म्यांमार सैन्य हिंसा: इन लोगों को क्यों कहा जा रहा है 'फ़ॉलेन स्टार्स'?
म्यांमार में शनिवार को सेना की कार्रवाई में बच्चों सहित 100 से अधिक लोगों के मारे जाने के बाद पूरा देश शोक में डूब गया है. हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन बीते दो दिनों से मृतकों की याद में शोक सभा कर रहे हैं. सुरक्षा बलों ने कुछ लोगों को विरोध प्रदर्शनों में मारा था जबकि कइयों की उनके घरों में ही हत्या कर दी गई.
म्यांमार में शनिवार को सेना की कार्रवाई में बच्चों सहित 100 से अधिक लोगों के मारे जाने के बाद पूरा देश शोक में डूब गया है. हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन बीते दो दिनों से मृतकों की याद में शोक सभा कर रहे हैं। सुरक्षा बलों ने कुछ लोगों को विरोध प्रदर्शनों में मारा था जबकि कइयों की उनके घरों में ही हत्या कर दी गई. एक फरवरी को हुए सैन्य तख़्तापलट के विरोध के दौरान इस कार्रवाई में मारे गए लोगों को 'फ़ॉलेन स्टार्स' (टूटे हुए तारे) कहकर बुला रहे हैं । सैन्य कार्रवाई में मरने वालों में 40 साल के अई को भी शामिल थे. चार बच्चों के पिता अई को मांडले शहर के रहने वाले थे. उनके पड़ोसियों ने बताया कि वे नारियल के स्नैक्स और राइस जेली ड्रिंक बेचकर अपने परिवार को पालते थे।
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कई रिपोर्टों में बताया गया है कि सैनिकों ने इस इलाके में अपनी छापेमारी के दौरान उन्हें गोली मार दी थी. इसमें वे घायल हो गए थे. फिर उन्हें घसीटकर जलते कार टायरों के ढेर पर ले जाया गया. कार टायरों का यह ढेर प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड के रूप में बनाया था, वहां के एक निवासी ने एक समाचार वेबसाइट म्यांमार नाउ को बताया, "वह चिल्ला रहा था और कह रहा था कि मेरी मदद करो। " उसके प्रियजनों ने रविवार को उसकी याद में एक कार्यक्रम का आयोजन किया. इस मौके पर उसके एक रिश्तेदार ने अई को की मौत को 'बहुत बड़ा नुक़सान' बताया है. एएफपी को दिए इंटरव्यू में कहा है कि वह अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला इंसान था।
'मेरा इकलौता बेटा था'
वहीं, मांडले में ही दूसरी जगह लोग 18 साल के आंग ज़िन फियो की मौत का शोक मना रहे थे, समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, फियो 'लिन लट्ट फुटसल' क्लब का गोलकीपर और परोपकारी स्वभाव का इंसान था. कोरोना महामारी के दौरान उसने अपनी इच्छा से एक इंटेंसिव केयर सेंटर में लोगों की मदद करने के लिए काम किया था। उनके परिवार ने संवाददाताओं को बताया कि शनिवार के विरोध प्रदर्शन में वह अगली कतार में था और वह इस दौरान चली गोलियों का शिकार हो गया।
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अपने बेटे के ताबूत के पास रोते हुए उसकी मां ने कहा, ''मेरा यह इकलौता बेटा था. अब मुझे भी मरने दो ताकि मैं इसके साथ ही जा सकूं."
मृतकों में कई बच्चे भी शामिल
11 साल की अई मियात थू को ताबूत में रखा गया था. उस ताबूत में उसके शव के साथ कुछ खिलौने, फूल और हैलो किटी की एक ड्राइंग को रखा गया था. मीडिया के अनुसार दक्षिण-पूर्वी शहर मावलामइन में विरोध प्रदर्शनों पर हुई कार्रवाई में उस लड़की की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
वहीं, मध्य म्यांमार के मिकटीला शहर में मारे गए 14 साल के पान ई फियू की मां ने बीबीसी बर्मीज़ को बताया कि 'मैंने जब सेना को अपनी गली में आते देखा तो सभी दरवाज़े बंद करने शुरू कर दिए, पर ऐसा पूरी तरह नहीं कर सकी.'
उन्होंने बताया, "मैंने उसे गिरते देखा. शुरू में मुझे लगा कि वह बस फिसलकर गिर गई है. लेकिन फिर देखा कि उसके सीने से खून निकल रहा है।" कई रिपोर्टों के अनुसार, म्यांमार के सबसे बड़े शहर यंगून में एक 13 साल के साई वाई यान को बाहर खेलते समय गोली मार दी गई. रविवार को ताबूत के पास बैठे उसके परिजन शोक में डूबे थे. उनकी मां रो-रोकर कह रही थीं, "मैं तुम्हारे बिना कैसे रह सकती हूँ बेटा?"
'मेरा बेटा शहीद है'
यंगून में भी लोगों ने बताया कि 19 साल के हति सान वान फी की मौत प्रदर्शन के दौरान गाल में गोली लगने से हो गई. रॉयटर्स के अनुसार, पड़ोसियों ने बताया कि वह बड़ा हंसमुख लड़का था, उसके माता-पिता ने अपने दोस्तों से उसकी मौत पर न रोने को कहा है. उनका कहना है, "मेरा बेटा शहीद है."उधर म्यांमार में रविवार को भी हिंसा जारी रही।
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 37 साल की एक महिला अधिकार कार्यकर्ता मा आ खू की देश के पश्चिमी शहर काले में सीने में गोली मारकर हत्या कर दी गई, वह सिविल सोसाइटी संस्था वीमेन फ़ॉर जस्टिस की निदेशक थीं. द वूमेन लीग आफ बर्मा ने उन्हें एक समर्पित और आशावादी सोच वाली महिला बताया है, संस्था ने बताया, "हम उनके साहस, उनकी प्रतिबद्धता और उनकी चिंता को सलाम करते हैं। "
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