हो चुके थे.

अमेरिकी संसद में हिंसा
Getty Images
अमेरिकी संसद में हिंसा

ट्रंप के मतों को चुराए जाने की बात ऑनलाइन फर फैलती जा रही थी. जल्दी ही, मतों की सुरक्षा के नाम पर स्टॉप द स्टील के नाम से समर्पित वेबसाइट लाँच की गई. शनिवार यानी सात नवंबर को, प्रमुख समाचार नेटवर्कों ने जो बाइडन को चुनाव का विजेता घोषित कर दिया. डेमोक्रेट्स के गढ़ में लोग जश्न मनाने के लिए सड़कों पर निकले. लेकिन ट्रंप के अति उत्साही समर्थकों की आनलाइन प्रतिक्रियाएं नाराजगी भरी और नतीजे को चुनौती देने वाली थी.

इन लोगों ने शनिवार को वाशिंगटन डीसी में मिलियन मेक अमेरिका ग्रेट अगेन मार्च के नाम से रैली प्रस्तावित की. ट्रंप ने इसको लेकर भी ट्वीट किया कि वे प्रदर्शन के ज़रिए रोकने की कोशिश कर सकते हैं. इससे पहले वाशिंगटन में ट्रंप समर्थक रैलियों में बहुत ज़्यादा लोग नहीं जुटे थे लेकिन शनिवार की सुबह फ्रीडम प्लाज़ा में हज़ारों लोग एकत्रित हुए थे.

एक अतिवादी शोधकर्ता ने इस रैली की भीड़ को ट्रंप समर्थकों के विद्रोह की शुरुआत कहा. जब ट्रंप की गाड़ियों का काफिला शहर से गुजरा तो समर्थकों में उनकी एक झलक पाने के लिए होड़ मच गई. समर्थकों के सामने 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' की टोपी पहने ट्रंप नज़र आए.

इस रैली में अति दक्षिणपंथी समूह, प्रवासियों का विरोध करने वाले और पुरुषों के समूह प्राउड ब्यॉज़ के सदस्य शामिल थे जो गलियों में हिंसा कर रहे थे और बाद में अमरीकी कैपटिल बिल्डिंग में घुसकर हिंसा की. इसमें सेना, दक्षिणपंथी मीडिया और षड्यंत्र के सिद्धांतों की वकालत करने वाले तमाम लोग शामिल हुए थे.

अमेरिकी संसद में हिंसा
Getty Images
अमेरिकी संसद में हिंसा

रात आते आते ट्रंप समर्थकों और उनके विरोधियों में हिंसक झड़प की ख़बरें आनी लगी थीं, इसमें एक घटना तो व्हाइट हाउस से पांच ब्लॉक की दूरी पर घटित हुआ. हालांकि इन हिंसाओं में पुलिस भी लिप्त थी, लेकिन इससे आने वाले दिनों का अंदाज़ा लगाया जा सकता था.

डोनाल्ड ट्रंप
Twitter
डोनाल्ड ट्रंप

अब तक राष्ट्रपति ट्रंप और उनकी कानूनी टीम ने अपनी उम्मीदें दर्जनों कानूनी मामलों पर टिका चुकी थीं हालांकि कई अदालतों ने चुनाव में धांधली के आरोपों को खारिज कर दिया था लेकिन ट्रंप समर्थकों की ऑनलाइन दुनिया ट्रंप के नजदीकी दो वकीलों सिडनी पॉवेल और एल लिन वुड की उम्मीदों से जुड़ीं थीं.

सिडनी पॉवेल और लिन वुड ने भरोसा दिलाया था कि वे चुनाव में धांधली के मामले को इतने विस्तृत ढंग से तैयार करेंगे कि मामला सामने आते ही बाइडन के चुनावी जीत की घोषणाओं की हवा निकल जाएगी.

Donald Trump
Reuters
Donald Trump

65 साल की पॉवेल एक कंजरवेटिव एक्टिविस्ट हैं और पूर्व सरकारी वकील रह चुकी हैं. उन्होंने फॉक्स न्यूज़ से कहा कि क्रैकन को रिलीज करने की कोशिश हो रही है. क्रैकन का जिक्र स्कैंडेवियन लोककथाओं में आता है जो विशालकाय समुद्री राक्षस है जो अपने दुश्मनों को खाने के लिए बाहर निकलता है.

उनके इस बयान के बाद क्रैकन को लेकर इंटरनेट पर तमाम तरह के मीम्स नजर आने लगे, इन सबके जरिए चुनावी में धांधली की बातों को बिना किसी सबूत के दोहराया जा रहा था. ट्रंप समर्थकों और क्यूएनऑन कांस्पिरेसी थ्योरी के समर्थकों के बीच पॉवेल और वुड किसी हीरो की तरह उभर कर सामने आए. एक्यूएनऑन कांस्पिरेसी थ्योरी में यक़ीन करने वाले का मानना है कि ट्रंप और उनकी गुप्त सेना डेमोक्रेटिक पार्टी, मीडिया, बिजेनस हाउसेज और हॉलीवुड में मौजूद फीडोफाइल लोगों के ख़िलाफ़ लड़ रही है. दोनों वकील राष्ट्रपति और उनके षडयंत्रकारी समर्थकों के बीच एक तरह से सेतु बन गए थे. इनमें से अधिकांश समर्थक छह जनवरी को कैपिटल बिल्डिंग में हुई हिंसा में शामिल थे.

अमेरिकी संसद में हिंसा
BBC
अमेरिकी संसद में हिंसा

पॉवेल और वुड समर्थकों के आक्रोश को ऑनलाइन भुनाने में कामयाब रहे लेकिन क़ानूनी तौर पर दोनों कुछ ख़ास नहीं कर पाए. इन दोनों ने नवंबर के आख़िर तक 200 पन्नों का आरोप पत्र जरूर तैयार किया लेकिन उनमें अधिकांश बातें कांस्पीरेसी थ्योरी पर आधारित थे और इससे वे आरोप अपने आप खारिज हो गए थे जिन्हें दर्जनों बार अदालत में खारिज किया जा चुका था. इतना ही नहीं इस दस्तावेज़ में कानून की ग़लतियों के साथ साथ स्पेलिंग की ग़लतियां और टाइपिंग की ग़लतियां भी देखने को मिलीं.

लेकिन ऑनलाइन की दुनिया में इसकी चर्चा जारी रही. कैपिटल बिल्डिंग में हुई हिंसा से पहले 'क्रैकन' और 'रिलीज द क्रैकन' का इस्तेमाल केवल ट्विटर पर ही दस लाख से ज़्यादा बार किया जा चुका था.

जब अदालत ने ट्रंप के कानूनी अपील को खारिज कर दिया तब अतिवादी दक्षिणपंथियों ने चुनाव कर्मियों और अधिकारियों को निशाना बनाना शुरू किया. जॉर्जिया के एक चुनावकर्मी को जान से मारने की धमकी दी जाने लगे. इस प्रांत के रिपब्लिकन अधिकारी, जिसमें गवर्नर ब्रायन कैंप, प्रांत-मंत्री (सीक्रेटरी ऑफ़ स्टेट) ब्रैड राफेनस्पर्जर और प्रांत के चुनावी व्यवस्था के प्रभारी गैबरियल स्टर्लिंग को ऑनलाइन गद्दार कहा जाने लगा.

स्टर्लिंग ने एक दिसंबर को भावनात्मक और भविष्य की आशंका को लेकर एक चेतावनी जारी की. उन्होंने कहा, "किसी को चोट लगने वाली है, किसी को गोली लगने वाली है, किसी की मौत होने वाली है और यह सही नहीं है."

दिसंबर के शुरुआती दिनों में मिशिगन के प्रांत-मंत्री (सीक्रेटरी ऑफ़ स्टेट) जैकलीन बेंसन डेट्रायट स्थित अपने घर में चार साल के बेटे के साथ क्रिसमस ट्री को संवार रही थीं तभी उन्हें बाहर हंगामा सुनाई दिया. करीब 30 प्रदर्शनकारी उनके घर के बाहर बैनर पोस्टर के साथ मेगाफोन पर स्टॉप द स्टील चिल्ला रहे थे. एक प्रदर्शनकारी ने चिल्ला कर कहा, "बेंसन तुम खलनायिका हो." एक दूसरे ने कहा, "तुम लोकतंत्र के लिए ख़तरा हो." एक प्रदर्शनकारी इस मौके पर फेसबुक लाइव कर रहा था और कह रहा था कि उसका समूह यहां से नहीं हटने वाला है.

गैबरियल स्टर्लिंग
BBC
गैबरियल स्टर्लिंग

यह उदाहरण बताता है कि प्रदर्शनकारी वोटिंग की प्रक्रिया से जुड़े लोगों के साथ किस तरह से पेश आ रहे थे. जॉर्जिया में ट्रंप समर्थक लगातार राफेनस्पर्जर के घर बाहर हॉर्न के साथ गाड़ियां चलाते रहे. उनकी पत्नी को यौन हिंसा की धमकियां मिलीं.

आरिज़ोना में प्रदर्शनकारी डेमोक्रेट प्रांत मंत्री (सीक्रेटरी ऑफ़ स्टेट) कैटी होब्स के घर के बाहर जमा हो गए. ये प्रदर्शनकारी लगातार यही कह रहे थे, "हमलोग तुम पर नजर रख रहे हैं."

11 दिसंबर को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने टैक्सास प्रांत के चुनाव नतीजों को खारिज करने की कोशिश को निरस्त कर दिया.

जैसे जैसे ट्रंप के सामने कानूनी और राजनीतिक दरवाजे बंद हो रहे थे वैसे वैसे ट्रंप समर्थक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हिंसक हो रहे थे. 12 दिसंबर को वाशिंगटन डीसी में स्टॉप द स्टील की दूसरी रैली का आयोजन किया गया. एक बार फिर इस रैली में हज़ारों समर्थक जुटे. इसमें अतिवादी दक्षिणपंथी लोगों से मेक अमेरिका ग्रेट एगेन से लेकर सैन्य आंदोलनों में शामिल रहे लोग शामिल हुए.

ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल फ्लिन ने इन प्रदर्शनकारियों की तुलना बाइबिल के सैनिकों और पुजारियों से की जिन्होंने जेरिको की दीवार को गिराया था. इस रैली में चुनावी नतीजे को बदलवाने के लिए 'जेरिको मार्च' के आयोजन का आह्वान किया गया. रिपब्लिकन पार्टी को मॉडरेट बताने वाली अतिवादी दक्षिणपंथी आंदोलन ग्रोयपर्स के नेता निक फ्यूनेट्स ने इन प्रदर्शनकारियों से कहा, "हमलोग रिपब्लिकन पार्टी को नष्ट करने जा रहे हैं."

अमेरिकी संसद में हिंसा
Getty Images
अमेरिकी संसद में हिंसा

इस रैली के दौरान भी हिंसा भड़क गई थी.

इसके दो दिन बाद इलेक्ट्रोल कॉलेज ने बाइडन की जीत पर मुहर लगा दी. अमरीकी राष्ट्रपति के लिए कार्यभार संभालने के लिए जरूरी अहम पड़ावों में यह भी शामिल है.

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर ट्रंप समर्थकों को यह नजर आने लगा था कि सभी वैधानिक रास्ते बंद हो चुके हैं, ऐसे में उन लोगों को लगने लगा था कि ट्रंप को बचाने के लिए सीधी कार्रवाई ही एकमात्र विकल्प है. चुनाव के बाद फ्लिन, पॉवेल और वुड के अलावा ट्रंप समर्थकों के बीच ऑनलाइन एक और शख्स तेजी से जगह बनाने में कामयाब हुआ.

अमरीकी कारोबारी और इमेजबोर्ड 8 चैन और 8कुन के प्रमोटर जिम वाटकिंस के बेटे रॉन वाटकिंस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर ट्रंप के समर्थक के तौर पर सामने आए. 17 दिसंबर को वायरल हुए ट्वीट्स में रॉन वाटकिंस ने डोनाल्ड ट्रंप को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें रोमन साम्राट जूलियस सीजर का रास्ता अपनाना चाहिए और लोकतंत्र की बहाली के लिए सेना की वफादारी का इस्तेमाल करना चाहिए.

अमेरिकी संसद में हिंसा
Getty Images
अमेरिकी संसद में हिंसा

रॉन वाटिकंस ने अपने पांच लाख से ज़्यादा फॉलोअर्स को क्रास द रोबिकन को ट्वीटर ट्रेंड बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. जूलियस सीजर ने 49 ईसापूर्व रोबीकन नदी को पार करके ही युद्ध की शुरुआत की थी. इस हैशटैग का मुख्यधार के लोगों ने भी इस्तेमाल किया. इसमें अरिज़ोना में रिपब्लिकन पार्टी की नेता कैली वार्ड भी शामिल थीं. एक अन्य ट्वीट में रॉन वाटकिंस ने ट्रंप को सुझाव दिया कि वे उन्हें राजद्रोह के क़ानून का इस्तेमाल करना चाहिए जिसके तहत राष्ट्रपति के बाद सेना और दूसरे पुलिस बलों पर अधिकार हो जाता है.

18 दिसंबर को ट्रंप ने पॉवेल, फ्लिन और दूसरे लोगों के साथ व्हाइट हाउस में रणनीतिक बैठक की. न्यूयार्क टाइम्स के मुताबिक इस बैठक के दौरान फ्लिन ने ट्रंप को मार्शल लॉ लागू करके सेना के अधीन फिर से चुनाव कराने का सुझाव दिया था. इस बैठक के बाद ऑनलाइन दुनिया में दक्षिणपंथी समूहों के बीच एक बार फिर से युद्ध और क्रांति को लेकर बातचीत शुरू हो गई. कई लोग छह जनवरी को अमेरिकी कांग्रेस के ज्वाइंट सेशन को देखने आए थे, जो एक तरह से औपचारिकता पर होती है. लेकिन ट्रंप समर्थकों को उपराष्ट्रपति माइक पेंस से भी उम्मीद थी.

वे छह जनवरी के आयोजन की अध्यक्षता करने वाले थे, ट्रंप समर्थकों को उम्मीद थी कि माइक पेंस इलेक्ट्रोल कॉलेज वोट्स की उपेक्षा करेंगे. इन लोगों की आपसी चर्चा में कहा जा रहा था कि उसके बाद किसी तरह के विद्रोह से निपटने के लिए राष्ट्रपति सेना की तैनाती करेंगे और चुनावी धांधली करने वालों के बड़े पैमानी पर गिरफ्तारी का आदेश देंगे और उन सबको सेना की ग्वांतेनामो बे की जेल में भेजा जाएगा. लेकिन यह सब ऑनलाइन की दुनिया में ट्रंप समर्थकों के बीच हो रहा था, ज़मीन की सच्चाई पर इन सबका होना असंभव दिख रहा था. लेकिन ट्रंप समर्थकों ने इसे आंदोलन का रूप दे दिया और देश भर से आपसी सहयोग और एक साथ सफर करके हज़ारों लोग छह जनवरी को वाशिंगटन पहुंच गए.

अमेरिकी संसद में हिंसा
Rex Features
अमेरिकी संसद में हिंसा

ट्रंप के झंडे लगाए गाड़ियों का लंबा काफिला शहर में पहुंचने लगा था. लुइसविले, केंटुकी, अटलांटा, जॉर्जिया और सक्रेंटन जैसे शहरों से गाड़ियों का काफिला निकलने की तस्वीरें भी सोशल प्लेटफॉर्म्स पर दिखने लगी थीं. एक शख़्स ने करीब दो दर्जन समर्थकों के साथ तस्वीर पोस्ट करते हुए ट्वीट किया, "हमलोग रास्ते में हैं." नार्थ कैरोलिना के आइकिया पार्किंग में एक शख्स ने अपने ट्रक की तस्वीर के साथ लिखा, "झंडा थोड़ा जीर्णशीर्ण है लेकिन हम इसे लड़ाई का झंड़ा कह रहे हैं."

लेकिन यह स्पष्ट था कि पेंस और रिपब्लिकन पार्टी के दूसरे अहम नेता क़ानून के मुताबिक ही काम करेंगे और बाइडन की जीत को कांग्रेस से अनुमोदित होने देंगे. ऐसे में इन लोगों के ख़िलाफ़ भी जहर उगला जाने लगा. वुड ने उनके लिए ट्वीट किया, "पेंस राष्ट्रद्रोह के मुक़दमे का सामना करेंगे और जेल में होंगे. उन्हें फायरिंग दस्ते द्वारा फांसी दी जाएगी." ट्रंप समर्थकों के बीच ऑनलाइन चर्चाओं में आक्रोश बढ़ने लगा था. लोग बंदूकें, युद्ध और हिंसा की बात करने लगे थे.

ट्रंप समर्थकों के बीच लोकप्रिय गैब औऱ पार्लर जैसी सोशल प्लेटफॉर्म्स के अलावा दूसरों जगह पर भी ऐसी बातें मौजूद थीं. प्राउड ब्यॉज के समूह में पहले सदस्य पुलिस बल के साथ बाद में वे अधिकारियों के ख़िलाफ़ लिखने लगे थे क्योंकि उन्हें एहसास हो गया था कि अधिकारियों का साथ अब नहीं मिल रहा है.

ट्रंप समर्थकों में लोकप्रिय वेबसाइट द डोनाल्ड पर पुलिस बैरिकैड तोड़ने, बंदूकें और दूसरे हथियार रखने, बंदूक को लेकर वाशिंगटन के सख्त कानून के उल्लंघन को लेकर खुले तौर पर चर्चा हो रही थी. कैपिटल बिल्डिंग में हंगामा करने और कांग्रेस के 'देशद्रोही' सदस्यों को गिरफ्तार किए जाने तक की बकवास बातें हो रही थीं.

अमेरिकी संसद में हिंसा
Getty Images
अमेरिकी संसद में हिंसा

छह जनवरी, यानी बुधवार को ट्रंप ने व्हाइट हाउस के दक्षिण में स्थित इलिप्स पार्क में हज़ारों की भीड़ को एक घंटे से ज़्यादा समय तक संबोधित किया था. उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि शांतिपूर्ण और देशभक्ति से आप बात कहेंगे तो वह सुनी जाएगी. लेकिन अंत आते आते उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, "हमें पूरे दमखम से लड़ना होगा, अगर हम पूरे दमखम से नहीं लड़े तो आप अपना देश खो देंगे. इसलिए हमलोग जा रहे हैं. हमलोग पेन्सेल्विनया एवेन्यू जा रहे हैं और हमलोग कैपिटल बिल्डिंग जा रहे हैं."

कुछ विश्लेषकों के मुताबिक उन दिन हिंसा की आशंका एकदम स्पष्ट थी. अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में आंतरिक सुरक्षा मंत्री रहे माइकल चेरटॉफ़ उस हुई हिंसा के लिए कैपिटल पुलिस को जिम्मेदार ठहराते हैं. कथित तौर पर कैपिटल पुलिस ने नेशनल गार्ड की मदद की पेशकश को भी ठुकरा दिया था.

माइकल इसे कैपिटल पुलिस की सबसे बड़ी नाकामी बताते हुए कहत हैं, "मैं जहां तक सोच पा रहा हूं, इससे बड़ी नाकामी और क्या होगी. इस दौरान हिंसा होने की आशंका का पता पहले से लग रहा था. स्पष्टता से कहूं तो यह स्वभाविक भी था. अगर आप समाचार पत्र पढ़ते हैं, जागरूक हैं तो आपको अंदाजा होगा कि इस रैली में चुनावी में धांधली की बात पर भरोसा करने वाले लोग थे, कुछ इसमें चरमपंथी थे, कुछ हिंसा थे. लोगों ने खुले तौर पर बंदूकें लाने की अपील की हुई थीं."

अमेरिकी संसद में हिंसा
Getty Images
अमेरिकी संसद में हिंसा

इन सबके बाद भी, वर्जीनिया के 68 साल के रिपब्लिकन समर्थक जेम्स क्लार्क जैसे अमेरिकी बुधवार की घटना पर चकित हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया, "यह काफी दुखद था. ऐसा कुछ होगा मैंने नहीं सोचा था."

लेकिन ऐसी हिंसा की आशंका कई सप्ताह से बनी हुई थी. चरमपंथी और षड्यंत्रकारी समूहों को भरोसा था कि चुनावी नतीजे की चोरी हुई है. ऑनलाइन दुनिया में ये लोग लगातार साथ में हथियार रखने और हिंसा की बात कर रहे थे. हो सकता है कि पुलिस अधिकारियों ने इन लोगों की पोस्ट को गंभीरता से नहीं लिया हो या फिर उन्हें जांच के लिए उपयुक्त नहीं पाया हो. लेकिन अब जवाबदेय अधिकारियों को चुभते हुए सवालों का सामना करना होगा.

जो बाइडन
Reuters
जो बाइडन

जो बाइडन 20 जनवरी को अमरीकी राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगे. माइक चेरटॉफ़ उम्मीद कर रहे हैं कि सुरक्षा बल बुधवार की तुलना में कहीं ज़्यादा मुस्तैदी से तैनात होगा. हालांकि अभी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर हिंसा और बाधा पहुंचाने की बात कही जा रही है. इन सबके बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर भी सवाल उठ रहे हैं कि इन लोगों ने कांस्पीरेसी थ्योरी को लाखों लोगों तक क्यों पहुंचने दिया?

बुधवार की हिंसा के बाद शुक्रवार को ट्विटर ने ट्रंप के पूर्व सलाहकार फ्लिन, क्रैकन थ्योरी देने वाले वकील पॉवेल एवं वुड और वाटकिंस के खाते डिलिट किए हैं. इसके बाद ट्रंप का एकाउंट भी बंद किया गया है.

कैपिटल बिल्डिंग में हिंसा करने वाले लोगों की गिरफ़्तारी जारी है. हालांकि अभी भी ज़्यादातर दंगाई अपनी सामानान्तर दुनिया में मौजूद हैं जहां वे अपनी सुविधा के मुताबिक तथ्य गढ़ रहे हैं. बुधवार को हुई हिंसा के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने वीडियो बयान जारी किया जिसमें उन्होंने पहली बार यह स्वीकार किया है कि नया प्रशासन 20 जनवरी को अपना कार्यभार संभालेगा.

अमेरिकी संसद
Reuters
अमेरिकी संसद

ट्रंप समर्थक इस वीडियो को देखने के बाद भी नए तरह के स्पष्टीकरण दे रहे हैं. वे खुद को दिलासा दे रहे हैं कि ट्रंप को आसानी से हार नहीं माननी चाहिए, उन्हें संघर्ष करना चाहिए. इतना ही नहीं ट्रंप समर्थकों की एक थ्योरी यह भी चल रही है कि यह वीडियो ट्रंप का है ही नहीं, यह कंप्यूटर जेनरेटेड फेक वीडियो है. ट्रंप समर्थक ये आशंका भी जता रहे हैं कि ट्रंप को बंधक तो नहीं बना लिया गया है. हालांकि ट्रंप के ढेरों प्रशंसकों को अभी भी भरोसा है कि ट्रंप राष्ट्रपति बने रहेंगे.

डोनाल्ड ट्रंप
Reuters
डोनाल्ड ट्रंप

इनमें से किसी भी बात के सबूत मौजूद नहीं हैं लेकिन इससे एक बात ज़रूर साबित होती है. डोनाल्ड ट्रंप का चाहे जो हो, अमेरिकी कैपिटल बिल्डिंग में हिंसा करने वाले लोग आने वाले दिनों में जल्दी शांत नहीं होने वाले हैं, यह तय है.

ओल्गा रॉबिंसन और जैक होर्टन की एडिशनल रिपोर्टिंग के साथ

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
America: Attack on Parliament did not happen suddenly
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X