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ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में विफल हुए सभी देश

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बेंगलुरु। ग्लोबल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि को रोकने में सभी देश सामूहिक रूप से विफल रहे हैं। यानी अगर पृथ्‍वी के तापमान में होने वाली वृद्धि को 1.5 डिग्री सल्सियस रखना है, तो गहन और तेज गति से कार्बन एवं ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जन में कटौती की ज़रुरत है। यह हम नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की ताज़ा रिपोर्ट कह रही है। इस रिपोर्ट में वर्तमान हालातों पर निराशा व्यक्त की गई है। हालांकि कई उत्साहजनक घटनाक्रम भी हुए हैं और कई देशों में जलवायु संकट पर राजनीतिक ध्यान भी बढ़ रहा है, मतदाताओं और प्रदर्शनकारियों, विशेष रूप से युवाओं का साथ मिला जो ये स्पष्ट कर रहे हैं कि यह उनके लिए सबसे प्रमुख मुद्दा है। इसके अलावा, उत्सर्जन में कमी करने की तकनीकों में तेजी से और प्रभावी रूप से सुधार भी हुआ है।

Carbon Emission

रिपोर्ट की सम्पूर्ण झलक बताती हैं कि, यह स्पष्ट है कि मामूली बदलाव पर्याप्त नहीं होंगे तेजी से और क्रांतिकारी परिवर्तन कार्रवाई की ज़रूरत है। 2019 के राजनीतिक संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन समिट का वर्चस्व रहा है, जिसे सितंबर में आयोजित किया गया था और सरकारों, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज, स्थानीय अधिकारियों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को एक मंच पर लाया गया।

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2050 का लक्ष्‍य

शिखर सम्मेलन का उद्देश्य 2020 तक, अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान को बढ़ाने के लिए कार्रवाई और विशेष रूप से देशों की प्रतिबद्धता को प्रोत्साहित करना और 2050 तक नेट जीरो उत्सर्जन का उद्देश्य हासिल करना है। शिखर सम्मेलन के अंत में जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, लगभग 70 देशों ने 2020 तक राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) जमा बढ़ाने के अपने इरादे की घोषणा की, 65 देशों और प्रमुख उप-अर्थव्यवस्थाओं के साथ 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन को प्राप्त करने के लिए काम करने का वादा किया। लेकिन जिस तरह से जी-20 के अधिकांश सदस्य प्रत्यक्ष रूप से अनुपस्थिति दिखे, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी सफलता कोसों दूर है।

कुछ बातें जो आपको जरूर जाननी चाहिये

1. वैज्ञानिकों की चेतावनियों और राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के बावजूद, GHG उत्सर्जन में वृद्धि पहले की तरह जारी है।

2. G20 सदस्य देश, वैश्विक GHG उत्सर्जन का 78 प्रतिशत हिस्सा हैं। सामूहिक रूप से वे अपने 2020 Cancun वादों को पूरा करने के लिए सही रास्ते पर हैं, लेकिन सात देश अभी 2030 एनडीसी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए ट्रैक पर नहीं हैं, और अगले तीन देशों के लिए कुछ भी कहना संभव नहीं है।

3. हालांकि 2050 के लिए शुद्ध शून्य GHG उत्सर्जन लक्ष्यों की घोषणा करने वाले देशों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन कुछ देशों ने ही अभी तक औपचारिक रूप से UNFCCC को दीर्घकालिक रणनीति प्रस्तुत की है।

4. उत्सर्जन गैप बहुत ज़्यादा है। 2030 में 2 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिवर्ष उत्सर्जन को बिना शर्त NDC की तुलना में 15 GtCO2e कम होना चाहिए। यदि लक्ष्य 1.5 डिग्री सेल्सियस हासिल करना है तो 32 GtCO2e प्रतिवर्ष कम होना चाहिए।

5. 2020 में NDC को प्रभावशाली मजबूती की जरूरत है। देशों को अपनी NDC महत्वाकांक्षाओं को तीन गुना बढ़ाना चाहिए ताकि तापमान 2 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य से कम रहे और 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पांच गुना तक प्रयास करने होंगे।

6. वैश्विक शमन प्रयास के लिए G 20 सदस्यों द्वारा और अधिक कार्यवाही आवश्यक होगी। इस रिपोर्ट में G 20 सदस्यों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है जो वैश्विक शमन प्रयासों के लिए ज़्यादा महत्व डालने पर ज़ोर देता है। विशेष रूप से सात चयनित G20 सदस्यों - अर्जेंटीना, ब्राजील, चीन, यूरोपीय संघ, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका का ध्यान उत्सर्जन कटौती पर करने को कहा गया है। 2017 में वैश्विक GHG उत्सर्जन में लगभग 56 प्रतिशत योगदान इन सात देशों का था।

7. वैश्विक अर्थव्यवस्था में कार्बन कटौती करने के लिए मूलभूत संरचनात्मक परिवर्तनों की आवश्यकता होगी, जिनकी संरचना से मानवता और पृथ्वी के विकास को कई सुविधाएं और सहायता मिलेंगी।

8. अक्षय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता, अंतिम उपयोगकर्ता के लिए ऊर्जा का विद्युतीकरण, सफलता की सबसे खास बात है इससे CO2 उत्सर्जन में भी कमी आएगी।

9. डिमांड-साइड सामग्री की दक्षता से GHG प्रभावी तौर पर कम हुई है जो पूरक हैं उनके लिए जो ऊर्जा प्रणाली परिवर्तन चाहते हैं। रिपोर्ट में संयुक्त राष्‍ट्र ने सभी देशों से रीसाइकलिंग को बढ़ावा देने की अपील की है।

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English summary
United Nations Environment Programme (UNEP) has released the Emissions Gap Report which provides the latest assessment of scientific studies on current and estimated future greenhouse gas (GHG) emissions.
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