'अलार्म बजा, सोच नहीं पाए कि कहां भागें, किसे साथ लें...'
"मैं प्यूर्टो वाल्डिविया में थी जब मुझे चेतावनी की पहली घंटी सुनाई दी थी. वो बेहद डराने वाला था. किसी को ये नहीं पता था कि सड़क के साथ-साथ भागें या फिर पहाड़ की तरफ भागना शुरु करें. पहले बच्चों उठाएं या फिर पहले बूढ़ों को अपने साथ लें. हर कोई तनाव में था."
टेरेसा जारामिलो 12 मई के उस हादसे को याद करती हैं जब नदी के किनारे बसे उनके इलाके में अचानक बाढ़ आ गई थी.
"मैं प्यूर्टो वाल्डिविया में थी जब मुझे चेतावनी की पहली घंटी सुनाई दी थी. वो बेहद डराने वाला था. किसी को ये नहीं पता था कि सड़क के साथ-साथ भागें या फिर पहाड़ की तरफ भागना शुरु करें. पहले बच्चों उठाएं या फिर पहले बूढ़ों को अपने साथ लें. हर कोई तनाव में था."
टेरेसा जारामिलो 12 मई के उस हादसे को याद करती हैं जब नदी के किनारे बसे उनके इलाके में अचानक बाढ़ आ गई थी.
प्यूर्टो वाल्डिविया उन कई जगहों में से एक है जिसे कोलंबिया के सबसे बड़े पनबिजली परियोजना हृदुईतोंगो के कारण बीते कुछ वक्त में कई बार आपात स्थिति का सामना करनी पड़ा है.
बांध के निचले इलाके में रहने वाले हज़ारों लोगों को अपने घर खाली कर सुरक्षित स्थानों में जाना पड़ा है.
वो किशनगंगा जिसके पानी के लिए भारत-पाकिस्तान आमने-सामने हैं
'एक नदी पर कितने बांध बनाओगे?'
हृदुईतोंगो बांध कुआका नदी पर बनाया जा रहा है जो मेडलिन शहर से क़रीब 175 किलोमीटर उत्तर की तरफ है.
ये परियोजना अपने अंतिम रूप में थी जब अप्रैल 28 को इसके नज़दीक एक बड़ा भूस्खलन हुआ. भूस्खलन के कारण नदी का पानी दूसरी जगह ले जाने वाली सुरंग का रास्ता बंद हो गया. इस सुरंग का काम उस वक्त चल ही रहा था.
परियोजना में बांध में आ रहे नदी के पानी का रास्ता मोड़ने के लिए दो और सुरंगों का निर्माण किया जा रहा था लेकिन बांध बना रही कंपनी एंप्रेसासपब्लिका डे मेडलिन (ईपीएम) ने इन सुरंगों को बंद कर दिया था. इसका ये मतलब था कि नदी के पानी का रुख़ मोड़ने के लिए मात्र एक ही सुरंग थी और वो भी भूस्खलन के कारण बंद हो गई.
यहां एक के बाद एक कई भूस्खलन हुए जिसका नतीजा ये हुआ कि बांध में जमा हो रहे नदी के पानी का स्तर बढ़ने लगा. लेकिन अब पानी बाहर निकाला जा सके इसके लिए कोई सुरंग खुली नहीं थी.
10 मई को ईपीएम ने तय किया कि बांध के ढांचे पर पानी के कारण बढ़ते दबाव को कम करने के लिए वो बांध के टरबाइन वाले इलाके में पानी घुसने देगा.
इस कदम से पानी का स्तर ज़रूर कम हुआ. लेकिन टरबाइन रखे जाने वाले इलाके में पहले ही ट्रांसफॉर्मर रखे जा चुके थे और पानी के उन्हें तबाह कर दिया.
लेकिन दो दिन बाद बंद कर दिया गया एक सुरंग अचानक ही खुल गया और बांध का पानी तेज़ गति से इस सुरंग के रास्ते बाहर निकला. नतीजा ये हुआ कि इस तरफ के निचले इलाकों में अचानक बाढ़ आ गई.
प्यूर्टो वाल्डिविया अचानक आने वाले बाढ़ के रास्ते पर ही बसा है. बाढ़ के कारण यहां 59 घर, एक स्कूल और एक स्वास्थ्य केंद्र तबाह हो गए और यहां रहने वाले 600 लोगों के सर से छत छिन गई. उन्हें अब अपने लिए सुरक्षित स्थान तलाशना था.
लिओन ताब्रोदा कहते हैं, "कुआका नदी ने मेरा घर छीन लिया. मैं अब क्या करूं?"
वो कहते हैं, "मेरी पत्नी अब कभी भी प्यूर्टो वाल्डिविया लौटना नहीं चाहती. वहां मेरे मन एक तरह की शांति होती थी और अब मैं वो कभी हासिल नहीं कर पाऊंगा, उस जगह के सिवा वो मुझे कहीं और नहीं मिलेगी."
लेकिन हृदुईतोंगो बांध की समस्या केवल यही नहीं है.
जानकारों का कहना है कि पास में मौजूद पहाड़ियों के कारण यहां फिर से भूस्खलन हो सकता है और इस कारण टरबाइन के इलाके में जाने वाले पानी का रास्ता भी रुक सकता है और इस कारण पूरी परियोजना ही ख़तरे में पड़ सकती है.
ख़तरे को देखते हुए बांध के निचले इलाकों में रहने वाले करीब 24,000 लोगों को पहले ही वहां से निकाल कर सुरक्षित स्थानों में ले जाया गया है. कहीं बांध में अचानक अधिक पानी ना भर जाए, इस ख़तरे के कारण बांध के ऊपर वाले इलाके से भी 380 लोगों को भी स्थानांतरित किया गया है.
मई 4 को बांध के पास मौजूद इतुआंगो शहर और इसके आस पास के इलाके को देश से जोड़ने वाला पुल बांध के बढ़ते पानी में डूब गया. तब से देश के दूसरे हिस्सों से इस इलाके के संपर्क टूट गया है.
टेरेसा जारामिलो अपने समुदाय की नेता हैं. वो कहती हैं कि गांवों में स्थिति बेहद चिंताजनक है जो बीते तीन सप्ताह से अलग-थलग पड़े हैं.
इतना ही नहीं भारी संख्या में बांध के आसपास के इलाकों से लोगों के निकाले जाने का असर उन इलाकों के लोगों पर हो रहा है जो बाढ़ या भूस्खलन से प्रभावित नहीं है. यहां खाद्य पदार्थ की कमी की समस्या सामने आ रही है.
हाल में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ईपीएम कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जॉर्ज लोन्दोनो ने कहा कि जब तक कंपनी इस समस्या का कोई स्थायी हल नहीं तलाश कर लेती तब तक बांध के आसपास के इलाकों में रहने वालों के लिए ख़तरा बना रहेगा.
उनका कहना था कि समस्या के हल के तौर पर कंपनी को एक नई सुरंग बनानी चाहिए ताकि बाढ़ के हालात हुए तो स्थिति पर काबू पाया जा सके.
इधर इस पनबिजली परियोजना का विरोध कर रहे पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि कोलंबिया की दूसरी सबसे बड़ी नदी पर बांध बनाने के ख़तरे कहीं अधिक हैं और बांध बनाने से पहले इससे जुड़ी संभावित समस्याओं के बारे में सोचा नहीं गया.
रियोज़ विवोज़ के साथ जुड़ कर काम करने वाली स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ता इज़ाबेल ज़ुलेटा कहती हैं, "ऐसा कैसे हो सकता है कि जो कंपनी पहले ही इतने नुक़सान के लिए ज़िम्मेदार हो वही इसका इलाज भी सुझा रही है? इसका मतलब तो यही है कि कोलंबिया में बड़ी कंपनियों पर किसी का नियंत्रण नहीं है."
मंगलवार को भूस्खलन की ताज़ा चेतावनी की बाद परियोजना में काम करने वाले, बांध के निचले और ऊपरी हिस्से में रहने वाले हज़ारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की चेतावनी दी गई.
बांध के आसपास रहने वाले लोगों की चिंताएं भी बढ़ रही हैं. इज़ाबेल ज़ुलेटा कहती हैं कि अब लोगों को भरोसा नहीं रहा.
वो कहती हैं, "उन्होंने कहा था कि कोई समस्या नहीं होगी, कोई ख़तरा नहीं है और स्थिति पूरी तरह काबू में है."
"लोगों को अस्थाई समाधान नहीं चाहिए. वो चाहते हैं कि नदी को प्रकृतिक तरीके से बहने दिया जाए."
हृदुईतोंगो पनबिजली बांध परियोजना का काम इस साल के आख़िर में ख़त्म होना है और इसके समर्थक मानते हैं कि देश की ज़रूरत की बिजली का 17 फिसदी हिस्से का उत्पादन यहां से होगा. लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए ये दूर की कौड़ी लगता है.