Special Report: चीन को घेरने के लिए अमेरिका के कदम और चीन की चेतावनी
चीन के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोकने के लिए जहां अमेरिका कई कदम उठाते हुए दिख रहा है तो चीन ने भी अमेरिका को धमकियां देनी शुरू कर दी हैं।
वाशिंगटन/बीजिंग/नई दिल्ली: America is back, अमेरिकन राष्ट्रपति जो बाइडेन के इस कथन के साथ ही विश्व के केन्द्र में अमेरिका ने फिर से आने का ऐलान कर दिया है और इसके साथ ही तय हो गया है कि अमेरिका का पहला टार्गेट अब सिर्फ और सिर्फ चीन है। अमेरिका के ऐलान के साथ ही इस हफ्ते दो बड़े कदम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाए गये हैं। QUAD फिर से एक्टिव हो चुका है और G7 की पहली वर्चुअल मीटिंग खत्म हुई है। यानि, विश्व की सबसे बड़ी शक्तियां एक साथ आनी शुरू हो गई हैं और कहीं ना कहीं निशाने पर चीन ही है। चीन भी इस बात को समझता है लिहाजा चीन के भीतर से क्वाड को कमजोर करने के लिए क्वाड देशों को आर्थिक चोट देने की मांग उठने लगी है। लेकिन सवाल ये है कि क्या क्वाड और जी-7 के एक्टिव होने से चीन डरने लगा है? और दूसरा सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या चीनी धमकियों का असर क्या होने वाला है?
QUAD और G7 से चीन घबराया
पिछले हफ्ते क्वाड देशों की मीटिंग के बाद अमेरिकी विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के विदेशमंत्री से बात की वहीं एंटनी ब्लिंकेन ने फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी के विदेशमंत्रियों से भी बात की जिसको लेकर चीन को शक है कि उसे घेरने के लिए क्वाड और जी-7 मंच का इस्तेमाल अमेरिका कर रहा है। इसके साथ ही वार्षिक म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस को लेकर भी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन काफी व्यस्त रहे। माना जा रहा है इन मीटिंग्स के जरिए अमेरिका अपने सहयोगी देशों को एक करने की कोशिश कर रहा है। दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति ने पिछले दिनों चीन को घेरने के लिए सहयोगी देशों को एक साथ लाने का प्लान बनाया था और माना जा रहा है कि अमेरिका अपने इस मिशन में पूरी ताकत के साथ लग चुका है।
माना जा रहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन WHO के कोवैक्स स्कीम के तहत 4 बिलियन डॉलर की सहायता राशि दे सकते हैं, जिसका इस्तेमाल उन गरीब देशों कर कोविड वैक्सीन पहुंचाने के लिए होगा, जहां कोरोना काफी कहर बरपा रहा है। अमेरिका के इस कदम को भी चीन शक की निगाहों से देख रहा है। चीन का मानना है कि डब्लूएचओ में वापसी के साथ ही अमेरिका फिर से विश्व का नायक बनने की कोशिश कर रहा है। चीन ये भी मानकर चल रहा है कि अमेरिका आने वाले वक्त में ईरान के साथ न्यूक्लियर विवाद का भी समधान निकालने की तरफ काम करेगा ताकि किसी भी विवाद में अमेरिका ना फंसकर उसके फोकस पर सिर्फ चीन रहे।
अमेरिका को चीन की धमकी
पिछले हफ्ते अमेरिका के लगातार कई अंतर्राष्ट्रीय मीटिंग्स को चीन एक चुनौती की तरह देख रहा है और मान रहा है कि अमेरिका चीन के चैलेंज को जबाव देने के लिए अपने सभी साथी देशों को एक साथ लाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, चीन अमेरिका के इस कदम को बहुत बड़ी और चीन के खिलाफ उठने वाली बड़ी गलती मान रहा है। चीन मानता है कि अमेरिका अपने सभी साथि देशों को एक जहाज पर लाकर बड़ी गलती कर रहा है, जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा।
अमेरिका को लेकर चीन मानता है कि अब अमेरिका विश्व की बड़ी शक्तियों को एक साथ लाने की स्थिति में नहीं है। अमेरिका ना तो पहले जैसी महाशक्ति रहा है कि उसकी छतरी के नीचे तमाम देश आ जाए अमेरिका उन सभी देशों की रक्षा कर सके। क्योंकि, अब स्थितिया बदल चुकी हैं। हालांकि, अभी भी अमेरिका बड़ी ताकतों को एक साथ ला तो सकता है लेकिन उन्हें ज्यादा देर तक अपने साथ नहीं रख सकता है क्योंकि सभी देशों के अपने अपने हालात हैं वो ज्यादा दिनों तक अमेरिका का साथ नहीं दे सकते हैं और अब वाशिंगटन नया शीत युद्ध झेलने की स्थिति में नहीं है क्योंकि अमेरिका की अर्थव्यवस्था चीन से आगे जरूर है मगर वो अब पूरी तरह से कमजोर हो चुका है।
चीनी अखबार और सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि चीन अमेरिका का दुश्मन नहीं है लेकिन चीन और अमेरिका के बीच का संबंध कंप्लीकेटेड है। ग्लोबल टाइम्स अमेरिका को याद दिलाते हुए लिखता है कि अमेरिका को नहीं भूलना चाहिए कि EU यानि यूरोपीयन यूनियन का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार अब अमेरिका नहीं चीन है और विश्व के वो देश जो अमेरिका के सहयोगी हैं, उन देशों के साथ भी चीन का व्यापारिक रिश्ता अमेरिका से कम नहीं रहा है और खुद अमेरिका और चीन के बीच का व्यापारिक रिश्ता भी दुनिया के बाकी सभी देशों से सबसे ज्यादा है, लिहाजा अमेरिका के लिए चीन के खिलाफ गुट बनाना मुमकिन नहीं है साथ ही अमेरिका को नहीं भूलना चाहिए कि उसके साथ आने वाले देश चीन के साथ संबंध खराब कर आर्थिक हानि मोल लेना चाहेंगे। इसके साथ ही अमेरिका को धमकी देते हुए चीन कहता है कि 'अमेरिका भले ही विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन वो अब वो चीन को रोकने की स्थिति में नहीं है और अगर अमेरिका सोचता है कि ग्लोबल साझेदारी के जरिए वो चीन की अर्थव्यवस्था को क्रैश कर देगा तो अमेरिका को इस सोच से बाहर निकल आना चाहिए'
चीन की घेराबंदी
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कुछ दिन पहले ही अमेरिकी रक्षामंत्री और विदेशमंत्री के साथ बैठककर चीन के खिलाफ सहयोगी देशों को एक करने के प्लान पर काम करना शुरू कर दिया था और व्हाइट हाउस द्वारा उसका खुलासा करने के साथ ही चीन लगातार अमेरिका को आर्थिक धमकियों से वाकिफ करवाना शुरू कर दिया है। मगर, अमेरिका लगातार चीन की घेराबंदी में लगा हुआ है। इंडो पैसिफिक क्षेत्र और ताइवान को लेकर अमेरिका चीन को घेरना चाहता है लिहाजा क्वाड और जी-7 के जरिए अमेरिका ने सहयोगियों को एक मंच पर लाना शुरू कर दिया है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले वक्त में अमेरिका और चीन के बीच की तनातनी और भी ज्यादा बढ़ सकती है।
Special Report: QUAD देशों के खिलाफ 'व्यापारिक लड़ाई' शुरू करेगा चीन?