STA-1: अमेरिका से मिले स्टेटस के बाद भारत को डबल फायदा, चीन को करारा झटका, जानें कैसे
ट्रंप प्रशासन ने भारत को स्ट्रैटेजिक ट्रेड अथॉराइजेशन-1 यानी एसटीए-1 की लिस्ट में रखने का फैसला किया है। पिछले दिनों अमेरिका की ओर से आई यह खबर भारत के लिए कई मायनों में खास है।
वॉशिंगटन। ट्रंप प्रशासन ने भारत को स्ट्रैटेजिक ट्रेड अथॉराइजेशन-1 यानी एसटीए-1 की लिस्ट में रखने का फैसला किया है। पिछले दिनों अमेरिका की ओर से आई यह खबर भारत के लिए कई मायनों में खास है। इस स्टेटस के बाद भारत न सिर्फ हाई टेक्नोलॉजी वाले प्रॉडक्ट्स का आयात कर सकेगा बल्कि अमेरिका से उस लेटेस्ट डिफेंस टेक्नोलॉजी भी हासिल हो सकेगी। साल 2016 में भारत को अमेरिका ने 'मेजर डिफेंस पार्टनर' के तौर पर जगह दी थी। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बुलावे पर अमेरिका गए थे। अमेरिका की ओर से इस ऐलान के साथ ही भारत को वह दर्जा मिला है जो अभी तक नाटो देशों को हासिल है। अमेरिका ने यह कदम रक्षा क्षेत्र में हाइ-टेक उपकरण और साथ ही गैर-रक्षा संबंधी उपकरणों की बिक्री में तेजी लाने के मकसद से दिया है। ये ऐसे उत्पाद हैं जिनकी बिक्री के लिए कड़े नियंत्रण और लाइसेंस की जरूरत है। ये भी पढ़ें-रूस से एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने पर अमेरिका नहीं लगाएगा भारत पर प्रतिबंध
ओबामा की एक शर्त को ट्रंप ने हटाया
भारत दक्षिण एशिया क्षेत्र में इकलौता देश है जिसे अमेरिका की ओर से यह दर्जा हासिल हुआ है। अमेरिका ने दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और जापान को भी एसटीए-1 स्टेटस दिया है। लेकिन यहां यह बात गौर करने वाली है कि से तीनों ही देश नाटो का हिस्सा हैं और भारत गैर-नाटो देश है। 20 जुलाई को अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बुर रॉस ने इंडो-पैसेफिक बिजनेस फोरम में भारत को एसटीए-1 स्टेटस मिलने का ऐलान किया। उन्होंने इसके साथ ही इसे एक बड़ा बदलाव भी करार दिया है। भारत के लिए यह वाकई में एक बड़ा बदलाव है। पूर्व में ओबामा प्रशासन की ओर से यह शर्त रखी गई थी कि भारत को यह स्टेटस तभी दिया जा सकता है जब वह एनएसजी, मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजाइम और वासेनार अरेंजमेट के अलावा ऑस्ट्रेलियाई ग्रुप, इन चारों संगठनों का हिस्सा बनेगा। ट्रंप प्रशासन ने इस शर्त को हटा दिया है। भारत एनएसजी को छोड़कर तीनों संगठनों का हिस्सा है।
चीन को तगड़ा झटका
इस स्टेटस के साथ चीन के माथे पर बल पड़ गए हैं। न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में भारत की एंट्री पर चीन ने अभी तक रोड़ा अटकाया हुआ है। लगातार असफल प्रयासों के बीच ही भारत ने ओबामा प्रशासन से कहा था कि वह अपनी शर्तों पर दोबारा सोचे। एनएसजी में भारत की एंट्री के केस की वजह से रक्षा उपकरणों पर भारत और अमेरिका की ओर से होने वाले साझे प्रयास पर भी रोक लग गई थी। साथ ही हाई एंड टेक्नोलॉजी के द्विपक्षीय ट्रांसफर भी पूर्णविराम लग गया था। लेकिन एसटीए-1 का यह स्टेटस इसे आसान बना सकेगा। विशेषज्ञ मान रहे हैं इस स्टेटस के मिलने के बाद भारत की एनएसजी में एंट्री की राह खुल सकती है। अमेरिका ने यह स्टेटस अभी तक सिर्फ अपने सबसे करीबी देशों को दिया है।
क्या है एसटीए स्टेटस और क्या होगा फायदा
एसटीए स्टेटस के बाद लाइसेंस में छूट मिल जाती है यानी ऐसे कुछ आइटम जो अमेरिका की ओर से कॉमर्स कंट्रोल लिस्ट में, उनका निर्यात बिना किसी खास लाइसेंस के हो सकता है। एसटीए स्टेटस निर्यात के लिहाज से खासा महत्वपूर्ण है। इस स्टेटस बाद एक्सपोर्ट एडमिनिस्ट्रेशन रेगुलेशसं (ईएआर) के तहत निर्यात, पुर्ननिर्यात और ट्रांसफर के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है। इस स्टेटस का भारत को मिलने का मतलब है कि अब उसे नाटो देशों के बराबर का दर्जा हासिल है। यानी अब अमेरिका, भारत को बिना खास लाइसेंस के कुछ विशेष आइटम निर्यात हो सकते हैं। इसके साथ ही द्विपक्षीय रक्षा संबंध और मजबूत हो सकेंगे और साथ ही भारत को अमेरिका से बड़ी मात्रा में रक्षा उत्पाद हासिल हो सकेंगे। भारत को अमेरिका से इस स्टेटस के बाद रक्षा और दूसरे अहम क्षेत्रों के लिए जरूरी संवेदनशील तकनीक भी अमेरिका से हासिल हो सकेगी।