व्हाइट हाउस के निर्देशों के बाद इसरो के साथ फिर से काम करने को राजी हुआ नासा
वॉशिंगटन। व्हाइट हाउस की ओर से अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के साथ सहयोग फिर से शुरू करेगा। 27 मार्च को भारत के एंटी-सैटेलाइट मिसाइल टेस्टिंग के बाद नासा ने इसरो के साथ आपसी सहयोग बंद करने का फैसला किया था। नासा ने अंतरिक्ष में मौजूद मलबे की वजह से यह फैसला किया था। लेकिन एजेंसी पर व्हाइट की ओर से ऐसा न करने का दबाव बनाया जा रहा है।
इसरो चीफ को लिखी चिट्ठी
नासा के मुखिया जिम ब्राइडेनस्टाइन ने इस परीक्षण को एक खतरनाक घटना करार दिया था। ब्राइडेनस्टाइन ने इसरो के चेयरमैन के सिवान को गुरुवार को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा है, 'आपके साथ हमारी साझेदारी के तहत हम नासा-इसरो ह्यूमन स्पेस फ्लाइट्स वर्किंग ग्रुप, प्लांटेरी साइंस वर्किंग ग्रुप, अमेरिका -भारत अर्थ साइंस वर्किंग ग्रुप और हिलियोफिजिक्स वर्किंग ग्रुप जैसे मसलों पर आगे काम करना जारी रखेंगे।' ब्राइडेनस्टाइन ने इस बात को स्पष्ट तौर पर लिखा है कि 'व्हाइट हाउस की तरफ से मिले निर्देशों के बाद, मैं इन ग्रुप्स के साथ भविष्य में काम करता रहूंगा।'
नासा में मलबे को बताया गंभीर समस्या
ब्राइडेनस्टाइन ने अपनी चिट्ठी में यह बात भी साफ कर दिया है कि अंतरिक्ष में एसैट की वजह से पैदा मलबा एक गंभीर मसला है। यह न सिर्फ अमेरिका बल्कि उन सभी देशों की जिम्मेदारी है जो अंतरिक्ष में काम कर रहे हैं। उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा है, 'हम अपनी ह्यूमन स्पेसफ्लाइट की गतिविधियों खासतौर पर आईएसएस के लिए मिसाइल के टेस्ट के बाद पैदा हुए हुए मलबे पर नजर रखना जारी रखेंगे।'ब्राइडेनस्टेन ने कहा था कि पिछले दिनों भारत ने एंटी-सैटेलाइट वेपन यानी एसैट मिसाइल का जो परीक्षण किया है उसकी वजह से अंतरिक्ष में मलबे के 400 टुकड़े पैदा हो गए हैं। नासा की मानें तो यह एक खतरनाक स्थिति है और इसकी वजह से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी नए खतरे पैदा हो गए हैं।