corona virus: चीन के वुहान के बाद अमेरिका में दस्तक दे चुके कोरोना वायरस के बारे में जानिए सबकुछ
नई दिल्ली।। जानलेवा कोरोना वायरस अब चीन से निकलकर बाकी देशों में दस्तक दे रहा है। इस वायरस के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद बीजिंग में भारतीय दूतावास की ओर से भारत आने वाले पर्यटकों को एडवाइजरी जारी की गई है। भारतीय दूतावास की तरफ से रविवार को जानकारी दी गई थी कि चीन में भारतीय नागरिकों की सुविधा के लिए तीसरी हॉट लाइन सेवा शुरू की गई है। चीन में अब इस वायरस की वजह से मरने वालों की तादाद 100 के पार हो गई है। जानिए इस वायरस के बारे में सबकुछ और यह भी कि कौन से लक्षण दिखने पर आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
जानवरों से फैलता है वायरस
दिसंबर में हुबेई प्रांत के वुहान में इस वायरस के लक्षण सबसे पहले देखे गए थे। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्लूएचओ) की तरफ से उन देशों को निर्देश जारी किए गए हैं जहां पर यह वायरस पांव पसार रहा है। संस्था की तरफ से बताया गया है कि कैसे देश इस वायरस का सामना कर सकते हैं और कैसे मरीजों पर नजर रखकर उनका इलाज किया जाए। यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक इस वायरस के बारे में जो बात सबसे अहम है उसके मुताबिक कोरोना वायरस एक बड़े ग्रुप में जानवरों में पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों ने इन्हें जूनोटिक नाम दिया है यानी ऐसा वायरस जो जानवरों से इंसानों में ट्रांसफर हो सकता है।
क्या हैं लक्षण
इस वायरस का इनफेक्शन होने के बाद पीड़ित वयक्ति बीमार हो जाता है और उसे सांस से जुड़ी बीमारी होती है। सांस लेने में बिल्कुल उसी तरह तकलीफ होती है जैसे सर्दी जुकाम के समय होती है। कोरोना वायरस के इनफेक्शन की वजह से नाक से पानी निकलता रहता है, कफ की शिकायत होती है, गला में खरास रहती है और बुखार के साथ ही सिर दर्द भी होता है। यह लक्षण कुछ दिनों तक रह सकते हैं। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता (इम्यून सिस्टम) कमजोर है जैसे की वृद्ध और बहुत छोटे बच्चे, उनमें इस वायरस से इनफेक्टेड होने की आशंका काफी ज्यादा है। वायरस की वजह से हल्की और गंभीर दोनों ही प्रकार की सांस की बीमारियां जैसे न्यूमोनिया या फिर ब्रोकाइटिस हो सकती है।
वायरस का असर खतरनाक
सीवियर एक्यूट रेस्पीरेट्री सिंड्रोम यानी सार्स एक दूसरा कोरोनावायरस है जिसकी वजह से काफी गंभीर लक्षण हो सकते हैं। चीन के गुआंगदोंग में इस वायरस का पता सबसे पहले लगा था। डब्लूएचओ का कहना है कि इस वायरस की वजह से डायरिया, थकान, सांस की कमी, सांस लेने में तकलीफ और यहां तक कि किडनी भी फेल हो सकती है। मरीज की उम्र पर बीमारी का प्रभाव निर्भर करता है। सबसे ज्यादा खतरा बूढ़े लोगों पर है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं पर भी इस वायरस के संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है।
कैसे होता है इनफेक्शन
यह वायरस इंसान के जानवरों के संपर्क में आने से फैलता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस की सबसे बड़ी वजह बिल्लियां हैं। जब इंसानों से इंसान में यह वायरस फैलता है तो यह इंफेक्टेड व्यक्ति के संपर्क में आने की वजह से फैलता है। वायरस अगर ज्यादा ताकतवर है तो फिर कफ, छींक या फिर हाथ मिलाने से ही यह किसी इंसान को संक्रमित कर सकत है। अगर किसी संक्रमित व्यक्ति ने किसी चीज को छुआ है तो फिर उसे छूने से भी वायरस का असर हो जाता है।
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कोई निश्चित इलाज नहीं, बचाव जरूरी
इस वायरस का कोई निश्चित इलाज नहीं है। लक्षण अपने आप ही जाते हैं। डॉक्टर सिर्फ बुखार या दर्द की ही दवाई देते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक कमरे को नम रखने वाला यंत्र यानी ह्यूमिडफायर या फिर गर्म पानी का शॉवर खराब गले और कफ से निजात दिला सकता है। खूब पानी पिएं, आराम करें और जितना हो सके उतना सोएं। अगर लक्षण सर्दी जुकाम से बढ़ जाएं तो फिर डॉक्टर के पास जाने में देर न करें। उन लोगों से मिलने से बचें जो इस वायरस के शिकार हैं। अपनी आंखों, नाक और मुंह को छूने से बचे। हर 20 सेकेंड्स में अपने हाथ को साबुन और पानी से साफ करें। अगर आप बीमार हैं तो फिर घर पर रहें, भीड़ से बचें और दूसरे लोगों से संपर्क कम करें। जब कभी भी छींक आए तो अपना मुंह और नाक ढंक लें।