पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ अफगानिस्तान का बड़ा ऑपरेशन, 30 दहशतगर्दों को मारा, तालिबान-अमेरिका डील फेल!
अफगानिस्तान सेना ने पाकिस्तानी अलकायदा और तालिबानी आतंकियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया है। सेना की कार्रवाई में 30 से ज्यादा आतंकवादी मारे गये हैं।
काबुल: अफगानिस्तान सेना ने आतंकवादियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। अफगानिस्तान सेना की इस कार्रवाई में 30 से ज्यादा आतंकी मारे गये हैं वहीं कई आतंकियों के घायल होने की भी खबर है। अफगानिस्तान सरकार का कहना है कि मारे गये आतंवादियों में 16 आतंकवादी पाकिस्तानी हैं।
पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ एक्शन
अफगानिस्तान रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा है कि अफगानिस्तान सैनिक लगातार आतंकवादियों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं। सेना ने 30 आतंकवादियों को मार गिराया है जिनमें पाकिस्तान अलकायदा के 16 आतंकी शामिल हैं। रक्षामंत्रालय के मुताबिक अफगानिस्तान नेशनल डिफेंस एंड सिक्योरिटी फोर्सेस कापिसा इलाके में लगातार आतंकियों के खिलाफ मुहिम चला रही है। रक्षामंत्रालय का कहना है कि अफगान सेना पूरे अफगानिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चला रही है। इसी अभियान के तहत निजबर्ब जिले में अफगान कमांडों ने 30 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया है। माना जा रहा है कि 16 पाकिस्तान अलकायदा आतंकी तालिबानी आतंकियों के साथ मिलकर किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की प्लानिंग कर रहे थे। पाकिस्तानी तालिबानी आतंकी गांव में लोगों को जिहाद की ट्रेनिंग भी दे रहे थे।
US-तालिबान एग्रीमेंट फेल
अफगानिस्तान नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता रहमतुल्लाह अंडेर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर बड़ा दावा करते हुए कहा है कि पिछले साल अमेरिका-तालिबान के बीच हुए शांति समझौता अफगानिस्तान में नाकामयाब हो गया है और तालिबानी आतंकी सिर्फ और सिर्फ अमेरिकन सेना को ही निशाना नहीं बनाते हैं। उन्होंने फेसबुक पर लिखा है कि अमेरिका-तालिबान के बीच हुआ दोहा समझौता अफगानिस्तान के लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया है। इस डील के तहत सिर्फ अमेरिकन सेना की सुरक्षा का समझौता किया गया है और अफगानिस्तान की जनता अभी भी तालिबानी आतंकियों के निशाने पर है और तालिबानी आतंकी बेगुनाह लोगों की हत्या कर रहे हैं।
अफगानिस्तान नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने यहां तक कहा है कि अमेरिका-तालिबान समझौते से अफगानिस्तान का फायदा होने से ज्यादा नुकसान हुआ है। इस समझौते से अफगानिस्तान का वक्त बर्बाद होने के अलावा देश का भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। हालांकि, अफगानिस्तान सरकार ने जो बाइडेन द्वारा तालिबान-अमेरिका एग्रीमेंट पर विचार करने की बात का स्वागत किया है। वहीं यूएस सेंन्ट्रल कमांड चीफ जनरल केनेथ एफ मेंकेंजी के मुताबिक 'तालिबान को मैं सबसे बड़ा गुनहगार मानता हूं जो लगातार अफगानिस्तान की बेगुनाह जनता और अफगानिस्तान सरकार के अधिकारियों को लगातार निशाना बना रहे हैं। तालिबान की लगातार और हद से ज्यादा बढ़ चुकी आतंकी गतिविधियों के बाद अफगानिस्तान सरकार को भी आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए बाध्य किया है'
अमेरिका-तालिबान समझौता
दरअसल, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में अमेरिका- अफगानिस्तान और तालिबान के बीच शांति समझौता कतर में हुआ था। जिसके तहत अमेरिका अपनी फौज को अफगानिस्तान से निकाल रहा है। 13000 अमेरिकी फौज में अब अफगानिस्तान में सिर्फ 2500 सैनिक बचे हैं, जिन्हें वापस बुलाने पर अमेरिका में माथापच्ची जारी है। दरअसल, अमेरिकी फौज के कम होते ही तालिबान ने फिर से अफगानिस्तान में दहशत फैलाना शुरू कर दिया। पिछले एक महीने के दौरान अफगानिस्तान में कई बम ब्लास्ट हो चुके हैं, लिहाजा अमेरिका का सेना बुलाने का दांव उल्टा पड़ता जा रहा है। अब अमेरिका के सामने सबसे बड़ा डर ये है कि अगर अफगानिस्तान में फिर से आतंकी संगठन फलते-फूलते हैं तो उनका पहला टार्गेट अमेरिका ही होगा। अफगानिस्तान-पाकिस्तान स्टडीज के मिडिल इस्ट इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर मार्विन वीनबम का मानना है कि 'अफगानिस्तान-तालिबान-अमेरिका शांति समझौता में तालिबान सिर्फ इतना मान रहा है कि उसने अमेरिकी फौज को निशाना बनाना बंद कर दिया है, इससे ज्यादा तालिबान कुछ नहीं मान रहा है'।
दरअसल, अमेरिका ने अब मानना शुरू कर दिया है कि ताबिलान से एग्रीमेंट कर वो फंस गया है और जैसे जैसे अमेरिकी फौज को वापस बुलाने की तारीख नजदीक आ जा रही है अमेरिका के लिए स्थिति और खराब होती जा रही है, ऐसे में सवाल बस यही बचता है, कि आखिर अब जो बाइडेन प्रशासन अपनी सेना को क्या ऑर्डर देगा?