बहरीन में गणेश की मूर्ति तोड़ने को लेकर सख़्त हुआ प्रशासन
बहरीन की पुलिस का कहना है कि एक दुकान में हिंदू मूर्तियों को तोड़ने वाली महिला के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की गई है.
बहरीन की पुलिस का कहना है कि एक दुकान में हिंदू मूर्तियों को तोड़ने वाली महिला के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की गई है.
जुफ़ैर के मानमा इलाक़े में बनाए गए एक वीडियो में ये महिला दुकान में घुसकर भगवान गणेश की मूर्तियां तोड़ती दिख रही है.
महिला वीडियो में कह रही है कि बहरीन मुसलमानों का देश है.
पुलिस ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा है कि 54 वर्ष की इस महिला के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है और अब इसे अभियोजक के पास भेजा गया है.
पुलिस ने कहा, जुफ़ैर में दुकान में तोड़फोड़ करने और एक संप्रदाय का अपमान करने के आरोप में महिला पर क़ानूनी कार्रवाई की गई है और उसे अभियोजक के पास भेजा गया है.
बहरीन के एक शीर्ष अधिकारी ने इसे नफ़रत से प्रेरित कृत्य बताते हुए इसकी आलोचना की है.
शाही परिवार के सलाहकार ख़ालिद बिन अहमद अल खलीफ़ा ने एक ट्वीट में कहा है, धार्मिक प्रतीकों को तोड़ना बहरीन के लोगों की प्रकृति का हिस्सा नहीं है. ये एक अपराध है जो उस नफ़रत का प्रतीक है जिसे हम अस्वीकार कर चुके हैं.
उन्होंने कहा कि ये एक बाहरी आपराध है. बहरीन में क़रीब 17 लाख लोग रहते हैं, इनमें से आधे से अधिक बाहर से आए हुए लोग हैं. बहरीन के गृह मंत्रालय की ओर से भी इस संबंध में ट्वीट किया गया है.
Capital Police took legal steps against a woman, 54, for damaging a shop in Juffair and defaming a sect and its rituals, in order to refer her to the Public Prosecution.
— Ministry of Interior (@moi_bahrain) August 16, 2020
कैपिटल पुलिस ने 54 वर्षीय महिला के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई की है. इस महिला पर ज़ुफैर में एक दुकान में तोड़फ़ोड़ की और एक संप्रदाय को आहत करने का आरोप है. महिला को अभियोजक के पास भेजा गया है.
सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर लोगों में काफ़ी नाराज़गी है. पूर्व विदेश मंत्री और बहरीन के राज-परिवार के राजा के सलाहकार रह चुके शेख़ ख़ालिद अल खलीफ़ा ने कहा है कि इस तरह की किसी भी घटना का समर्थन नहीं किया जा सकता है.
تكسير الرموز الدينية ليس من طبع اهل البحرين . و هي جريمة تنم عن كراهية دخيلة و مرفوضة . فهنا تعاقبت و تعايشت كل الاديان و الطوائف و الشعوب . و من قام بها غريب ليس منا #البحرين_بلد_الجميع
— خالد بن أحمد (@khalidalkhalifa) August 16, 2020
लाखों की संख्या में प्रवासी मज़दूर बहरीन में रहते हैं, जिसमें से ज़्यादातर एशियाई मूल के हैं.