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अडानी भारत में नहीं लेकिन ऑस्ट्रेलिया में चुनावी मुद्दा ज़रूर हैं

भारतीय अरबपति बिज़नेसमैन गौतम अडानी का उत्तरी क्वींसलैंड का कारामाइकल कोलमाइन प्रोजेक्ट, 18 मई को होने वाले ऑस्ट्रेलियाई चुनाव में एक अहम मुद्दा बन गया है.

By नीना भंडारी
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अडानी का कोलमाइन प्रोजेक्ट
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अडानी का कोलमाइन प्रोजेक्ट

भारतीय अरबपति बिज़नेसमैन गौतम अडानी का उत्तरी क्वींसलैंड का कारामाइकल कोलमाइन प्रोजेक्ट, 18 मई को होने वाले ऑस्ट्रेलियाई चुनाव में एक अहम मुद्दा बन गया है.

इस प्रोजेक्ट के चलते आर्थिक, पर्यावरण, कोयला और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर मतदाता और राजनीतिक दल बंटे हुए नज़र आ रहे हैं.

सात संभावित निर्दलीय उम्मीदवारों ने एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर किया है. ऑस्ट्रेलियन कंज़र्वेशन फ़ाउंडेशन (एसीएफ) के संयोजन में इन सदस्यों ने संसद सदस्य के तौर पर चुने जाने पर जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए कई क़दम उठाने का वादा किया है. इसमें अडानी के थर्मल कोलमाइन प्रोजेक्ट का विरोध भी शामिल है.

मौजूदा समय में शासन कर रही कंर्जे़वेटिव लिबरल-नेशनल पार्टियों का गठबंधन चुनाव में पिछड़ रहा है. यह मुख्य तौर पर कोयला खनन और निर्यात का समर्थक रहा है.

सरकार के एक प्रवक्ता ने बीबीसी से कहा, "स्कॉट मॉरिशन की सरकार ऑस्ट्रेलिया में विदेशी निवेश को बढ़ावा दे रही है. अडानी का कारमाइकेल माइन एंड रेल प्रोजेक्ट क्वींसलैंड के क्षेत्र में बेहद अहम है. इस प्रोजेक्ट में स्थानीय समुदाय के 1500 से ज़्यादा लोगों को सीधे नौकरी मिल जाएगी. इसके अलावा अप्रत्यक्ष तौर पर हज़ारों लोगों को नौकरियां मिलेंगी."

अडानी का कोलमाइन प्रोजेक्ट
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अडानी का कोलमाइन प्रोजेक्ट

कई पार्टियां समर्थ में भी

फ़रवरी, 2019 के आंकड़ों के मुताबिक़, ऑस्ट्रेलिया में कोल माइनिंग इंडस्ट्री में 52,900 लोग काम करते हैं. 2018 में ऑस्ट्रेलिया ने 440 मिलियन टन काले कोयले का उत्पादन किया है. इसमें मेटालर्जिकल कोल क़रीब 40 प्रतिशत था जबकि थर्मल कोल 60 प्रतिशत.

2017-18 के दौरान कोल माइनिंग इंडस्ट्री ऑस्ट्रेलियन जीडीपी के कुल हिस्से का क़रीब 2.2 प्रतिशत था.

विपक्षी लेबर पार्टी विभक्त दिख रही है. एक तरफ क्वींसलैंड में माइनिंग यूनियन के समर्थक हैं तो दूसरी तरफ़ शहरी मतदाता हैं जो ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर रोक लगाने के हिमायती हैं. ये लोग न्यू साउथ वेल्स और विक्टोरिया में रिन्यूयल एनर्जी के इस्तेमाल के प्रति प्रतिबद्ध हैं.

लेबर पार्टी के नेता बिल शॉर्टन ने ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) के 7.30 कार्यक्रम में कहा है, "मेरे विचार से यह खनन प्रोजेक्ट सबसे बेहतरीन विज्ञान पर आधारित है. भले इसके सामने वैज्ञानिक टेस्टों का ढेर ही लगा दिया जाए. अगर यह सभी वैज्ञानिक परीक्षणों में पास होता है तो इसे मैं अपनी संप्रभुता के लिए ख़तरा नहीं मानूंगा. हम मनमाने ढंग से चीज़ों को बढ़ा नहीं सकते हैं."

वहीं अल्पसंख्यक दल, जिनमें पाउलिन हैनसन की दक्षिणपंथी वन नेशन पार्टी हो या फिर अरबपति क्लाइव पाल्मर की यूनाइटेड ऑस्ट्रेलियाई पार्टी, ने कारमाइकेल प्रोजेक्ट के पक्ष में समर्थन जताया है. क्लाइव पाल्मर ख़ुद लौह अयस्क, निकेल और कोयला खनन के कारोबार से जुड़े हैं.

गौतम अडानी
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गौतम अडानी

पर्यावरण नंबर एक मुद्दा

दिसंबर से फ़रवरी के बीच ऑस्ट्रेलिया में गर्मी का मौसम रहता है, इस दौरान जलवायु परिवर्तन से जुड़ी कई बातें हुई हैं, जैसे की झाड़ियों में आग का लगना, सूखे की स्थिति और बाढ़ का आना. इन सबके चलते जलवायु परिवर्तन एक अहम मुद्दा बना हुआ है.

ऑस्ट्रेलिया में मतदाताओं के रुझान को भांपने वाला सबसे बड़ा सर्वे एबीसी वोट कंपास ने बताया कि इस चुनाव के दौरान सर्वे में भाग लेने वालों में 29 प्रतिशत लोगों ने पर्यावरण को नंबर एक मुद्दा माना है जबकि 2016 में यह महज़ नौ प्रतिशत भर था.

एसीएफ ने राजनीतिक दलों की पर्यावरणीय और प्राकृतिक नीतियों को मोटे तौर पर चार क्षेत्रों के आधार पर आंका है- नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा, कोयला के इस्तेमाल को हटाना, अडानी के कोल माइन को हटाना और प्रकृति का संरक्षण.

इस आकलन में एसीएफ ने लिबरल नेशनल कॉलिशन को 100 में चार अंक दिए हैं, जबकि लेबर पार्टी को 56 अंक मिले हैं. वहीं चौथी सबसे बड़ी पार्टी द ग्रीन्स को 100 में 99 अंक मिले हैं.

कोलमाइन प्रोजेक्ट
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कोलमाइन प्रोजेक्ट

स्टॉप अडानी कैंपेन

ऑस्ट्रेलियाई ग्रीन्स पार्टी के पूर्व नेता एवं वरिष्ठ पर्यावरण संरक्षण कार्यकर्ता बॉब ब्राउन ने समुद्र तटीय राज्य तस्मानियाई शहर होबार्ट में स्टॉप अडानी कैंपेन का नेतृत्व किया था.

उनके इस दल में सेंट्रल क्वींसलैंड के एक्टिविस्ट भी शामिल थे. यह कैंपेन राष्ट्रीय राजधानी कैनबरा में 5 मई को आयोजित रैली के साथ समाप्त हुआ है.

ब्राउन ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "स्थानीय तौर पर इस प्रोजेक्ट को लेकर एकदम बंटी हुई राय है. प्रोजेक्ट के पक्ष में ज़ोरदार समर्थन भी है, क्योंकि लोगों को यह लग रहा है कि भविष्य में हज़ारों नौकरियां पैदा होंगी. लेकिन वहीं इसके विरोध में भी लोग हैं, क्योंकि उन्हें ये मालूम है कोयला के जलाने से ग्रीन गैसों का उत्सर्जन होगा जिससे ग्रेट बैरियर रीफ़ को ख़तरा उत्पन्न होगा. इस रीफ़ के चलते इलाके़ में अलग-अलग काम धंधा करने वाले क़रीब 64 हज़ार लोगों को काम मिला हुआ है. लोग इस रीफ़ को नष्ट होते हुए देखना नहीं चाहते हैं."

गौतम अडानी
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गौतम अडानी

'अरबों टन जलवायु प्रदूषण बढ़ेगा'

यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटज सूची में शामिल ग्रेट बैरियर रीफ़ के बारे में पर्यटकों को बताया गया है कि यह रीफ़ तीन लाख 48 हजार वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है.

यह 400 से ज़्यादा तरह की मूंगा का घर है. इस रीफ़ में मछलियों की 1500 प्रजातियां पाई जाती हैं. सीप की चार हज़ार से ज़्यादा प्रजातियां और पक्षियों की 240 प्रजातियों का इलाके़ में बसेरा है. इसके लिए सैकड़ों तरह की समुद्री जीव और वनस्पति यहां पाए जाते हैं.

हाल के दशकों में, दुनिया का सबसे विशाल कोरल रीफ़ का इकोसिस्टम तब ख़तरे में आ गया था जब खनन प्रोजेक्ट, बंदरगाह निर्माण, ज़मीन खाली किए जाने, समुद्री घास हटाने और जहाज़ों के ट्रैफ़िक बढ़ने से समुद्र का तापमान बढ़ गया था.

एसीएफ के कैंपेनर क्रिश्चिय सलैटरी चेतावनी देते हैं, "अडानी के प्रोजेक्ट से एक नया थर्मल कोल बेसिन खुल जाएगा और यह पृथ्वी पर सबसे बड़ा कोल प्रोजेक्ट बन जाएगा, इससे अरबों टन जलवायु प्रदूषण बढ़ेगा. इतना ही नहीं इस प्रोजेक्ट को चलाने के लिए पहले से सूखे का सामना कर रहे ऑस्ट्रेलिया को बेशकीमती भूजल देना होगा. इससे यहां के इकोसिस्टम और वाइल्डलाइफ पर काफ़ी असर पड़ेगा."

अडानी का कोलमाइन प्रोजेक्ट
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अडानी का कोलमाइन प्रोजेक्ट

कारमाइकल खनन क्षेत्र, ग्रेट आर्टिजन बेसिन के पास स्थित है. यह बेसिन दुनिया का सबसे बड़ा भूजल स्रोत है. अनुमान के मुताबिक़ यहां 65 मिलियन गीगालीटर पानी मौजूद है और यह क्वींसलैंड, न्यू साउथ वेल्स, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी क्षेत्र के क़रीब 17 लाख वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है.

अडानी के इस प्रोजेक्ट के लिए भूजल प्रबंधन की मंज़ूरी ऑस्ट्रेलियाई सरकार से 11 अप्रैल को मिली, जिस दिन देश में चुनाव की घोषणा हुई थी.

ऑस्ट्रेलिया की पर्यावरण मंत्री मेलिस्सा प्राइस ने नौ अप्रैल को दिए अपने बयान में कहा, "कारामाइल कोल माइन और रेल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए भूजल प्रबंधन की जो व्यवस्था है वह सारे साइंटिफ़िक प्रावधानों का पालन करती है और इसकी पुष्टि कॉमनवेल्थ साइंटिफ़िक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च आर्गेनाइजेशन और जियोसाइंस ऑस्ट्रेलिया ने की है. हालांकि इससे अनुमति से प्रोजेक्ट को फ़ाइनल मंज़ूरी नहीं मिल जाती है."

दो मई को, क्वींसलैंड के सरकारी पर्यावरण एवं विज्ञान विभाग ने कंपनी के दो पर्यावरणीय योजनाओं में एक को ख़ारिज कर दिया. प्रोजेक्ट के लिए निर्माण काम शुरू करने से पहले ये अनुमति लेना ज़रूरी है.

इन अभियान को ब्लैक थ्रोटेड पिंच अभियान कहा जा रहा है.

गौतम अडानी का विरोध
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गौतम अडानी का विरोध

इसके अलावा दूसरी योजना ग्राउंड वाटर पर निर्भर इकोसिस्टम मैनेजमेंट प्लान है.

क्वींसलैंड के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रवक्ता के मुताबिक़ सदर्न ब्लैक थ्रोटेड पिंच (दरअसल यह एक काले गले और गाने वाली चिड़िया है) की संख्या प्रोजेक्ट साइट पर सबसे ज़्यादा है और इसे लुप्तप्राय होने वाली प्रजातियों में गिना जाता है. इसका झुंड प्रोजेक्ट साइट के तेन मिल बोर इलाक़े में नज़र आता है.

अडानी के माइनिंग प्रोजेक्ट के सीईओ लुकास डाउ ने मीडिया रिलीज़ में कहा है, "अब हम उनके नए अनुरोध को पूरा करने का काम कर रहे हैं. विभाग के कर्मचारियों ने योजना को पूरा करने के लिए कोई समय सीमा नहीं दी है लेकिन हम सरकार के नए अनुरोधों को पूरा करने पर पूरी तरह सहमत हो चुके हैं."

प्रोजेक्ट में खनन शुरू करने के लिए अभी आठ अन्य योजनाओं की मंज़ूरी लेनी होगी. इसमें चार की मंज़ूरी क्वींसलैंड राज्य सरकार से मिलेगी. इसके अलावा तीन योजनाओं की मंज़ूरी संघीय सरकार को देनी है जबकि एक योजना को राज्य और संघ दोनों से मंज़ूरी लेनी होगी.

गौतम अडानी का विरोध
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गौतम अडानी का विरोध

कंपनी के सामने चुनौतियां

कारमाइकल खनन क्षेत्र में चार साल पहले काम शुरू हो जाना चाहिए था लेकिन अडानी की कंपनी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा.

ये चुनौतियां उन्हें पर्यावरण एक्टिविस्ट के अलावा स्थानीय समुदाय की तरफ़ से बीते नौ साल से मिल रही हैं.

अडानी समूह ने कारमाइकल कोयला खनन क्षेत्र और क्वींसलैंड के बोवन के नज़दीक एबोट प्वाइंट बंदरगाह को 2010 में ख़रीदा था. यह कोयला खनन क्षेत्र ऑस्ट्रेलिया के सबसे संपन्न कोयला भंडार वाले क्षेत्र गालिली बेसिन में स्थित है.

अडानी ने अब तक ऑस्ट्रेलिया में 3.3 ऑस्ट्रेलियाई अरब डॉलर का निवेश किया है. इसमें रिन्यूबल एनर्जी के क्षेत्र में किया गया निवेश भी शामिल है.

अडानी रिन्यूबल्स ऑस्ट्रेलिया, अडानी समूह की एक कंपनी है, जिसनें क्वींसलैंड के मोरानबाह में रग्बी रन सोलर फॉर्म और दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में व्याला सोलर फॉर्म भी स्थापित है. इन दोनों साइट पर निर्माण काम बहुत ज़्यादा होने पर 175-175 नौकरियां होंगी.

जब ये फॉर्म काम करना शुरू कर देंगे तब इन सोलर फॉर्म पर पांच-पांच नौकरियां होंगी.

गौतम अडानी का विरोध
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गौतम अडानी का विरोध

रग्बी रन अभी निर्माणाधीन प्रोजेक्ट है. पहले चरण में यह 65 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति करेगा. जिसे बाद 170 मेगावाट तक बढ़ाया जा सकता है.

व्याला फॉर्म को अगस्त, 2018 में मंज़ूरी मिली है, जो 140 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है. इस प्रोजेक्ट से हर साल तीन लाख मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन संभव है.

अडानी ऑस्ट्रेलिया के प्रवक्ता ने बताया, "नवीकरणीय ऊर्जा का भविष्य में अहम योगदान होगा लेकिन केवल इसके सहारे मांग को पूरा करना संभव नहीं होगा. हमें ऊर्जा के अपने संसाधनों को विश्वसनीय और किफ़ायती बनाने की ज़रूरत है, जिसमें कोयला की भूमिका बेहद अहम होगी."

अडानी के खनन क्षेत्र से 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है छोटा सा शहर क्लेमाँट.

यहां स्थित ग्रैंड होटल के मालिक केल्विन एपल्टन ने बीबीसी को फोन पर बताया, "यह प्रोजेक्ट स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए ठीक है. हमारे शहर की आबादी तीन हज़ार है और इसमें क़रीब 90 प्रतिशत लोग इसके पक्ष में हैं. हमें कोयले की ज़रूरत है, ऊर्जा के लिए और स्टील बनाने के लिए. जिस तरह से अडानी को निशाना बनाया जा रहा है, उससे हम शर्मसार हुए हैं."

अडानी का कोलमाइन प्रोजेक्ट
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अडानी का कोलमाइन प्रोजेक्ट

अडानी समूह के प्रवक्ता के मुताबिक़, शुरुआती निर्माण के दौरान कारामाइकल खनन क्षेत्र में क़रीब 8250 नौकरियां उत्पन्न होंगी जिसमें 1500 खनन और रेल क्षेत्र से संबंधित होंगी और 6750 नौकरियां सहायक उद्योग से जुड़ी होंगी.

पहले यह प्रोजेक्ट 16.5 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की लागत से मेगा प्रोजेक्ट बनने वाला था, जिससे हर साल 60 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने की योजना थी. लेकिन अब इसे कम कर सालाना 10 से 15 मिलियन टन कोयला उत्पादन रखा गया है जिसे 27 मिलियन टन तक बढ़ाया जा सकता है.

इसका बजट भी अब दो अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर रह गया है. पहले 388 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाने की योजना थी जो साइट को एबॉट प्वाइंट कोल टर्मिनल से जोड़ने वाला था लेकिन अब इसे घटाकर 200 किलोमीटर कर दिया गया.

नैरो गेज की इस लाइन को मौजूदा रेल नेटवर्क से जोड़ दिया जाएगा.

कंपनी को सरकार और प्रमुख बैंकों से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली है. अब कंपनी कह रही है कमतर प्रोजेक्ट को वह अपने ही पैसों से पूरा कर लेगी.

गौतम अडानी का विरोध
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गौतम अडानी का विरोध

'कारमाइकल आर्थिक तौर पर बहुत बेहतर नहीं कर पाएगा'

अडानी समूह के मुखर आलोचक रहे इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकॉनामिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) का कहना है कि कंपनी अभी भी फ़ंड जुटाने के लिए संघर्ष कर रही है.

आईईईएफए के एनर्जी फ़ाइनेंस स्टडीज़ के निदेशक टिम बकले ने बीबीसी से कहा, "मेरा ख़याल है कि सब कुछ ठीक रहा तो भी कारमाइकल कोयला खनन क्षेत्र आर्थिक तौर पर बहुत बेहतर नहीं कर पाएगा. क्योंकि यहां के कोयले की राख ज़्यादा होती है और ऊर्जा कम. इसके अलावा भी यह बेहद रिमोट इलाक़े में है और यहां पर किसी तरह का आधारभूत ढांचा नहीं है."

बकले ये भी कहते हैं, "2018 की एक प्रेस रिलीज़ में अडानी समूह ने ख़ुद स्वीकार किया है कि इस प्रोजेक्ट पर पैसा लगाने के लिए कोई तैयार नहीं है. उन्हें कहीं से भी, किसी भी वित्तीय संस्थान से कोई मदद नहीं मिल रही है. इसलिए वह अकेले ही इस प्रोजेक्ट को बढ़ा रहे हैं. लेकिन जिस प्रोजेक्ट में दूसरे लोग निवेश को तैयार नहीं हों वहां अडानी समूह निवेश करने का जोखिम क्यों लेगा. यह अडानी समूह के काम करने का सामान्य तरीका नहीं है."

2017-18 में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 44 मिलियन टन मेटालर्जिकल कोयला निर्यात किया था जिसका मूल्य 9.5 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर था. इसके अलावा 42.5 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का 3.8 मिलियन टन थर्मल कोयला भी भारत ने ख़रीदा था. 2019-20 के बारे में अनुमान है कि भारत को मेटालर्जिकल और थर्मल, दोनों कोयला ज़्यादा आयात करना होगा. ऑस्ट्रेलियाई इंडस्ट्री, इनोवेशन और साइंस विभाग की ओर से रिसोर्स एंड एनर्जी क्वाटर्ली के मार्च, 2019 में इसका अनुमान जताया गया है.

इसकी वजह भारत के घरेलू स्टील सेक्टर का विस्तार और बिजली उत्पादन करने वाली ग्रिडों की बढ़ती खपत होगी.

ऑस्ट्रेलिया
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हालांकि ब्राउन ज़ोर देकर कहते हैं, "भारत को अडानी के कोयले की ज़रूरत नहीं है. भारत को ऑस्ट्रेलिया की अच्छी नवीकरणीय ऊर्जा तकनीक की ज़रूरत है. यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय कोल इंडस्ट्री ने भी कह दिया है कि आने वाले दशकों में थर्मल कोयला चलन से बाहर हो जाएगा."

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Adani is not an electoral issue in India but in Australia
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